"जीवन बचाओ मुहिम"

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सोमवार, जनवरी 01, 2024

"लिख दूँ क्या ?" Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?"




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पूज्य दादा जी स्वर्गीय श्री मालिक राम जोशी 
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प्रकाशक : श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी
Publisher: Smt. Vidhi Huleshwar Joshi

प्रकाशन दिनाँक : 01 जनवरी 2024
ISBN : 9789360132095


लिख दूँ क्या ? काव्य सँग्रह मूलतः ठेठ ग्रामीण हिन्दी भाषा एवं छत्तीसगढ़ी बोली में लिखी गई है। कविता के माध्यम से जहाँ एक ओर निर्मल और निश्छल प्रेम को अमर करने के ध्येय से प्रेमी-प्रेमिकाओं के मुक्त कल्पनाओं की पराकाष्ठा को चित्रांकित करने का प्रयास किया गया है वहीं दूसरी ओर प्रेम प्रस्ताव के नाम पर रूप-सौन्दर्य एवं ललित कलाओं के दुरुपयोग का भी वर्णन है। कवि ने भावनाओं का निष्ठापूर्वक समावेश करते हुए अपनी रचनाओं के माध्यम से वर्तमान जनजीवन को वर्णित करने का प्रयास किया है।

लिख दूँ क्या ? काव्य सँग्रह में समानता, समरसता, सद्भावना, धर्म, मानवता और राष्ट्रीय एवं विश्व बंधुत्व की भावनाओं की अभिवृद्धि के लिए “मनखे-मनखे एक समान” एवं “जम्मों जीव हे भाई-बहिनी बरोबर” के सिद्धांत का समावेश किया गया है। इसमें काटामारी, घूसखोरी, अपराध और हिंसात्मक कुकृत्यों पर व्यंग्य करते हुए पति-पत्नी के जीवन में महत्ता व इनके मध्य नोकझोंक तथा शराबियों के जीवनदर्शन और उनके कृत्यों का रोचक वर्णन हुआ है। पाठकों को प्रेरक कविताओं के माध्यम से स्वतंत्रता सँग्राम सेनानी की गौरवगाथा के साथ-साथ भारतीय ग्रामीण एवं शहरी जनजीवन का तुलनात्मक दर्शन, पिता को लेकर पुत्र की चिंता और बेटी के पापा होने पर अपने अहोभाग्य पर इतराते बाप को पढ़ने का अवसर मिलेगा।

आदरणीय पाठकगण, आम तौर पर जब प्रकाशक किसी किताब को प्रकाशित करता है तो वह लाभ की मंशा से प्रेरित होकर झूठे तारीफ़ों के पूल बांध देता है और "हनुमान की पूँछ में लग न पाई आग। लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग।" जैसे कुछ अतिशयोक्ति अलंकार का भी प्रयोग करता है, किन्तु इस काव्य के बारे में हम ऐसा कदापि नहीं कर रहे हैं क्योंकि कवि का मानना है कि "किसी भी साहित्य या रचना को बेहतरीन या बोगस प्रमाणित करने का अधिकार पाठक के अपने मौलिक अधिकार है।" जिसमें हस्तक्षेप करने की हमारी नियत नहीं है। हम पाठकों से उम्मीद करते हैं; कि वे इस किताब को पढ़ने के बाद हमें अपनी राय से अवगत कराएँगे।

प्रकाशक : श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी

इस क्यूआर कोड को स्कैन करके भी पढ़ सकते हैं "लिख दूँ क्या ?" काव्य संग्रह

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