"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।

सोमवार, अगस्त 21, 2023

डीआरजी और बस्तर फाइटर के जवानों ने 15 सालों से नक्सल संगठन में सक्रिय नक्सली दशरू सलाम उर्फ ओयाम को मार गिराया


डीआरजी और बस्तर फाइटर के जवानों ने 15 सालों से नक्सल संगठन में सक्रिय नक्सली दशरू सलाम उर्फ ओयाम को मार गिराया

Narayanpur (Chhattisgarh) : माओवादियों की प्लाटून नंबर 16 इंचार्ज मलेश, कमांडर विमला, इंद्रावती एरिया कमिटी का ओरछा एलओएस कमाण्डर दीपक एवं ओरछा एलजीएस कमांडर रामलाल एसीएम एवं अन्य की उपस्थिति की आसूचना मिलने पर डीआरजी और बस्तर फाइटर के जवानों ने कार्यवाही के दौरान थाना ओरछा क्षेत्रान्तर्गत भटबेड़ा के जंगलों में दिनांक 21-08-2023 सुबह लगभग 09.00 बजे पुलिस और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ हुई जिसमें एक वर्दीधारी नक्सली मारा गया। मरे गए वर्दी धारी नक्सली शव के साथ एक नग .315 Bore Rifle तथा एक नग 12 Bore Rifle हथियार बरामद हुआ। पहचान पंचनामा के दौरान मारे गए नक्सली की पहचान दशरू सलाम उर्फ ओयाम के रूप में किया गया। दशरू सलाम उर्फ ओयाम विगत 15 सालों से नक्सल संगठन से जुड़कर सक्रिय रूप से काम कर रहा था।

गुरुवार, अगस्त 03, 2023

Law of Gravity गुरुत्वाकर्षण का नियम के बारे में बेसिक जानकारी



Law of Gravity गुरुत्वाकर्षण का नियम के बारे में बेसिक जानकारी
Basic information about Law of Gravity

गुरुत्वाकर्षण का नियम (Law of Gravity) न्यूटनीय भौतिकी का एक महत्वपूर्ण नियम है। इस नियम के अनुसार, दो वस्तुएं (या भौतिक पदार्थ) एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं और इस आकर्षण की ताकत दो वस्तुओं के मास और इनके बीच की दूरी के वर्ग के उम्मीदवार होती है।

गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार, हर दो वस्तुओं के बीच में एक आकर्षणीय बल होता है, जो वस्तुओं के मास और दूरी के सम्मिश्रण के समानुपातिक होता है। इस नियम के अनुसार, दो वस्तुएं जितनी भी दूर एक दूसरे से हों, आपस में इतने ही मास के सम्मिश्रण के समानुपातिक आकर्षण का सामना करती हैं। यह नियम हमारे दिनचर्या में भी प्रभावी होता है, जैसे कि धरती की ओर हमें नीचे खींचता है, इसी तरह से धरती को सूर्य खींचता है जो हमारे चारों ओर ग्रहों को चक्रवाती गति में धावित करता है।

गुरुत्वाकर्षण का नियम (Law of Gravity) भौतिकी विज्ञान (Physics) का एक महत्वपूर्ण नियम है। इस नियम को इसके खोजकर्ता, न्यूटन, के नाम पर भी न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम (Newton's Law of Gravity) कहते हैं। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का नियम 1687 में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "ग्रेविटेशन" (Principia Mathematica) में प्रकट किया था। इसके अनुसार, दो वस्तुओं के बीच गुरुत्वाकर्षण की ताकत प्रत्येक वस्तु के मास (भार) के उम्मीदवार पर प्रत्येक वस्तु के बीच की दूरी के वर्ग का प्रतिशत (G) होता है। गुरुत्वाकर्षण का नियम भौतिकिय विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी होता है, जैसे खगोलशास्त्र, इंजीनियरिंग, और अंतरिक्ष विज्ञान में। यह नियम इंजीनियरिंग और भूगर्भिकीय गतिविद्या में भी महत्वपूर्ण है, जहां वस्तुओं के बीच के दबाव, संतुलन, और गति के संबंध में इसका प्रयोग किया जाता है।

गुरुत्वाकर्षण ने सौरमंडल के ग्रहों के बीच उनके चक्रवाती गति का कारण स्पष्ट किया है और यह भौतिकी विज्ञान में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जिसका प्रभाव हमारे दैनिक जीवन में भी देखा जा सकता है।

Three Important Economic Principles अर्थशास्त्र के तीन महत्वपूर्ण आर्थिक सिद्धांत कौन-कौन से हैं ?

अर्थशास्त्र के तीन महत्वपूर्ण आर्थिक सिद्धांत कौन-कौन से हैं ?

अर्थशास्त्र क्या है ?
What is Economics?
अर्थशास्त्र वह सामाजिक विज्ञान है जो अध्ययन करता है कि कैसे व्यक्ति, व्यवसाय, सरकारें और समाज अपनी असीमित इच्छाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए सीमित संसाधनों के आवंटन के बारे में विकल्प चुनते हैं। इसका संबंध वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग को समझने से है।

अर्थशास्त्र के तीन महत्वपूर्ण आर्थिक सिद्धांत कौन-कौन से हैं ?
What are the Three Important Economic Principles of Economics?
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जो वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग का अध्ययन करता है। यह कई मूलभूत सिद्धांतों या "कानूनों" के आधार पर संचालित होता है जो अर्थव्यवस्थाओं के कामकाज को समझने में मदद करते हैं। यहां तीन महत्वपूर्ण आर्थिक सिद्धांत या कानून हैं:

1. मांग का नियम (Law of Demand) : मांग का नियम कहता है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत और उपभोक्ताओं द्वारा मांगी गई मात्रा के बीच विपरीत संबंध होता है, अन्य सभी कारक स्थिर रहते हैं। सरल शब्दों में, जैसे-जैसे किसी उत्पाद की कीमत बढ़ती है, मांग की मात्रा कम हो जाती है, और इसके विपरीत। यह कानून उपभोक्ता व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण है और कीमतों में बदलाव बाजार की मांग को कैसे प्रभावित कर सकता है।

2. आपूर्ति का नियम (Law of Supply) : आपूर्ति का नियम कहता है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत और उत्पादकों द्वारा आपूर्ति की गई मात्रा के बीच सीधा संबंध होता है, अन्य सभी कारक स्थिर होते हैं। जैसे-जैसे किसी उत्पाद की कीमत बढ़ती है, उत्पादकों को बाजार में इसकी अधिक आपूर्ति करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, और जैसे-जैसे कीमत घटती है, आपूर्ति की मात्रा कम होने लगती है। यह कानून उत्पादकों के व्यवहार और बाजार स्थितियों में बदलाव के प्रति उनकी प्रतिक्रिया को समझने में मदद करता है।

3. तुलनात्मक लाभ का नियम (Law of Comparative Advantage) : तुलनात्मक लाभ का नियम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक मौलिक अवधारणा है। इसमें कहा गया है कि देशों को उन वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन और निर्यात में विशेषज्ञता हासिल करनी चाहिए जिनमें अन्य देशों की तुलना में उनकी अवसर लागत (वैकल्पिक विकल्प छोड़ने की लागत) कम हो। ऐसा करने से, देशों को व्यापार से लाभ हो सकता है, क्योंकि प्रत्येक देश इस पर ध्यान केंद्रित कर सकता है कि वह सबसे अधिक कुशलता से क्या उत्पादन कर सकता है और अन्य वस्तुओं के लिए व्यापार कर सकता है जो कहीं और अधिक कुशलता से उत्पादित होते हैं।

ये तीन सिद्धांत कई आर्थिक सिद्धांतों और मॉडलों का आधार बनते हैं और अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं को विभिन्न आर्थिक मुद्दों से संबंधित विश्लेषण और निर्णय लेने में मदद करते हैं।

बुधवार, अगस्त 02, 2023

What is religion ? क्या कागजों में लिखने और बताने की वस्तु है धर्म ?

What is religion ? क्या कागजों में लिखने और बताने की वस्तु है धर्म ?

What is Religion ?

क्या कागजों में लिखने और बताने की वस्तु है धर्म ?
नहीं, धर्म कागजों में लिखने और गौरव करने की कोई वस्तु नहीं है बल्कि धर्म आध्यात्मिक मान्यताओं के आधार पर आचरण में पवित्रता लाने, तथा प्रत्येक जीव के लिए भाईचारा, सद्भावना, प्रेम और करुणा रखने की अपनी निजी मान्यता है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो आज जिसे धर्म के नाम से जाना जाता है "वह धर्म का वास्तविक रूप नहीं है" बल्कि धार्मिक मान्यताओं पर आधारित एक साझा नाम है। बड़े मजे की बात तो ये है कि जिसे धर्म का नाम दिया जाता है संबंधित धर्म की धार्मिक मान्यताओं और संस्कृति के कट्टर विरोधी लोग भी उसी धर्म की अनुयायी के रूप में जाने जाते हैं।


क्या धार्मिक कट्टरता अच्छी है ?
नहीं; क्योंकि द्वेष, बदले की भावना, कट्टरता, हिंसा और हत्या की विचारधारा धार्मिक कार्य नहीं है। ऐसे कृत्यों को ही धार्मिक मान्यताओं के तहत अधार्मिक और दुष्टों का कार्य माना जाता है।

क्या बदले की भावना से किसी व्यक्ति से नफरत और द्वेष करना  धार्मिक अथवा मानवीय आचरण है ?
नहीं, कदापि नहीं। एक अच्छा इंसान वही है जो किसी भी शर्त में बदले की भावना से प्रेरित नहीं होता है। भगवान बुद्ध, महावीर और गुरु घासीदास बाबा ने कहा है कि "किसी को सपने में भी मारने का विचार रखना पाप है।"


क्या भारत का कोई भी नागरिक धर्म परिवर्तन कर सकता है ?
हाँ, संवैधानिक अधिकारों की बात करें तो भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद की धर्म ग्रहण करने का अधिकार है। इसके अलावा मानव अधिकारों की बात करें तो लगभग पूरे विश्व के सभी लोग अपने इच्छित धर्म को ग्रहण कर सकते हैं। अर्थात कोई भी व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है। किन्तु ध्यान रखने वाली बात ये है कि "धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति को प्रलोभन देना, उसकाना और भयदोहन करना अपराध की श्रेणी में आता है।"

मंगलवार, अगस्त 01, 2023

काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?" के आंतरिक पेज की प्रमुख जानकारियाँ / Internal page highlights of Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?"

काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?" के आंतरिक पेज की प्रमुख जानकारियाँ 
Internal page highlights of Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?"


काव्य संग्रह : Poetry Collection
लिख दूँ क्या ? : Likh Dun Kya ?

कवि श्री हुलेश्वर प्रसाद जोशी : Poet Shri Huleshwar Prasad Joshi

प्रकाशक एवं मुद्रक :
श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी
WWW.THEBHARAT.CO.IN
Email : E.VHJOSHI@GMAIL.COM


संस्करण
प्रथम, जनवरी 2024


@ सर्वाधिकार सुरक्षित
कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था किताब के किसी भी अंश को लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित अनुमति से प्रकाशित अथवा मुद्रित कर सकता है किन्तु सॉफ्ट कॉपी में किसी भी प्रकार की छेड़खानी अथवा सुधार किये बिना प्रिन्ट करने के लिए लिखित अनुमति की आवश्यकता नहीं है, चाहे क्यों न वह विक्रय हेतु प्रिन्ट किया गया हो।


मूल्य
हार्ड कॉपी – 250 /- दो सौ पचास रुपये मात्र
सॉफट कॉपी – निःशुल्क
आईएसबीएन - 
9789360132095

Poetry Collection : LIKH DUN KYA ?
BY : SHRI HULESHWAR PRASAD JOSHI
PUBLISHED BY : SMT VIDHI HULESHWAR JOSHI, WWW.THEBHARAT.CO.IN
ISBN : 9789360132095
Price : 
₹250.00 (PaperBack), ₹00.00 (Online Reading/PDF)

प्रकाशक की कलम से : लिख दूँ क्या ? "काव्य संग्रह" From the publisher's pen: Likh Dun Kya? "poetry collection"

प्रकाशक की कलम से : लिख दूँ क्या ? "काव्य संग्रह"
From the publisher's pen: Likh Dun Kya? "poetry collection"

लिख दूँ क्या ? काव्य सँग्रह मूलतः ठेठ ग्रामीण हिन्दी भाषा एवं छत्तीसगढ़ी बोली में लिखी गई है। कविता के माध्यम से जहाँ एक ओर निर्मल और निश्छल प्रेम को अमर करने के ध्येय से प्रेमी-प्रेमिकाओं के मुक्त कल्पनाओं की पराकाष्ठा को चित्रांकित करने का प्रयास किया गया है वहीं दूसरी ओर प्रेम प्रस्ताव के नाम पर रूप-सौन्दर्य एवं ललित कलाओं के दुरुपयोग का भी वर्णन है। कवि ने भावनाओं का निष्ठापूर्वक समावेश करते हुए अपनी रचनाओं के माध्यम से वर्तमान जनजीवन को वर्णित करने का प्रयास किया है।

Likh Dun Kya? काव्य सँग्रह में समानता, समरसता, सद्भावना, धर्म, मानवता और राष्ट्रीय एवं विश्व बंधुत्व की भावनाओं की अभिवृद्धि के लिए “मनखे-मनखे एक समान” एवं “जम्मों जीव हे भाई-बहिनी बरोबर” के सिद्धांत का समावेश किया गया है। इसमें काटामारी, घूसखोरी, अपराध और हिंसात्मक कुकृत्यों पर व्यंग्य करते हुए पति-पत्नी के जीवन में महत्ता व इनके मध्य नोकझोंक तथा शराबियों के जीवनदर्शन और उनके कृत्यों का रोचक वर्णन हुआ है। पाठकों को प्रेरक कविताओं के माध्यम से स्वतंत्रता सँग्राम सेनानी की गौरवगाथा के साथ-साथ भारतीय ग्रामीण एवं शहरी जनजीवन का तुलनात्मक दर्शन, पिता को लेकर पुत्र की चिंता और बेटी के पापा होने पर अपने अहोभाग्य पर इतराते बाप को पढ़ने का अवसर मिलेगा।

आदरणीय पाठकगण, आम तौर पर जब प्रकाशक किसी किताब को प्रकाशित करता है तो वह लाभ की मंशा से प्रेरित होकर झूठे तारीफ़ों के पूल बांध देता है और "हनुमान की पूँछ में लग न पाई आग। लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग।" जैसे कुछ अतिशयोक्ति अलंकार का भी प्रयोग करता है, किन्तु इस काव्य के बारे में हम ऐसा कदापि नहीं कर रहे हैं क्योंकि कवि का मानना है कि "किसी भी साहित्य या रचना को बेहतरीन या बोगस प्रमाणित करने का अधिकार पाठक के अपने मौलिक अधिकार है।" जिसमें हस्तक्षेप करने की हमारी नियत नहीं है। हम पाठकों से उम्मीद करते हैं; कि वे इस किताब को पढ़ने के बाद हमें अपनी राय से अवगत कराएँगे।

(श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी)
प्रकाशक

जीवन परिचय : हुलेश्वर प्रसाद जोशी Biography of Poet Huleshwar Prasad Joshi

जीवन परिचय : हुलेश्वर प्रसाद जोशी
Biography of Poet Huleshwar Prasad Joshi


श्री हुलेश्वर प्रसाद जोशी का जन्म 9 सितंम्बर 1984 को कबीरधाम (छत्तीसगढ़) जिला के बरेजहापारा नामक गाँव में हुआ है। आप श्री शैलकुमार जोशी और श्रीमती मोतिम जोशी के द्वितीय संतान हैं। आपकी प्राथमिक शिक्षा आपके गृहग्राम मनकी में हुआ, आपने गुरूघासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर से बैचलर ऑफ़ आर्ट्स, मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर से एजुकेशन में मास्टर ऑफ़ आर्ट्स और पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन तथा बस्तर विश्वविद्यालय जगदलपुर से ईकोनॉमिक्स में मास्टर ऑफ़ आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की है। इसके साथ ही आपने इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से मानव अधिकार में सर्टिफिके कोर्स किया है। 

देश प्रेम की भावना, कॉम्बैट ड्रेस पहनने की इच्छा सहित आर्थिक आज़ादी के ध्येय से आपने 23 सितंबर 2005 को 5वीं वाहिनी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, जगदलपुर में आरक्षक (जीडी) के पद पर ज्वाईनिंग किया। वर्तमान में आप जिला पुलिस बल नारायणपुर में प्रधान आरक्षक (जीडी) के पद पर पदस्थ होकर सेवारत हैं।

वर्तमान में आप जनसंख्या के आनुपातिक आधार पर प्रतिनिधित्व का अधिकार के लक्ष्य निर्धारित कर उच्च शिक्षा, स्वरोजगार एवं रोजगार मार्गदर्शन का कार्य कर रहे हैं। आपने सितम्बर 2007 से सामाजिक जागरूकता कार्य प्रारंभ किया तब आप स्वयं एक पत्थरवादी रूढ़िवादी इंसान थे परन्तु सितंबर 2016 से निरंतर रूढ़िवाद के ख़िलाफ़ कार्य कर रहे हैं। छात्र, युवा और सामाजिक संगठनों का मार्गदर्शन करना आपका मूल उद्देश्य है।

आप गुरू घासीदास बाबा के “मनखे-मनखे एक समान” और माता श्यामा देवी जोशी के “शिक्षा ग्रहण पहले, भोजन ग्रहण नहले” के सिद्धांत पर कार्य कर रहे हैं। आपका अपना मूल संदेश “जम्मो जीव हे भाई-बहिनी बरोबर” है। आप जीवन बचाओ मुहिम के सूत्रधार हैं। सामाजिक कुरीतियों के ख़िलाफ़ कार्य करने के लिए समय-समय पर आपने बतौर व्यंग्य आचार्य, महाधर्माधिकारी, श्री श्री 1008 श्री, हुलेश्वरानंद पापोनाश्क महाराज, धर्मगुरु, जोगीबाबा और औराबाबा जैसे कुछ प्रमुख उपाधियाँ धारण की है।

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"लिख दूँ क्या ?" काव्य संग्रह

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