"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।

शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2023

अमर शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी की पुण्यतिथि के अवसर पर नारायणपुर पुलिस ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके प्रतिमा में किया माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित


अमर शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी की पुण्यतिथि के अवसर पर नारायणपुर पुलिस ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके प्रतिमा में किया माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित

आज दिनाँक 24.02.2023 को सूलेंगा स्कूल ग्राउण्ड, नारायणपुर में अमर शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर आईपीएस श्री पुष्कर शर्मा, पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर के द्वारा उनके प्रतिमा में माल्यार्पण करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस दौरान श्री हेमसागर सिदार (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर), डीएसपी श्री विनय साहू (डीआरजी), डीएसपी श्री अरविन्द खलखो (डीआरजी), डीएसपी श्री अनिल कुर्रे (बस्तर फाइटर), आरआई श्री दीपक साव सहित डीआरजी के कमांडर्स एवं जवान तथा पुलिस लाइन से अधिकारी कर्मचारी व शहीद परिवार सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।

अमर शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी का संक्षिप्त जीवन परिचय
अमर शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी का जन्म दिनांक 11.10.1985 को ग्राम धनोरा, जिला नारायणपुर निवासी स्व० श्री बिसरु राम उसेण्डी तथा श्रीमति मोहनबती उसेण्डी के घर हुआ। शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी प्राथमिक शिक्षा गृह ग्राम धनोरा में तथा उच्च शिक्षा नारायणपुर में प्राप्त किये। शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी ने खेलकूद के क्षेत्र में विशेषकर किकेट एवं फूटबॉल में विशेष उपलब्धियाँ हासिल की।

वीर योद्धा शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी दिनांक 15.09.2008 को नारायणपुर जिले में पुलिस विभाग में आरक्षक के रूप में भर्ती हुए थे। पुलिस विभाग में भर्ती होकर लगातार नक्सल उन्मूलन अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे थे, उन्होंने दर्जनों नक्सल विरोधी अभियान को सफल करने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी ने दिनांक 24.02.2021 को जिला नारायणपुर क्षेत्रान्तर्गत ग्राम परादी व काकुर के बीच नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर वीरगति को प्राप्त किया।

वर्तमान में अमर शहीद श्री कनेर सिंह उसेण्डी की पत्नी श्रीमती प्रमिला उसेण्डी महिला प्रधान आरक्षक के पद पर तथा पुत्र कुशाग्र उसेण्डी बाल आरक्षक के पद पर जिला पुलिस बल, नारायणपुर में कार्यरत है।

बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

शराबी की कविता - SHARABI KI KAVITA

                                            

शराबी की कविता - SHARABI KI KAVITA
 

जिस रस्ते पे तू गुजरे वो रेंटों से भर जाए।

उसमें पड़े जो पैर तुम्हारा

नाक के बल गिर जाए।।

 

गंदी भद्दी कविता सुनाकर

तुमको हम हँसाएँ।

तू जो हमसे हँसे न ‘गोरी’

गिन-गिन डंडे लगाएँ।।

 

चुन्दी पकड़के हम री ‘गोरी’

खडरी तुँहर निकालें।

तू भी चाहे अगर री गोरी

बेलन हमपे बरसाले।।

 

कभी अगर मैं दारू पियूँ

या फिर

लाँछन लगाऊँ।

ऐसे मर्द मेरा क्या ही कहना

मैं पल भर में मर जाऊँ।।

 

अगर न मर जाऊँ मैं तत्क्षण

डंडे खूब बरसाना

अगर न बरसा सको तो “गोरी”

जहर हमें पिलाना।। 



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

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मेरी कविता की ‘क’ - MERI KAVITA KI "K"

                                           

मेरी कविता की ‘क’ - MERI KAVITA KI "K"
 

मेरी कविता की ‘क’ हो तुम

बनकर रहो न सनम।

सच में यदि मुझसे ‘वर’ निकालोगी

तो रह न पाएँगे हम।

मेरी जान की ‘जा’ हो

“तुम” बिन न रह पायेंगे हम।

तुम रहोगी तो रहेंगे

वरना, नहीं जीने की है तुम्हारी ही कसम।।

 

शिकवे मिट जाएँगे

न रहेंगे हम शिकायत सुनने।

तुम न रहोगी

तो बताओ ?

किसे जाएँगे चुनने।

आसमाँ के भी आयेंगे ‘सारे’

कदम तेरे चुनने।

जब तुम्हीं चुन जाओगी

तो बताओ क्यों ?

“जियेंगे”

कांटे बनकर चुभने।।

 

काश !

मैं भी होता शराबी

कुछ वक्त के लिए या भिखारी।

शराबी शराब के नशे में

बहक जाते हैं। 

वो महात्मा बनकर कभी

देश के लिए भी कुछ कर जाते हैं।

और राष्ट्रपति अवॉर्ड लेकर

अब्बड़ नाम कमाते हैं।।

 

मैं शराबी बनकर

खाली बोतल फेंक रहा था।

ठंड में रवनियाँ से खुद को सेंक रहा था।

तभी एक आतंकी आया

“और”

मुझे खूब धमकाया।

मैं डरकर भागना चाहा

छटपटटाकर धोखे से उसे एक धक्का लगाया।।

अब तक आतंकी धक्का खाए रो रहा था।

मारे दर्द मौत की दुवारी सो रहा था।

कुछ ही पल में

मेरा साथी एसएलआर तान रहा था।

किन्तु देखा तो उसमें जान की कहाँ था।।

 

मेरा दोस्त इस पर अर्ज किया :

लोग शराब को शराबी की कमजोरी कहते हैं।

हम कहते हैं

वो इसी धोखे में जीते हैं।

शराबी शराब के नशे का नखरा दिखाते हैं।

और इसी बहाने

कुछ हकीकत को उजागर कर पाते हैं।।

 

शराबी कहता है :

दम हमीं में है

हमें हमसफ़र बना के रखना।

मेरी अर्थी उठे

वहाँ भी

पार्टी जमा के रखना।

नहीं रखोगे तो श्राप है

तुम शराबी होने के काबिल

‘नहीं’ रह पाओगे।

कमबख्त तू मेरा दोस्त नहीं है ‘बे !’

मुझसे स्वर्ग में

‘नहीं’ मिल पाओगे।।

 

मैं शराब पीकर आता हूँ

तो

पत्नी की करतूत को

उजागर कर पाता हूँ।

वो इस बात पर

मेरी कदर नहीं करतीं  

फिर मैं जम-जम के डंडे लगाता हूँ।।

 

वो कहती हैं –

मैं शराब पीकर ‘पाप’ कर जाता हूँ।

नशे में धुत्त

अपने बच्चों के हक को डकार जाता हूँ।।

बीच चौराहों में खड़ा होकर

अपनी शान दिखाता हूँ।

जीतने रुपये पत्नी से लूट लाता हूँ

शराब वाली पेसाब ही बहाता हूँ।।

कभी-कभी रास्ते या नाली में, पड़ा

मैं कुत्ते का पेशाब भी पी जाता हूँ।

इसके बाद भी

320 रुपये वाली बोतल पीने का

घोषणा कर जाता हूँ।।

 

मैं इस दीवानी पर इतना मरता हूँ

कि अंतिम पैली भर

चाऊँर भी बेच जाता हूँ।

सहर्ष

पत्नी की गाली “और”

डंडे खा जाता हूँ।

एक दिन की

ब्रांडेड दादिरस के लिए

महीने भर पलायन कर जाता हूँ।

अबे बुड़बख

तभी तो

अपनी गुलाबो से

प्रेम कर पाता हूँ।। 



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
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रोबोट नोहय मोर ददा - ROBOT NOHAY MOR DADA

                                          

रोबोट नोहय मोर ददा - ROBOT NOHAY MOR DADA 
 

रोबोट नोहय मोर ददा ह

मनखे तुमन समझलव जी।

कतेक परतारना सहिथे ‘तुँहर’

काहिं तो हरू करदव जी।।

 

कोन जनम के दोष लगाके

नरक ल भोगवावत हव।

तुमहरे रक्छा करथे तबो

तुतारी कोंच दउरावत हव।।

 

24 x 365 ड्यूटी जेकर

आधा बेतन देवत हव।

धूप बरसात

बिन अन पानी के

जीवरा ल कल्पावत हव।।

 

अँगरेजी कानून बताके

गुलाम जेला बनाये हव।

अइसने मोर ददा ये साहेब

नागर म जेला फांदे हव।।

 

मोर ददा के मुस्कान ह तुँहला

फूटे आँखी नइ सुहावत हे।

तेखरे सेती रोथन साहेब

आँसू ह बोहावत हे।।

 

रोबोट नोहय मोर ददा ह

मनखे तुमन समझलव जी।

कतेक परतारना सहिथे ‘तुँहर’

               काहीं तो हरू करदव जी।। 



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तइहा के गोठ - TAIHA KE GOTH

                                         

तइहा के गोठ - TAIHA KE GOTH
 

तइहा के गोठ ह

पहाय लागिस।

दुधारू गाय के

लात ह

मिठाये लागिस।

शिक्षाकर्मी बहू ह

बेटा ल

लउठी देखावत हे।

महतारी ह दरूहा बेटा बर काल ल पिरोये लागिस।।

 

नवा नेवरनीन  

घरघुसरीन के

राज हे। 

देख तो बटकी के जम्मों सीथा म बाल हे।

झूठ के नियाव म

सच के फंदा चढ़गे।

महतारी ह दरूहा बेटा बर काल ल पिरोये लागिस।।

 

बिहाये डौकी के

भूखे लइका ह

रोटी जोहे।

सास-ससुर देवी-देवता के तिरस्कार होही।

आगी लगय

दुश्चरित्तर बेटा के

जवानी म।

एक बात आथे

सेखनिन बहुरानी म।

हाथ जोड़ नवा नेवरनीन घरघुसरीन के।

महतारी रोवत हे अँगना दुवारी म।। 



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
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जीए बर परही - JIYE BAR PARHI

                                        

जीए बर परही - JIYE BAR PARHI
 

बूड़त ले बूड़त तक

जिनगी के राहत तक

रहे बर परही।

लागथे

एकरे सँग

मया पिरीत के बानी

लगाए बर परही।

99 साल के डोकरी बर

लागथे

जुन्ना ढेखरा

होए ल परही ।

2096 तक एकर जियत ले

कलहरत कलहरत

जिए बर परही।।

  

कोनो बीमारी होही मोला

ईलाज कराए बर परही।

99 साल के डोकरी के

आँसू बोहाए बर

जिए ल परही।

मान सनमान बचाए खातिर

घर म रहे बर परही।

कोरोना महामारी के परकोप ले

बाँचे बर परही।।

 

दुःख-सुख के चक्कर ल

डरे बर नई परही।

चाहे बिहान के होवत ले

एहर

लड़त रइही।

जेन मन एखर

एहर करत रइही

फेर ?

पहिली बता !

कोरोना ले तो बाचे बर परही।।

 

दाई-ददा के सनमान बर

लड़े बर परही।

लइका ड़उकी के अधिकार बर

जीए ल परही।

कहइया के का हे “सँगी”

बूडत ले बूडत तक

जिनगी के राहत तक

जीए बर परही।

कोरोना महामारी के परकोप ले

बाँचे बर परही।

कलहरत कलहरत

जिए बर परही।।



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गोहरावत हँव - GOHARAWAT HANV

                                       

गोहरावत हँव - GOHARAWAT HANV
 

दाई गोहरावत हँव मैं तोला

तैं शक्ति दे अइसे मोला।

अंतस ले

अब्बड़ क्रूर होतेंव दाई

फेर कहितीन मोला भोला।।

 

अइसे शक्ति देतेव दाई

सत्ता के

दुरुपयोग कर पातेंव।

दुसर के हिस्सा

लूट खसोट के

जोशी मठ मैं बनवातेंव।

दाई गोहरावत हँव मैं तोला

तैं शक्ति दे अइसे मोला ।।

 

अंधेर नगरी के

चौपट राजा ले

जब्बर चौपट हो जातेंव।

राजा बनके

मैं हर दाई

परजा ऊपर कोड़ा बरसातेंव।

दाई गोहरावत हँव मैं तोला

तैं शक्ति दे अइसे मोला।।

 

उन्तीस के पहाड़ा जइसे ‘दाई’

लूट, घुस

अऊ बेईमानी वाले

मोर पूँजी ह बढ़तीस।

कतको धांधली करतेंव मैं हर

फेर दाई

ईमानदारी के नाव म

मोर ऊपर

फूल चढ़तीस।

दाई गोहरावत हँव मैं तोला

तैं शक्ति दे अइसे मोला।।

 

‘दाई’ मोरो मन हावय

मैं, ऊँच नीच के ज़हर बरसातेंव।

अपन स्वारथ बर

हिंसा घलो करवातेंव

तबो ले दाई

मैं इन्द्र देवता कहातेंव।

दाई गोहरावत हँव मैं तोला

तैं शक्ति दे अइसे मोला।।

 

दाई गोहरावत हँव मैं तोला

तैं शक्ति दे अइसे मोला।

अंतस ले अब्बड़ क्रूर होतेंव दाई

फेर कहितीन मोला भोला ।।



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