"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।

शुक्रवार, मार्च 31, 2017

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन


राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन

योजना का उद्देश्य - 
1. चयनित 10 जिलों के अंतर्गत धान के क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना।
2. चयनित 08 जिलों के अंतर्गत दलहन के क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना


राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

कार्यक्षेत्र - छत्तीसगढ राज्य के समस्त जिले

योजना का उदेश्य - उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि कर कृषकों का आर्थिक विकास करना।

कृषक वर्ग - समस्त वर्ग के कृषक।

राज्य गन्ना विकास योजना


राज्य गन्ना विकास योजना

कार्यक्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

मिलने वाला अनुदान - 
1. बीज क्रय पर अनुदान (इकाई हे.) अधिकतम रू. 3000/- प्रति हे अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो।
2. गन्ना टिश्यु कल्चर पौधों पर अनुदान अधिकतम रू. 2/- प्रति पौधा अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो अधिकतम 1 हेके लिए।
3. बीज उपचार दवाई पर अनुदान अधिकतम रू. 100/- प्रति हे अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो अधिकतम 2 हे. प्रति कृषक के लिए।
4. जिंक सल्फेट/जिप्सम पायराईट पर अनुदान अधिकतम रू 200/- प्रति हे. अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो प्रति कृषक अधिकतम 2 हे. के लिए।
5. पौध संरक्षण यंत्र क्रय पर अनुदान:
अ. हस्त चलित यंत्र पर अनुदान अधिकतम रू. 800/- प्रति यंत्र अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो।
ब. शक्ति चलित यंत्र पर अनुदान अधिकतम रू. 2000/- प्रति यंत्र अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो।
6. कृषक भ्रमण (पांच से सात दिवसीय) 30 कृषकों का समूह राज्य के अंदर रू. 30000/- प्रति समूह एवं राज्य के बाहर अधिकतम रू. 45000/- प्रति समूह
7. गन्ना बीज परिवहन पर अनुदान राज्य के बाहर (वास्तविक परिवहन व्यय का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम रूपये ६००/- प्रति टन राज्य के अंदर प्रथम 10 कि.मी. के बाद रू 10/- प्रति कि.मी./प्रति टन अधिकतम रू. 400/- प्रति टन)

रामतिल उत्पादन प्रोत्साहन योजना


रामतिल उत्पादन प्रोत्साहन योजना

योजना का क्षेत्र - जशपुर, सरगुजा, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर (राज्य के ०५ जिले) योजनान्तर्गत कृषकों को दी जाने वाली सुविधाएं/अनुदान बीज/बीज मिनीकिट वितरण 100 प्रतिशत अनुदान पर ब्रीडर सीड खरीदी पर अनुदान 6500 रू. प्रति क्विं. या बीज की वास्तविक कीमत आधार बीज उत्पादन प्रोत्साहन अनुदान 500 रू प्रति क्विं. (रू. 375 कृषक हेतु. रू 175, बीज ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग आदि पर) प्रमाणित बीज उत्पादन प्रोत्साहन अनुदान 500 रू. प्रति क्विं (रू. 375 कृषक हेतु रू. 175, बीज ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग आदि पर) प्रमाणित बीज वितरण अनुदान 800 रू. प्रति क्विं. या कीमत का 30 प्रतिशत जो भी कम हो। खंड प्रदर्शन हेतु आवश्यक आदान सामाग्री के लिये रू. 500 या कीमत का 50 प्रतिशत जो भी कम हो। हस्त/बैल चलित कृषि यंत्र पर अनुदान हस्त चलित/बैल चलित कृषि यंत्र पर कीमत का 50 प्रतिशत अनुदान या न्यूनतम जो भी कम हो। उर्वरक मिनीकिट वितरण कुल रू 300 उर्वरक एवं खाद प्रति एकड़ के लिये अनुदान देय है। (100 प्रतिशत अनुदान पर) बीज उपचार फफूंदनाशी हेतु 15 रू. प्रति हे अनुदान देय होगा। पी.एस.बी /एजेक्टोबेक्टर कल्चर 50 रू. प्रति हे. की दर से अनुदान देय होगा। सूक्ष्म तत्व वितरण (जिंक सल्फेट/जिप्सम) 200 रू. प्रति हे अनुदान देय होगा। कृषक प्रशिक्षण 30 कृषकों के समूह के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण रू. 3500 प्रति प्रशिक्षण देय होगा।

आवेदन की प्रक्रिया - क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा कृषकों का चयन कर ग्राम पंचायत की अनुशंसा के पश्चात् वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के माध्यम से उप संचालक कृषि को प्रेषित किया जाता है। 

चयन प्रक्रिया - जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा कृषकों का चयन किया जाता है।

आवेदन भेजने का पता - उप संचालक कृषि (संबंधित जिला के) द्वारा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड।

नाडेप विधि से गोबर/कम्पोस्ट खाद तैयार करने का कार्यक्रम


नाडेप विधि से गोबर/कम्पोस्ट खाद तैयार करने का कार्यक्रम

कार्य क्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - उच्च गुणवत्ता युक्त जैविक खाद उपयोग द्वारा मृदा में पोषक तत्वों का संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य में सुधार।

मिलने वाला लाभ - नाडेप टांका निर्माण हेतु निर्माण व्यय रूपये 1600/-का 75, 50 एवं 25 प्रतिशत लघु, सीमांत कृषक, को 1200/- अनुसूचित
जाति एवं जनजाति को 800 और दीर्घ कृषकों के लिये 400 रूपये निर्धारित की गई है।

राज्य पोषित योजना - शाकम्भरी योजना


राज्य पोषित योजना - शाकम्भरी योजना

कार्य क्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - सिंचाई संसाधन में विकास करना।

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ - 1. लघु सीमांत कृषकों को पांच एच.पी. तक पंप (विद्युत/ डीज़ल चलित) अनुदान पर उपलब्ध कराना। 75 प्रतिशत अथवा रूपए 16875/- जो भी कम हो।
2. लघु सीमांत कृषकों को कूप निर्माण पर अनुदान उपलब्ध कराना। 50 प्रतिशत अथवा रू 25200/- जो भी कम हो।

राज्य पोषित योजना - लघुत्तम सिंचाई तालाब


राज्य पोषित योजना - लघुत्तम सिंचाई तालाब

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि करना।

मिलने वाला लाभ - इस योजना के अंतर्गत कृषि विभाग द्वारा 40 हेक्टेयर तक सिंचाई क्षमता वाले छोटे तालाब निर्मित किये जाते हैं। निर्मित तालाबों से सैंच्य क्षेत्र में कृषकों द्वारा सुरक्षात्मक सिंचाई की जाती है।

राज्य पोषित योजना - किसान समृद्धि योजना


राज्य पोषित योजना - किसान समृद्धि योजना

कार्य क्षेत्र - राज्य के 110 विकासखंड

योजना का उद्देश्य - वृष्टिछाया क्षेत्र में सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि करना

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ अनुदान की पात्रता  अधिकतम्) (रूपए में)
कृषक वर्ग - खनन पर -पंप प्रतिस्थापन पर -कुल अनुदान
1. सामान्य कृषक -10000.00,- 15000.00,- 25000.00
2. अनुसूचित जाति /अनु. जनजाति -18000.00,- 25000.00, - 43000.00




राज्य पोषित योजना - लघु सिंचाई योजना (नलकूप)


राज्य पोषित योजना - लघु सिंचाई योजना (नलकूप) 

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़ (किसान समृद्धि योजना में सम्मिलित विकासखंडों को छोड़कर)

योजना का उद्देश्य - सुनिश्चित सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि करना।

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ - लक्ष्यानुसार विभाग द्वारा स्वीकृत प्रकरणों पर खोदे गये नलकूपों पर देय अनुदान 

खनन अनुदान - सामान्य वर्ग के एवं सरगुजा तथा बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के विकासखंड एवं ग्रामों के बाहर के अ.जा./अजजा. वर्ग के हितग्राहियों को खनन लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू. 10000/- तथा सरगुजा एवं बस्तर विकास प्राधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विकासखंड एवं ग्रामों के अ.जा. एवं अ.ज.जा. वर्ग के हितग्राहियों को रू 18000/- अनुदान देय है।

पम्प प्रतिस्थापन पर अनुदान - सफल नलकूप पर पम्प प्रतिस्थापन हेतु सामान्य वर्ग के एवं सरगुजा तथा बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के विकासखंड एवं ग्रामों के बाहर के अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग के हितग्राहियों को पम्प एवं सहायक सामग्री की लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू 15000/- तथा सरगुजा एवं बस्तर विकास प्राधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विकासखंड एवं ग्रामों के अ.जा. एवं अ.ज.जा वर्ग के हितग्राहियों को लागत या रू. २५०००/- अनुदान देय है।

कृषक समग्र विकास योजना - ”अक्ती बीज संवर्धन योजना


कृषक समग्र विकास योजना - ”अक्ती बीज संवर्धन योजना

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - उच्च गुणवत्ता युक्त प्रमाणित व संकर बीजों की उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित करना।

बीज उत्पादन पर अनुदान - स्वपरागण एवं परपरागण किस्मों के लिये उत्पादन पर रू. 300.00 प्रति क्विं. अनुदान देय होगा। उक्त अनुदान धान
फसल की प्रजनक से आधार, आधार से प्रमाणित, प्रमाणित-प् से प्रमाणित-प्प् के बीज उत्पादन जो छत्तीसगढ़ राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था से पंजीकृत हो तथा जिन कृषकों ने बीज उत्पादन कार्यक्रम संचालनालय कृषि अथवा छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के माध्यम से लिया हो को संचालनालय कृषि अथवा राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के माध्यम से प्रमाणित बीज की पैक्ड मात्रा पर देय होगा।
प्रजनक से आधार बीज उत्पादन विभाग के अन्तर्गत शासकीय कृषि प्रक्षेत्रों, छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के प्रक्षेत्रों  तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के प्रक्षेत्रों पर लिया जावेगा तथा बीज प्रमाणीकरण संस्था प्रमाणित पैक्ड बीज की मात्रा पर अनुदान देय होगा। यह अनुदान उत्पादित बीज की प्रमाणीकरण में उपयुक्त पायी गयी मात्रा पर ही देय होगा।  प्रमाणीकरण में निरस्त (फेल) होने पर अनुदान देय नहीं होगा। 

प्रमाणित बीज वितरण पर अनुदान - धान फसल पर रू. 200 प्रति क्विं. की दर से क्रेता कृषक को छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम/संचालक कृषि के माध्यम से अनुदान देय होगा। छ.ग.राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम अथवा संचालनालय के अधीन शासकीय प्रक्षेत्रों द्वारा प्रदाय किये गये प्रमाणित/आधार बीज पर ही अनुदान देय होगा। 

बीज अदला बदली - अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा सामान्य वर्ग के लघु सीमान्त कृषकों को बोनी के समय स्वयं के बीज के बदले उन्नत प्रमाणित बीज उपलब्ध कराना। इस योजनांतर्गत एक कृषक को पांच वर्ष में एक बार लाभ प्राप्त हो सकेगा। योजनांतर्गत प्रत्येक वर्ष जिले के 20 प्रतिशत कृषकों का चयन जिले के विकासखण्ड के जनपद पंचायत की कृषि स्थायी समिति तथा जिला पंचायत की कृषि स्थायी समिति द्वारा किया जावेगा। इस कार्य में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित ग्रामों/पंचायतों को प्राथमिकता दी जाएगी। आवेदन की प्रक्रिया क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा कृषकों का चयन कर ग्राम पंचायत की अनुशंसा के पश्चात वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के माध्यम से उप संचालक कृषि को प्रेषित किया जाता है। चयन प्रक्रिया जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा कृषकों का चयन किया जाता है। 

आवेदन भेजने का पता - उप संचालक कृषि (संबंधित जिला के) द्वारा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड।

मेक्रोमेनेजमेंट योजना - नदी घाटी एवं बाढ़ उन्मुख योजना


मेक्रोमेनेजमेंट योजना - नदी घाटी एवं बाढ़ उन्मुख योजना

क्रियान्वयन एजेंसी - कृषि विभाग

कार्य क्षेत्र - जिला - राजनंदगांव, दुर्ग, बिलासपुर के महानदी कछार।

योजना का उद्देश्य - 
1. नदी एवं जलाशयों में गाद के जमाव की संभावना को उपचार कर रोकना।
2. उपयुक्त संरचनाओं के निर्माण व समुचित वानस्पतिक आच्छादन के उपयोग द्वारा प्रभावी गाद नियंत्रण।

मिलने वाला लाभ - 
1. मृदा संरक्षण कार्य भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुसार मृदा संरक्षण के विभिन्न कार्यों पर व्यय किया जाता है।  

मेक्रोमेनेजमेंट योजना - राष्ट्रीय जलग्रहण विकास कार्यक्रम


मेक्रोमेनेजमेंट योजना - राष्ट्रीय जलग्रहण विकास कार्यक्रम

कार्य क्षेत्र - छत्तीसगढ़ राज्य में चयनित जलग्रहण क्षेत्र

योजना का उद्देश्य - 1. वर्षा आश्रित क्षेत्रों में जल को रोककर कृषि उत्पादन में वृद्धि करना। 
२. उत्पादन प्रणाली अंतर्गत उन्नत कृषि तकनीकों का प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण के माध्यम से प्रसार-प्रचार।
3. भूमि-हीन परिवारों के लिये जीविकोपार्जन हेतु आर्थिक सहायता। 

मिलने वाला लाभ - 
1. जल एवं मृदा संरक्षण कार्य भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड के आधार पर विभिन्न कार्यों जैसे - परकोलेशन टैंक निर्माण, तालाब निर्माण, जल बहाव रोकने हेतु विभिन्न संरचनाओं का निर्माण, रोजगार मूलक कार्य, सामुदायिक कार्य, प्रशिक्षण पर व्यय किया जाता है।

मेक्रोमेनेजमेंट योजना - आई. एन. एम. एण्ड आई. पी. एम


मेक्रोमेनेजमेंट योजना - आई. एन. एम. एण्ड आई. पी. एम

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - कृषकों को एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन तथा एकीकृत कीट प्रबंध हेतु प्रोत्साहित करना।

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ - 
1. बायो फर्टिलाईजर्स/वर्मी कम्पोस्ट/हरी खाद का उपयोग-25 प्रतिशत अथवा 1000/- रुपये जो भी कम हो अनुदान देय हो।
2. सूक्ष्म तत्व 500/- रुपये प्रति हेक्टेयर
3. बीज उपचार 50/- रुपये अथवा 25 प्रतिशत जो भी कम हो प्रति हेक्टेयर अनुदान देय हो।
4. बीज उपचार ड्रम 800/- रुपये अथवा 25 प्रतिशत जो भी कम हो प्रति हेक्टेयर अनुदान देय हो

मेक्रोमेनेजमेंट योजना - कृषि यांत्रिकीकरण प्रोत्साहन योजना


मेक्रोमेनेजमेंट योजना - कृषि यांत्रिकीकरण प्रोत्साहन योजना

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - कृषि के क्षेत्र में उन्नत कृषि यंत्रों के प्रयोग को बढ़ावा देना।

हितग्राही की पात्रता - अनुसूचित जाति/जनजाति, लघु/ सीमांत कृषकों के लिए यह योजना लागू है।

मिलने वाला लाभ - 
1. चालीस हार्सपावर तक के टेªक्टर कीमत का 25 प्रतिशत या रूपये 45000/-जो भी कम हो।
1. पावर टिलर 8बी.एच.पी. -
2. 8 बी.एच.पी. से कम कीमत का 80 प्रतिशत या रूपये ९००००/- जो भी कम हो। कीमत का 80 प्रतिशत या रूपये 50000/- जो भी कम हो।
3. स्वचलित रीपर, पैडी ट्रान्सप्लांटर एवं अन्य स्वचलित यंत्र कीमत का 50 प्रतिशत या रू. 80000/- जो भी कम हो।
शक्ति चलित यंत्र- जैसे पोटैटो प्लांटर, चलित रीपर, पाॅवर लीडर आदि कीमत का 50 प्रतिशत या रू. 30000/- जो भी कम हो। (जीरो टिल सीड ड्रिल कम फर्टीलाईजर ड्रिल एवं अन्य) कीमत का 80 प्रतिशत या रू. 40000/- जो भी कम हो। टेªक्टर चलित-एम.बी. प्लाऊ, कल्टिवेटर, हेरो एवं अन्य कीमत का 50 प्रतिशत या रू 20000/- जो भी कम हो।
4. शक्ति चलित (सभी प्रकार के पावर थ्रेसर) कीमत का ५० प्रतिशत या रू. 24000/- जो भी कम हो।
5. हस्त चलित/बैल चलित कृषि यंत्र हस्त चलित - जेन्डर फ्रेंडली यंत्र 50 प्रतिशत या रू 4000/- जो भी कम हो। बैल चलित - 50 प्रतिशत या रू 5000/- जो भी कम हो।
6. बैल चलित टुल कैरियर कीमत का 50 प्रतिशत या रू १२०००/- जो भी कम हो।
7. पौध संरक्षण यंत्र हस्तचलित रुपये 1600, शक्ति चलित रुपये 4000, ट्रेक्टर माउण्टेड 8000, एरा ब्लास्ट स्पेयर्स रुपये 50000, - अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो देय है।
8. कमबाईन हार्वेस्टर (किसान समूह, रजिस्टर्ड कोआपरेटिव सोसायटी, एस.एच.जी. हेतु) कीमत का 25 प्रतिशत या रू १५००००/- जो भी कम हो।

मेक्रोमेनेजमेंट योजना - गन्ना विकास कार्यक्रम


मेक्रोमेनेजमेंट योजना - गन्ना विकास कार्यक्रम

कार्य क्षेत्र - यह योजना राज्य के 10 जिलों रायपुर, कबीरधाम, राजनांदगांव, दुर्ग, धमतरी, बिलासपुर, सरगुजा, जशपुर, रायगढ़ एवं
जगदलपुर में क्रियान्वित की जा रही है।

योजना का उद्देश्य - गन्ना फसल के क्षेत्र एवं उत्पादन में वृद्धि करना

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ - 
1. बीज प्रगुणन पर अनुदान रू. 2000/- हे. प्रति हेक्टेयर अनुदान देय।
2. उन्नत तकनीकी प्रदर्शन प्रति प्रदर्शन रू. 7500/- 0.50 हे प्रति हेक्टेयर अनुदान देय।
3. सूक्ष्म तत्व 1000/- रुपये/ हेक्टेयर
4. कृषक प्रशिक्षण उन्नत कृषि तकनीक पर 50-50 कृषकों का खरीफ एवं रबी मौसम में दो दिवसीय प्रशिक्षण। रू. १०००० सहायता। रू. 50/- प्रतिदिन प्रति कृषक मानदेय।
5. राज्य स्तरीय प्रशिक्षण रुपये 20000/- प्रति प्रशिक्षण
6. रोपण सामग्री/भूमि उपचार रुपये 1000/- प्रति हेक्टेयर

मेक्रोमेनेजमेंट योजना-एकीकृत अनाज विकास कार्यक्रम-गेहूं


मेक्रोमेनेजमेंट योजना-एकीकृत अनाज विकास कार्यक्रम-गेहूं

कार्य क्षेत्र - राज्य के 10 जिले,

योजना का उद्देश्य - गेहूं फसल के क्षेत्र एवं उत्पादन में वृद्धि करना

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ - 
1. प्रमाणित बीज वितरण पर अनुदान:- दस वर्ष के भीतर अथवा विपुल उत्पादन देने वाली अधिसूचित किस्मों के धान बीज पर रू. 500 अथवा 50 प्रतिशत/क्विं. अनुदान देय
2. प्रदर्शन उन्नत तकनीकी प्रदर्शन 2000/- रुपये/ एकड़
3. सूक्ष्म तत्व
4. जिप्सम 500/-रुपये/हेक्टेयर अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो
5. कृषक खेत पाठशाला 17000/- रुपये/पाठशाला
6. प्रथम पंक्ति प्रदर्शन 6250/- रुपये/हेक्टेयर

मेक्रोमेनेजमेंट योजना - एकीकृत अनाज विकास कार्यक्रम-धान



मेक्रोमेनेजमेंट योजना - एकीकृत अनाज विकास कार्यक्रम-धान


कार्य क्षेत्र - राज्य के 08 जिले (महासमुंद, धमतरी, दुर्ग, बिलासपुर, जगदलपुर, कांकेर, नारायणपुर एवं बीजापुर)

योजना का उद्देश्य - धान फसल के क्षेत्र एवं उत्पादन में वृद्धि करना हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/ जनजाति एवं महिला कृषकों को
प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ - 
1. प्रमाणित बीज वितरण पर अनुदान दस वर्ष के भीतर अथवा विपुल उत्पादन देने वाली अधिसूचित किस्मों के धान बीज
पर रू. 500 अथवा 50 प्रतिशत/क्विं. अनुदान देय

2. प्रदर्शन
1. उन्नत तकनीकी प्रदर्शन 2500/- रुपये/एकड़
2. मेडागास्कर पद्धत्ति तथा हाईब्रिड तकनीकी प्रदर्शन ३०००/- रुपये/एकड़
3. सूक्ष्म तत्व
4. चूना उपयोग (अम्लीय भूमि हेतु)
5. पौध संरक्षण दवा एवं बायो पेस्टीसाइड्स 500/- रुपये/हेक्टेयर अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो
6. कृषक खेत पाठशाला 17000/- रुपये / पाठ- शाला

आइसोपाम - एकीकृत दलहन, तिलहन, मक्का विकास कार्यक्रम


योजना का नाम - आइसोपाम - एकीकृत दलहन, तिलहन, मक्का विकास कार्यक्रम

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - दलहन, तिलहन, मक्का फसल के क्षेत्र एवं उत्पादन में वृद्धि करना। 

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाले लाभ - 
1. बीज (दलहन, तिलहन, मक्का फसल हेतु)
क. प्रमाणित/आधार बीज उत्पादन (बीज ग्राम योजना) रूपये १०००/- अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो देय। (रू 750/- कृषक अंश तथा शेष रू. 250/-बीज प्रक्रिया केन्द्र)
ख. प्रमाणित बीज वितरण वास्तविक कीमत का 50 प्रतिशत या अधिकतम रू. 1200/- प्रति क्विं. अनुदान
ग. मिनीकिट वितरण 100 प्रतिशत अनुदान
2. खण्ड प्रदर्शन (प्रति हे.)
दलहन:- उड़द, मूंग, अरहर, तिवड़ा, मोथ, लोबिया, ग्वार, कुल्थी फसल हेतु रू. 2000/- प्रति हेक्टेयर, मसूर फसल हेतु रू 2200/- चना, मटर फसल हेतु रू 2500/- राजमा फसल हेतु रू 3500/- अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो देय है।
तिलहन:- मूंगफली पोलिथिन मल्च टेक्नालाॅजी रू. 8000/-,मूंगफली फसल हेतु रू. 4000/-, सोयाबीन फसल हेतु रू. ३०००/-, तोरिया, सरसों एवं अलसी फसल हेतु रू. 2000/-, सूरजमुखी फसल हेतु रू. 2500/-, तिल, कुसुम, अरण्डी फसल हेतु रू. 1500/- अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो देय है।
मक्का:- रू. 4000/- अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो देय है। दलहन, तिलहन, मक्का
3. कृषक खेत पाठशाला (एकीकृत जीव नाशी प्रबंधन) अधिकतम रू.22680/- प्रति 40 हेक्टेयर (30 कृषकों के समूह तथा 05 प्रशिक्षक अधिकारी) 
४. जैविक नियंत्रण हेतु अनुदान
दलहन:- कीमत का 50 प्रतिशत या अधिकतम रू. चना-747/- प्रति हेक्टेयर, अरहर 1140/- प्रति हेक्टेयर (ट्राइकोडर्मा, फेरोमेनटेªप, नीम उत्पाद, एन.पी. व्ही., बी.टी.) 
तिलहन:- कीमत का 50 प्रतिशत या अधिकतम रू. सरसों ९३०/-, मूंगफली 1627. 5/सोयाबीन 428/-, सूरजमुखी, रू. १२३०/- प्रति हेक्टेयर मक्का:- कीमत का 50 प्रतिशत या अधिकतम रू 1480/- प्रति हेक्टेयर दलहन, तिलहन, मक्का
5. नींदानाशक:- कीमत का 50 प्रतिशत या अधिकतम रू ५००/- प्रति हेक्टेयर अनुदान देय होगा।
6. कीटनाशक रसायन:- कीमत का 50 प्रतिशत या अधिकतम रू 500/- प्रति हेक्टेयर अनुदान देय होगा।
7. पौध संरक्षण यंत्र:- हस्तचलित यंत्र की कीमत का ५० प्रतिशत या अधिकतम रू 800/- प्रति यंत्र जो भी कम हो स्प्रेयर डस्टर के लिये। शक्ति चलित यंत्र की कीमत का ५० प्रतिशत या अधिकतम 2000/- प्रति यंत्र जो भी कम हो। स्पे्रयर डस्टर के लिए।

दलहन:-
8. एन.पी.व्ही.:- कीमत का 50 प्रतिशत या अधिकतम रू २५०/- हे. प्रति कृषक जो भी कम हो अनुदान देय होगा। दलहन, तिलहन, मक्का
9. राइजोबियम कल्चर/पी.एस. बी.:- रू. 50/- प्रति हे. या कीमत का 50 प्रतिशत (जो भी कम हो)
10. जिप्सम पायराइट वितरण:- कीमत का 50 प्रतिशत (वस्तु $ परिवहन) या अधिकतम रू 500/- हे. अनुदान देय होगा। मिलने वाले लाभ दलहन, तिलहन, मक्का
12. सिंचाई पाईप पर अनुदान:- 35 पाईप (प्रति पाईप 6 मीटर लंबा) हेतु सभी वर्ग के कृषकों हेतु रू. 15000/- या अधिकतम 50 प्रतिशत जो भी कम हो। दलहन, तिलहन 
13. उर्वरक/नींदानाशक 
भुरकाव यंत्र:- उर्वरक/ नींदानाशक भुरकाव यंत्र पर अनुदान 50 प्रतिशत अथवा रू 1800/- जो भी कम हो। दलहन, तिलहन, मक्का
14. अंतरवर्ती फसल प्रोत्साहन अनुदान:- रू. 500/- प्रति हेक्टेयर अधिकतम  दलहन, तिलहन
15. स्टोरबीन पर अनुदान:- रू 2000/- या 50 प्रतिशत (जो भी कम हो)
16. मेज शेलर:- रू 15/- या 50 प्रतिशत जो भी कम हो।
आवेदन की प्रक्रिया - क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा कृषकों का चयन कर ग्राम पंचायत की अनुशंसा के पश्चात् वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के माध्यम से उप संचालक कृषि को प्रेषित किया जाता है।
चयन प्रक्रिया - जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा कृषकों का चयन किया जाता है।
आवेदन भेजने का पता - उप संचालक कृषि (संबंधित जिला के) द्वारा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड

छत्तीसगढ़ राज्य की उपलब्धियां

आदरणीय / आदरणीया आपको यह जानकर अत्यंत ख़ुशी होगी कि हमारा प्रदेश छत्तीसगढ़ दिन प्रतिदिन विकास की ओर अग्रसर है वर्ष २००० में राज्य स्थापना के साथ ही राज्य के प्रथम माननीय मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के दूरदर्शी सोच और माननीय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह  के कार्य प्रणाली से हमारा प्रदेश विश्वपटल पर सुशोभित होने योग्य हो पाया है।  वर्ष २००२ से २०१० तक की जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण आप सबसे क्षमा चाहती हूँ। वर्ष २०११ से राज्य की उपलब्धि निम्नानुसार है :- 


  • नये जिलों का गठन :- स्वतंत्रता दिवस 2011 की सौगात । राज्य में नौ नये जिलों का गठन। सुकमा, कोण्डागांव, गरियाबंद, बलौदाबाजार, बालोद, बेमेतरा, बलरामपुर, सूरजपुर और मुंगेली। ये नये जिले जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ गए। इन नौ नये जिलों को मिलाकर राज्य में वर्ष 2007 से अब तक 11 नये जिलों का गठन। वर्ष 2007 में बीजापुर और नारायणपुर को जिला बनाया गया था। अब छत्तीसगढ़ में जिलों की संख्या 27 हो गयी है।
  • लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2011- आम जनता को सरकारी सेवाएं समय-सीमा में मिलेंगी। जनता के आवेदनों का समय-सीमा में निराकरण होगा। विधानसभा के बीते मानसून सत्र में सर्वानुमति से विधेयक पारित। इस अधिनियम के दायरे में अब तक 31 विभागों की 251 सेवाएं शामिल की गयी हैं।
  • बस्तर और सरगुजा राजस्व संभागों में शासकीय नौकरी के लिए जिला संवर्ग- दोनों राजस्व संभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अब केवल स्थानीय भर्ती। इन संभागों के जिलों में इसके लिए जिला संवर्ग बनाया गया। इससे इन आदिवासी बहुल राजस्व संभागों में बड़ी संख्या में स्थानीय युवाओं को सरकारी सेवाओं में आने का अवसर मिलेगा।
  • बिजली के क्षेत्र में शानदार कामयाबी :- जनवरी 2008 से राज्य में बिजली कटौती खत्म। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चौबीसों घंटे लगातार बिजली आपूर्ति करने वाला पहला राज्य छत्तीसगढ़। हमारे यहां विगत दस वर्षो में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 500 प्रतिशत वृध्दि दर्ज की गई है। वर्ष 2009-10 में राज्य में प्रति व्यक्ति विद्युत खपत 1547 यूनिट दर्ज की गयी। लोकसभा में केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री के. वेणुगोपाल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से विभिन्न राज्यों में बिजली की खपत की ताजा तस्वीर स्पष्ट हुई है। गोवा 2263 यूनिट के साथ पहले स्थान पर, गुजरात 1615 यूनिट के साथ दूसरे स्थान पर और छत्तीसगढ़ 1547 यूनिट प्रति व्यक्ति विद्युत खपत के साथ तीसरे स्थान पर है। किसानों को तीन हार्सपावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली और तीन से पांच हार्स पावर तक के सिंचाई पम्पों को साढ़े सात हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क। किसानों को मीटर किराया, फिक्सड चार्जेस और विद्युत शुल्क आदि के भुगतान से छूट। राज्य में सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण को शानदार सफलता। राज्य निर्माण से पहले छत्तीसगढ़ में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या केवल 72 हजार के आस-पास थी, जबकि आज यह संख्या दो लाख 90 हजार को भी पार कर गई है।
  • बारहवीं पंचवर्षीय योजना में 30 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य। इस पंचवर्षीय योजना के दौरान देश में 90 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है।
  • देश की ऊर्जा राजधानी के रूप में उभरेगा छत्तीसगढ़ का कोरबा शहर। कोरबा में वर्ष 2014 तक दस हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होने लगेगा।
  • राज्य सरकार द्वारा पिछले 8 वर्षो में 14 लाख गरीब परिवारों को एकलबत्ती कनेक्शन दिए गए।
  • राज्य सरकार की बिजली कम्पनियां अगले तीन वर्षो में बिजली के उत्पादन, पारेषण और वितरण संबंधी अधोसंरचना के विकास पर 17 हजार करोड़ रूपए का निवेश करेगी।
  • प्रदेश में धान की भूसी से 200 मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन हो रहा है।
  • सौर ऊर्जा से 1447 दूरस्थ गांव, 1500 आदिवासी छात्रावासों, 228 थानों और 352 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को रौशन किया गया।
  • छत्तीसगढ़ में देश का 27 प्रतिशत स्टील और स्पंज आयरन (15 मिलियन टन), 30 प्रतिशत एल्युमिनियम (0.35 मिलियन टन) और 15 प्रतिशत सीमेंट (15 मिलियन टन) का उत्पादन हो रहा है।
  • चावल उत्पादन के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार :- छत्तीसगढ़ को मिला वर्ष 2010-11 के लिए सर्वाधिक चावल उत्पादक राज्य का पुरस्कार। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में 16 जुलाई 2011 को आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को 'कृषि कर्मण' पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार स्वरुप प्रशस्ति पत्र और एक करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की।
  • शराब बंदी के लिए ठोस पहल :- राज्य में चालू वित्तीय वर्ष 2011-12 में शराब बंदी के प्रथम चरण में एक अप्रैल 2011 से दो हजार की जनसंख्या वाले गांवों की 239 दुकाने बंद की गयी तथा वर्ष 2012-13 में ढ़ाई हजार की जनसंख्या वाले गावों की 75 दुकानें बंद की गयी। भारत माता वाहिनियों का गठन। व्यसन मुक्त स्वस्थ छत्तीसगढ़ निर्माण का लक्ष्य।
  • अटल विहार योजना : अटल विहार योजना के तहत छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल द्वारा प्रदेश के शहरी, अर्ध्दशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख जरूरतमंद परिवारों के लिए मकान बनाए जाएंगे। यह लक्ष्य अगले तीन वर्ष में पूर्ण किया जाएगा। इनमें से 85 प्रतिशत मकान निम्न आय वर्ग और कमजोर आय वर्ग के लोगों के लिए होंगे। अटल विहार योजना  के तहत निम्न आय वर्ग के  ऐसे परिवारों को जिनकी वार्षिक आमदनी एक लाख 20 हजार से कम है और कमजोर आय वर्ग के ऐसे परिवारों को, जिनकी वार्षिक आमदनी 60 हजार रूपए से कम है, उन्हें शासकीय अनुदान भी दिया जाएगा। निम्न आय वर्ग के प्रत्येक चयनित हितग्राही को 40 हजार रूपए और कमजोर आय वर्ग के प्रत्येक चयनित हितग्राही को 80 हजार रूपए का अनुदान मिलेगा। इन्हें मिलाकर दोनों आमदनी वर्ग को राज्य सरकार की ओर से 240 करोड़ रूपए का अनुदान दिया जाएगा।
नया रायपुर विकास परियोजना को राष्ट्रीय पुरस्कार
  • नया रायपुर विकास परियोजना को भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम शहरी आवास विकास निगम (हुडको) द्वारा वर्ष 2010-11 में 25 अप्रैल 2011 को आवास एवं शहरी विकास के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में छत्तीसगढ़ की विकास दर वर्ष 2011-12 में 10.8 प्रतिशत रही। छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी चार राज्यों में शामिल। वर्ष 2010-11 में प्रदेश की विकास दर 11.57 प्रतिशत और वर्ष 2009-10 में 11.49 प्रतिशत थी। 
  • बजट का आकार :- चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए प्रथम अनुपूरक में 1741 करोड़ रूपए का प्रावधान। इसे मिलाकर छत्तीसगढ़ सरकार का इस वर्ष के बजट का आकार 41 हजार 419 करोड़ रूपए तक पहुंच गया है।
  • बेहतर वित्तीय प्रबंधन :- बेहतर वित्तीय प्रबंधन के मामले में छत्तीसगढ़ ने एक बार फिर पूरे देश में अग्रणी राज्य के रूप में अपनी सफलता का परचम लहराया। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तैयार विभिन्न राज्यों के वर्ष 2011-12 के बजट की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार सामाजिक क्षेत्र में सबसे ज्यादा 52.7 प्रतिशत राशि छत्तीसगढ़ सरकार ने खर्च की है, जबकि सभी राज्यों का औसत खर्च 40 प्रतिशत है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार ने जहां अपने वर्ष 2011-12 के कुल बजट का 52.7 प्रतिशत सामाजिक क्षेत्र से संबंधित योजनाओं में खर्च किया है, वहीं इस मद में झारखण्ड और महाराष्ट्र ने 44 प्रतिशत, राजस्थान ने 43.5 प्रतिशत, बिहार ने 42 प्रतिशत, तामिलनाडु ने 41 प्रतिशत, ओड़िशा ने 40 प्रतिशत, आंध्रप्रदेश ने 39 प्रतिशत, गुजरात ने 38 प्रतिशत और मध्यप्रदेश ने 37 प्रतिशत राशि खर्च की है। शिक्षा के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ ने देश के अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा खर्च किया है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा में छत्तीसगढ़ ने 19.3 प्रतिशत राशि व्यय की है, जबकि राजस्थान ने 18 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश ने 17.6 प्रतिशत, बिहार ने  17.2 प्रतिशत, ओड़िशा ने 16.4 प्रतिशत, गुजरात ने 14.9 प्रतिशत, झारखण्ड ने 15.9 प्रतिशत और मध्यप्रदेश ने 15.2 प्रतिशत राशि शिक्षा पर खर्च की है। विकास मूलक कार्यो पर छत्तीसगढ़ का व्यय 17.4 प्रतिशत है, जबकि सभी राज्यों का औसत केवल 9.9 प्रतिशत है।
  • मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना :- प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन पूर्ण रूप से जनभागीदारी के माध्यम से किया जा रहा है। तहत दस हजार 882 राशन दुकानों से लगभग 34 लाख 31 हजार गरीब परिवारों को सिर्फ एक रूपए और दो रूपए किलो में हर महीने 35 किलो अनाज और दो किलो नि:शुल्क नमक। कोर पीडीएस योजना रायपुर शहर में प्रारंभ की गई है। इसका विस्तार भिलाई, दुर्ग, बिलासपुर और राजनांदगांव में जल्द किया जाएगा। प्रदेश मे संचालित दस हजार 882 राशन दुकानों में से चार हजार 355 दुकानें सहकारी समितियों के माध्यम से और तीन हजार 998 दुकानें ग्राम पंचायतों के माध्यम से संचालित। इसके अलावा दो हजार 363 दुकानों का संचालन महिला स्व-सहायता समूहों के द्वारा और 166 दुकानों का संचालन वन सुरक्षा समितियों तथा अन्य संस्थाओं के द्वारा।
  • बस्तर और सरगुजा के गरीबों को चना वितरण :-  बस्तर संभाग के गरीबी रेखा श्रेणी के लगभग साढ़े चार लाख परिवारों को प्रति माह पांच रूपए में एक किलो चना वितरण योजना का शुभारंभ किया गया। सरगुजा संभाग में वित्तीय वर्ष 2012-13 से चना वितरण प्रारंभ। संभाग में इस योजना से गरीबी रेखा के नीचे के लगभग दस लाख परिवार लाभान्वित होंगे। वर्तमान में यह योजना बस्तर और सरगुजा संभाग के 64 विकासखण्डों में संचालित है। एक जनवरी 2013 से प्रदेश के सभी 85 अनुसूचित जनजाति बहुल विकासखण्डों तक इस योजना का विस्तार किया जाएगा।
  • ए.पी.एल. परिवारों को भी सस्ता अनाज:- जुलाई 2010 से प्रत्येक ए.पी.एल परिवार को 35 किलो सस्ता अनाज मिलना शुरू, जिसमें 15 किलो अरवा चावल, पांच किलो उसना चावल और 15 किलो गेहूं शामिल। माह जून 2012 से ए.पी.एल. परिवारों को चावल 9.30 रूपए और गेहूं 7.50 रूपए रूपए किलो की दर से।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार को छत्तीसगढ़ और गुजरात की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण का उल्लेख करते हुए इसे देष के अन्य राज्यों में एक मॉडल के रूप में अपनाने की सलाह दी है।
  • किसानों के लिए :- वित्तीय वर्ष 2012-13 से सिर्फ एक प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिए ऋण सुविधा देने वाला राज्य है छत्तीसगढ़। यह ऋण सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड के आधार पर 60 प्रतिशत नकद और 40 प्रतिशत वस्तु के रूप में दी जा रही है। पिछले वर्ष पंद्रह सौ करोड़ रुपए तक कृषि ऋण (तीन प्रतिशत ब्याज दर पर )लिया गया। इस वर्ष इक्कीस सौ करोड़ रुपए कृषि ऋण के रुप में वितरित करने का लक्ष्य।
  • वर्ष 1991 से 1997 तक जो लघु और सीमांत किसान, ग्रामीण बैंको तथा सहकारी बैंकों का अल्पकालीन ऋण नहीं पटा सके ऐसे 90 हजार कृषक परिवारों के ऋण माफ किये जायेंगे।
  • फसल बीमा के प्रीमियम अनुदान को 5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला
  • समर्थन मूल्य पर धान खरीदी :- वर्ष 2011-12 में नौ लाख से अधिक किसानों से 59.73 लाख मीटरिक टन धान खरीदा गया और उन्हें लगभग छह हजार 566 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। धान खरीदी 1500 से ज्यादा खरीदी केन्द्रों पर की गयी। वर्ष 2007-08 में 31.51 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी की गयी और इसके लिए किसानों को दो हजार 390 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। वर्ष 2010-11 में 51 लाख मीटरिक टन धान खरीदा गया और किसानों को लगभग पांच हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। वर्ष 2009-10 में किसानों से 44 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया और उन्हें 47 सौ करोड़ रूपए का भुगतान किया। यह देश के किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक है। पिछले दस वर्षों में किसानों से समर्थन मूल्य पर 3.32 करोड़ टन धान की खरीदी की गयी और इसके लिए किसानों को 26 हजार 527 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
  • बीज उत्पादन में वृध्दि :- किसानों में बढ़ी जागरूकता से विगत छ: वर्षों में आधार एवं प्रमाणित बीज उत्पादन में 874 प्रतिशत तथा वितरण में 514 प्रतिशत की वृध्दि हुई है।
  • फसल बीमा :- राज्य के 14 जिलों की 51 तहसीलों में किसानों को राष्ट्रीय कृषि बीमा के तहत गत खरीफ की क्षतिपूर्ति के रूप में लगभग 124 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा रहा है।
  • बढ़ती सिंचाई सुविधाएं :- पिछले करीब आठ साल में राज्य में पांच लाख 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का निर्माण किया गया है। हमारी निर्मित सिंचाई क्षमता 23 प्रतिशत से बढ़कर 33.15 प्रतिशत हो गई है।
  • तेन्दूपत्ता श्रमिकों को बोनस :- तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक की दर 800 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 1100 रूपए प्रति मानक बोरा की गई है। विगत वर्ष करीब 14 लाख संग्राहकों को 188 करोड़ रूपए की संग्रहण मजदूरी दी गई है तथा 156 करोड़ रूपए का बोनस बांटा जाएगा। तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को इस वर्ष भी नि:शुल्क चरण पादुका तथा जनश्री बीमा योजना का लाभ दिया जा रहा है।
  • वन सुरक्षा में जनता की भागीदारी :- संयुक्त वन प्रबंधन योजना के तहत राज्य में वन क्षेत्रों की सीमा से पांच किलोमीटर भीतर के लगभग ग्यारह हजार गांव शामिल। इन गांवों के 27 लाख 63 हजार ग्रामीणों को सदस्य बनाकर सात हजार 887 वन प्रबंध समितियों का गठन।
  • कृषक जीवन ज्योति योजना :- किसानों को तीन हार्सपावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली और तीन से पांच हार्स पावर तक के सिंचाई पम्पों को साढ़े सात हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क। किसानों को मीटर किराया, फिक्सड चार्जेस और विद्युत शुल्क आदि के भुगतान से छूट।
  • माह जनवरी 2008 से देश का पहला विद्युत कटौती मुक्त राज्य।
  • ग्राम सुराज अभियान :- प्रदेश के लगभग 20 हजार गांवों में जनसमस्याओं के निराकरण की ठोस पहल।
  • भू-जल संरक्षण महाअभियान :- गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में संचित करने का विशेष अभियान। नदियों और तालाबों की सफाई तथा गहरीकरण में उत्साहजनक जनभागीदारी।
  • हरियर छत्तीसगढ़ अभियान :- इस वर्ष सात करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा रहे हैं।
  • रोजगार के नये अवसर :- पुलिस बल में 27 हजार भर्तियां। हर वर्ष तीन हजार से चार हजार जवानों की भर्ती। शिक्षाकर्मी के पद पर की गयी एक लाख युवाओं की भर्ती। इसी तरह अन्य कई विभागों में हजारों की संख्या में लोगों को दी गयी नौकरी। छत्तीसगढ़ सहायक सशस्त्र पुलिस बल के गठन का निर्णय। सात हजार पद स्वीकृत। प्रत्येक चयनित सहायक आरक्षक को 6900 रूपए का वेतन मिलेगा। सालाना 58 करोड़ रूपए खर्च होंगे। पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के तहत बस्तर एवं सरगुजा संभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए जिला स्तरीय संवर्ग। पिछले आठ वर्षों में राज्य शासन द्वारा लगभग एक लाख 25 हजार युवाओं को सरकारी क्षेत्र में उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा पिछले दो वर्षों में 14 जिला मुख्यालयों में आयोजित रोजगार मेलों में 19 हजार 125 युवाओं को निजी उद्योगों और सेवा क्षेत्र के विभिन्न प्रतिष्ठानों में रोजगार उपलब्ध कराया गया।
  • कौशल विकास मिशन :- राज्य में आगामी बारह वर्ष में (वर्ष 2022 तक) एक करोड़ 25 लाख लोगों को विभिन्न रोजगार मूलक और आमदनी मूलक एक हजार से अधिक व्यवसायों का प्रशिक्षण देकर कुशल मानव संसाधन के रूप में तैयार करने का लक्ष्य।
  • तकनीकी शिक्षा का विस्तार :- इसके लिए निजी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। प्रदेश में विगत आठ वर्ष में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं की संख्या 61 से बढ़कर 116 तक पहुंची। पॉलेटेक्निक संस्थान दस से बढ़कर 23 (तीन निजी) हो गए। इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बारह से बढ़कर 50 तक पहुंच गयी। इनमें 45 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज भी शामिल।
  • श्रमिक कल्याण :- भवन निर्माण और उससे संबंधित 38 विभिन्न सेक्टरों में कार्यरत लगभग आठ लाख श्रमिकों के लिए नवीन योजनाओं की शुरूआत। असंगठित श्रमिकों को दिया जा रहा है इन योजनाओं का लाभ। इसके लिए श्रमिकों का पंजीयन जारी। महिला श्रमिकों को सायकल और सिलाई मशीन तथा पुरूष श्रमिकों को औजार भी दिए जा रहे हैं। उनके लिए विश्वकर्मा दुर्घटना बीमा योजना शुरू की गई है। 
  • मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना :- गरीब परिवारों के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का नि:शुल्क इलाज और ऑपरेशन सरकारी खर्च पर। अब तक दो हजार बच्चों को मिला इस योजना का लाभ।
  • मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना :- कॉक्लीयर इम्प्लांट के लिए गरीब परिवारों के मूक-बधिर बच्चों के नि:शुल्क ऑपरेशन की व्यवस्था।
  • ऑपरेशन मुस्कान :- आदिवासी क्षेत्रों और नक्सल हिंसा ग्रस्त जिलों में निवास कर रहे कटे-फटे होंठो और तालू की विकृतियों से पीड़ित मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से अप्रैल 2010 से संचालित 'ऑपरेशन मुस्कान' योजना को शानदार सफलता मिली है। इस योजना के तहत राजधानी रायपुर स्थित प्लास्टिक सर्जन डॉ. सुनील कालड़ा के अस्पताल में अब तक पांच हजार 322 नि:शुल्क ऑपरेशनों के जरिए बच्चों और वयस्क मरीजों के चेहरों पर मुस्कुराहट बिखेरकर एक नया कीर्तिमान बनाया गया है। इस दौरान छह महीने से लेकर साठ वर्ष या उससे भी अधिक उम्र के इन मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी न्यूयॉर्क (अमेरिका )की प्रसिध्द समाजसेवी संस्था 'स्माइल ट्रेन' के सहयोग से उनके अस्पताल में की गयी है।
  • संजीवनी कोष :- गरीबी रेखा श्रेणी के लोगों को तेरह प्रमुख चिन्हांकित बीमारियों के इलाज के लिए राज्य शासन द्वारा आर्थिक सहायता।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
  • राज्य के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था में जनभागीदारी के लिए जीवनदीप समितियों का गठन।
  • मुख्यमंत्री शहरी स्वास्थ्य कार्यक्रम & प्रदेश के सभी ग्यारह नगर निगम क्षेत्रों में मलिन बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैय्या कराने के लिए मुख्यमंत्री शहरी स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरूआत। पांच हजार बस्तियों में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले जा रहे हैें। मुख्यमंत्री ने 9 मई 2012 को राजनांदगांव में इस योजना का शुभारंभ किया।
  • शिशु और मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी :- बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और आंगनबाड़ी सेवाओं के फलस्वरूप पिछले छह वर्षों में छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर में देश में सर्वाधिक कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2003 के बाद शिशु मृत्यु दर 95 से घटकर वर्ष 2010-11 में 51 प्रति हजार और मातृ मृत्यु दर 407 से घटकर 269 प्रति लाख हो गई है। प्रदेश में संस्थागत प्रसव दर 18 से बढ़कर 61 प्रतिशत हो गयी है।
  • कुपोषण मुक्ति की ठोस पहल :- राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है। इसके तहत ''मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना'' और नवा जतन योजना के अंतर्गत गंभीर कुपोषित बच्चों को खोजकर उनकी उचित देखभाल की जा रही है, जिसके कारण बच्चों के स्वास्थ्य में काफी सुधार आया है। शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को भी पूरक पोषण आहार देने के लिए ''सबला योजना'' प्रारंभ की गई है।
  • आंगनवाड़ी केन्द्रों की संख्या :- राज्य में 43 हजार 48 आंगनवाड़ी केन्द्र और 5955 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नि:शुल्क सायकल देने का वायदा भी इस वर्ष पूरा किया जा चुका है।
  • भू अधिग्रहण के प्रकरणों में मुआवजे की राशि पति एवं पत्नी दोनों के संयुक्त खाते में जमा की जाएगी। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की अटल आवास योजना, अटल विहार योजना सहित सभी योजनाओं में तथा राज्य शासन की मदद से रियायती दरों पर दिये जाने वाले आवासों एवं भू-खण्डों के पंजीकरण पति-पत्नी के संयुक्त नाम से किये जाएंगे।
  • सरस्वती सायकल प्रदाय योजना :- इस योजना के कारण हाईस्कूल में बालकों की तुलना में बालिकाओं का प्रतिशत 65 से बढ़कर 93 हो गया है।
  • अनुसूचित जातियों-जनजातियों की बेहतरी के बेहतर प्रयास । सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र और बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का गठन। अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की स्थापना।
  • छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण विकास प्राधिकरण का गठन- राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2012 में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण विकास प्राधिकरण का गठन किया गया, जिसमें बस्तर और सरगुजा प्राधिकरण तथा अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के कार्य-क्षेत्र के बाहर के सभी 61 सामान्य विकासखंडों के ग्रामीण क्षेत्रों और नगर पंचायत क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसे मिला कर कुल चार प्राधिकरणों का गठन, चारों प्राधिकरणों के लिए वर्ष में 155 करोड़ रुपए से अधिक राशि का बजट प्रावधान किया जाता है।
  • विकास प्राधिकरणों द्वारा करोड़ों रुपए की लागत के कार्य :- राज्य में अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास के लिए वार्षिक बजट में उनकी जनसंख्या के प्रतिशत के अनुपात से ज्यादा राशि का प्रावधान किया है। इन अंचलों में विकास की गति तेज करने, स्थानीय जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए तीन विशेष विकास प्राधिकरणों-सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र तथा बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण और अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का गठन, जिनके माध्यम से वार्षिक बजट के बाहर भी करोड़ों रूपए की लागत के निर्माण कार्य कराए गए हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का बेहतर इस्तेमाल करने वाले अग्रणी राज्यों में छत्तीसगढ़ प्रमुख है।
  • उपरोक्त तीनों विशेष प्राधिकरणों द्वारा किसानों के असाध्य सिंचाई पम्पों के लिए अनुदान के अलावा विद्युत कनेक्शन में लगने वाली शेष राशि का भी भुगतान किया जा रहा है। विगत पांच वर्ष में तीनों प्राधिकरणों के जिलों में तीन हजार 881 असाध्य पम्पों को बिजली का कनेक्शन देने के लिए 32 करोड़ 89 लाख मंजूर किए गए। अब तक तीन हजार 230 किसानों के असाध्य सिंचाई पम्पों को कनेक्शन दिया जा चुका है। शेष  कनेक्शनों के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
  • तीन विशेष प्राधिकरणों द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष 2011-12 में बजट का लगभग शत-प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित किया गया। इन तीनों प्राधिकरणों में इस अवधि के लिए 125 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया था। बजट प्रावधानों का उपयोग करते हुए 124 करोड़ 94 लाख 52 हजार रूपए की लागत से दो हजार 620 विकास और निर्माण कार्यों को इस दौरान पूर्ण किया गया।
  • शहीद पुलिस कर्मियों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि अब 15 लाख रूपए :- नक्सल हिंसा में शहीद पुलिस कर्मियों के परिवार में शासकीय सेवक के होते हुए भी किसी एक सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति देने का फैसला। शहीद पुलिस कर्मियों की एक्सग्रेसिया राशि पांच लाख से बढ़ाकर 15 लाख रूपए कर दी गई है।
  • पेयजल सुविधा :- प्रदेश में अब तक 72 हजार से अधिक ग्रामीण बसाहटों में दो लाख 26 हजार हैण्डपम्प लगाए जा चुके हैं। विगत एक दशक में राज्य में ग्रामीण नल-जल योजनाओं की संख्या 654 से बढ़कर एक हजार 828 और ग्रामीण स्थल जल प्रदाय योजनाओं की संख्या 286 से बढ़कर दो हजार 28 तक पहुंच गयी है।
  • स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता के राष्ट्रीय मापदण्ड के अनुसार प्रत्येक 250 की जनसंख्या पर एक हैण्डपम्प होना चाहिए, जबकि छत्तीसगढ़ में कुशल प्रबंधन के फलस्वरूप अब सिर्फ प्रत्येक 80 की जनसंख्या पर एक हैण्ड पम्प की सेवा उपलब्ध हो रही है। इस प्रकार जनता को पेयजल आपूर्ति के मामले में छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी आगे चल रहा है।
  • उन्नीस लाख 25 हजार से अधिक घरों में बनवाए गए स्वच्छ शौचालय :- स्वच्छता परिसरों के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। शालाओं में लक्ष्य का 93 प्रतिशत, आंगनवाड़ियों में 96 प्रतिशत निर्माण पूरा किया जा चुका है। लगभग 19.25 लाख से अधिक परिवारों के लिए स्वच्छ शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। इनमें दस लाख 79 हजार से अधिक बीपीएल तथा आठ लाख 46 हजार से अधिक एपीएल परिवार शामिल हैं।
  • वन अधिकार मान्यता पत्र :- अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम के अंतर्गत दो लाख 18 हजार से अधिक परिवारों को वन अधिकार मान्यता पत्र देकर, इस मामले में भी छत्तीसगढ़ देश में अव्वल स्थान पर है। उन्हें खेती-किसानी सहित अन्य सभी योजनाओं के लिए भी सहायता दी जा रही है। अब ये मान्यता पत्र धारक वनवासी किसानों की श्रेणी में आ गए हैं, जिन्हें कृषि उपज मंडी समितियों में मतदाता के रूप में शामिल करने का भी निर्णय लिया जा चुका है।
  • वनवासियों की आमदनी बढ़ाने के प्रयास जारी :- कमार एवं अन्य जनजाति परिवारों की आय बढ़ाने के लिए 15 बांस आधारित प्रसंस्करण केन्द्रों की स्थापना की गई है। लाख उत्पादन में वृध्दि के कारण ग्रामीणों को सात करोड़ रूपए की अतिरिक्त आय हुई है। लकड़ी एवं बांस के लाभांश के रूप में लगभग 100 करोड़ रूपए गांवों में अधोसंरचना विकास के लिए दिए गए हैं। लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के जरिए वनवासियों की आमदनी बढ़ाने के अनेक उपाय किए जा रहे हैं।
  • अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम :- राजधानी रायपुर के समीप ग्राम परसदा में लगभग 21 एकड़ के रकबे में 98 करोड़ 45 लाख रूपए की लागत से अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण पूर्ण। करीब 60 हजार दर्शकों की बैठक क्षमता। रायपुर शहर में भी इंडोर स्टेडियम का निर्माण पूरा किया गया।
  • प्रदेश के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित कर उन्हें शासकीय नौकरी  प्रदान करने की नीति बनाई गई है।
  • यह राज्य के लिए गौरव का विषय है कि हमने 37वें राष्ट्रीय खेल की मेजबानी का जिम्मा लिया है। जिससे खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, खेल अधोसंरचना और उत्साहजनक वातावरण का विकास होगा।
  • छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने हर साल 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती (राष्ट्रीय खेल दिवस) के अवसर पर राज्य के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को खेल अलंकरणों से सम्मानित करने की एक नई शुरूआत की है।
  • सड़क नेटवर्क का हुआ विस्तार :- आठ वर्षों में 41 हजार 441 किलोमीटर मार्गों का उन्नयन और इन मार्गों में 16 हजार पुल-पुलियों का निर्माण किया गया। इस दौरान 884 पुलों का निर्माण पूर्ण किया गया और 2723 नये भवन बनाए गए। इस अवधि में नौ रेल्वे ओव्हर ब्रिज एवं एक अण्डर ब्रिज का निर्माण पूर्ण किया गया। छह रेल्वे ओव्हर ब्रिज का निर्माण प्रगति पर। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में शामिल नहीं हो सकने वाले क्षेत्रों को अच्छी सड़कों से जोड़ने के लिए 'मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना' शुरु। इसके तहत चार हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण लगभग दो हजार करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा।
  • पांच सौ किलोमीटर आंतरिक ग्रामीण सड़कों का उन्नयन सीमेंट कांक्रीट सड़क के रुप में किया गया। प्रथम चरण में एक हजार 175 किलोमीटर प्रमुख जिला सड़कों और राज्यमार्ग का उन्नयन एशियन विकास बैंक के सहयोग से किया गया। दूसरे चरण में 935 किलोमीटर प्रमुख जिला सड़कों और राज्यमार्ग का उन्नयन किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत राज्य में अब तक लगभग 20 हजार किलो मीटर सड़कें, करीब 22 हजार पुल-पुलियों का निर्माण।
  • पिछले वर्ष राज्य मद की ''छत्तीसगढ़ राज्य सड़क विकास परियोजना के जरिये लगभग चार हजार किलो मीटर सड़कें बनाई गई।  
  • यात्री बसों और मार्गों की संख्या में भारी वृध्दि :- पहले छत्ताीसगढ़ में मात्र 117 मार्गों पर राज्य परिवहन निगम की एवं निजी बसें चलती थीं। आम जनता को बेहतर परिवहन की सुविधा देने के लिए निजी क्षेत्र के सहयोग से एक हजार 870 मार्गों पर यात्री वाहन चलाने की व्यवस्था की गयी है।
  •   गरीबों के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने आमदनी सीमा में वृद्धि:- अब एक लाख रुपए तक वार्षिक आमदनी वाले लोगों को भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों से मिलेगी नि:शुल्क कानूनी सहायता। अब तक अधिकतम पचास हजार रुपए वार्षिक आय सीमा वाले लोगों को यह पात्रता थी। राज्य सरकार ने 24 जून 2011 से यह सीमा दोगुनी कर दी है।
  •   पहली बार कृषि बजट- वर्ष 2012-13 में पहली बार कृषि बजट पेश किया गया। कृषि बजट के लिये कुल 6,244 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो कि कुल बजट का 17 प्रतिशत है। इसमें कृषि एवं उद्यानिकी के लिये 1,472 करोड़, पशु पालन के लिये 275 करोड़, सहकारिता के लिये 271 करोड़, सिंचाई के लिये 1,848 करोड़, समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न उपार्जन के लिये 1,452 करोड़, ऊर्जा हेतु 337 करोड़ प्रमुख है। वर्ष 2011-12 में इन योजनाओं के लिये कुल 5,155 करोड़ का प्रावधान था। वर्ष 2012-13 में इसमें 21 प्रतिशत की वृध्दि की गई है।
  •   मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना- खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ अब स्वास्थ्य सुरक्षा के लोकव्यापीकरण के उद्देश्य से राज्य के सभी 56 लाख परिवारों को बिना किसी जाति, वर्ग और आय बंधन के नि:शुल्क स्वास्थ्य बीमा सुविधा उपलब्ध कराने का निश्चय । इस हेतु ''मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना'' प्रारंभ की जायेगी। योजना के तहत चिन्हित शासकीय और निजी अस्पतालों में एक वर्ष में तीस हजार रुपए तक का नि:शुल्क इलाज कराया जा सकेगा। योजना के क्रियान्वयन के लिए बजट में 60 करोड़ का प्रावधान। मुख्यमंत्री ने 21 अक्टूबर 2012 को दुर्ग से मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारंभ किया। वर्तमान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत प्रदेश के 24 लाख बी.पी.एल. एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिक परिवारों को नि:शुल्क उपचार सुविधा प्रदान की जा रही है।
  •   राज्य के सभी शासकीय जिला अस्पतालों में भारतीय रेडक्रास सोसायटी द्वारा संचालित दवा दुकानों में शत-प्रतिशत जेनेरिक दवाईयां बेचने के निर्देश। मरीजों को जीवन रक्षक दवाओं सहित हर प्रकार की दवाई काफी सस्ती दरों पर मिलेंगी। जेनेरिक दवाईयां वर्तमान में बिक रही ब्रांडेड दवाओं की तुलना में कम से कम तीस से चालीस प्रतिशत सस्ती होती हैं और उनका प्रभाव भी ब्रांडेड दवाओं की तरह होता है।
  •   ''108 संजीवनी एक्सप्रेस'' की संख्या 172 से बढ़ाकर 240 की जायेगी।
  •   सतहत्तर विकासखण्डों के दूरस्थ अंचलों में तीस चलित चिकित्सा इकाइयां संचालित की जा रही है।
  •   मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना-प्रदेश के ग्रामों की मुख्य आंतरिक सड़क को सीमेंट कांक्रीट सड़क के रूप में विकसित करने के लिए ''मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना''। प्रथम चरण में 1,000 गांवों में योजना क्रियान्वित की जायेगी। ढाई सौ करोड़ रूपए की लागत से पांच सौ किलो मीटर सड़कें बनाने का लक्ष्य।
  •   विकासखण्ड मुख्यालयों में पंचायत पदाधिकारियों के ठहरने के लिए ''सरपंच सदन'' बनाये जायेंगे। मुख्यमंत्री जनपद सशक्तिकरण योजना के तहत प्रत्येक जनपद पंचायत को अपने क्षेत्र के गांवो में आवश्यक निर्माण तथा संधारण कार्यों के लिए एक करोड़ रूपए की राशि दी जायेगी।
  •   छत्तीसगढ़ में बनेंगे तीन रेल कारीडोर -छत्तीसगढ़ में यात्री रेल सुविधाओं के विकास के लिए चार हजार 362 करोड़ रू की लागत वाले 452 किलोमीटर लम्बाई के तीन यात्री रेल कारीडोर के निर्माण के एम.ओ.यू.। रेलवे द्वारा पी.पी.पी. मॉडल पर किया जाने वाला इस तरह का यह देष में पहला काम है। एम.ओ.यू. के अनुसार उत्तरी छत्तीसगढ़ में बनने वाले तीन रेल कारीडोर में पूर्व रेल कारीडोर में भूपदेवपुर - घरघोड़ा - धरमजयगढ़ - कोरबा एवं घरघोड़ा से डोंगामौहा शाखा लाईन शामिल है। इसकी अनुमानित लंबाई 180 कि.मी. एवं अनुमानित लागत लगभग 2000 करोड़ रूपये है। इस कारीडोर का 63 कि.मी का प्रारंभिक सर्वे पूर्ण हो चुका है। इसी तरह उत्तर कारीडोर मेंसूरजपुर-परसा- कटघोरा- कोरबा शामिल है। इसकी अनुमानित लागत 1800 करोड़ रूपये और अनुमानित लंबाई 150 कि.मी. है। इसमें से 77 कि.मी. का प्रारंभिक सर्वे पूर्ण हो चुका है। पूर्व-पश्चिम कारीडोर में गेवरा रोड-दीपिका-कटघोरा-सिंदूरगढ़- पसान-पेण्ड्रा रोड शामिल हैं। इसकी अनुमानित लंबाई 122 कि.मी. और अनुमानित लागत 863 करोड़ रूपये है। इसमें से 122 कि.मी. का सर्वे पूर्ण हो चुका है। इस रेल कॉरीडोर के बनने से रायगढ़ जिले के घरघोड़ा , धमजयगढ़, कोरबा जिला के कटघोरा , पसान सिंदूरगढ़ एवं सूरजपुर जिले के परसा एवं सूरजपुर नगर जुड़ेगें। इसी प्रकार रायगढ़ , जषपुर , कोरबा ,बिलासपुर , सरगुजा , सूरजपुर एवं बलरामपुर जिले के लोगों को सीधे या पास के स्टेषन से रेल सुविधा प्राप्त होगी तथा इन पिछड़े क्षेत्रों का विकास होगा। छत्तीसगढ़ में वर्तमान में रेलवे की 1188 कि.मी. रूट लाईन है। छत्तीसगढ़ में विगत वर्षो में मात्र 19 कि.मी. रेलवे रूट लाईन का विस्तार हुआ है। प्रस्तावित 452 कि.मी. लाईन बनने से 38 प्रतिशत रेलवे रूट लाईन की बढ़ोत्तरी होगी।
  • मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के समक्ष तीन नवम्बर 2012 को नया रायपुर में दो दिवसीय विश्व निवेशक सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ में दो रेल कॉरिडोर परियोजनाओं के लिए परस्पर सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह स्वतंत्र भारत में पहली ऐसी रेल परियोजना होगी, जिसका निर्माण सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल में किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि दोनों रेल कॉरिडोर के निर्माण में 4000 करोड़ रूपए से ज्यादा पूंजी निवेश अनुमानित है। इनमें से एक कॉरिडोर का निर्माण पूर्वी कॉरिडोर के रूप में भूपदेवपुर-घरघोड़ा-धरमजयगढ़ होते हुए कोरबा तक 180 किलोमीटर की होगी। दूसरा कॉरिडोर पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर के रूप में गेवरा रोड से पेण्ड्रा रोड तक दीपका, कटघोरा, सिन्दुरगढ़ और पसान होते हुए बनाया जाएगा। इसकी लम्बाई 122 किलोमीटर होगी। दोनों दोनों रेल मार्गो पर यात्री ट्रेन की सुविधा भी मिलेगी और माल परिवहन भी किया जा सकेगा। यह एम.ओ.यू. छत्तीसगढ़ सरकार तथा भारत सरकार के उपक्रम कोल इंडिया लिमिटेड की सार्वजनिक कम्पनी दक्षिण-पूर्वी कोयला प्रक्षेत्र लिमिटेड (एसईसीएल) तथा इरकॉन इन्टरनेशनल कम्पनी लिमिटेड के बीच किया गया।
  •   छत्तीसगढ़ में राज्य शासन द्वारा शिक्षा पर प्रति व्यक्ति खर्च राष्ट्रीय औसत से ज्यादा (महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक की रिपोर्ट वर्ष 2010-11)।
  •   चार प्रतिशत ब्याज दर पर शिक्षा ऋण-प्रदेश में दो लाख रुपए तक वार्षिक आमदनी वाले परिवारों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए मात्र चार प्रतिशत ब्याज पर शिक्षा ऋण देने का निर्णय।
  •   कक्षा पहली से दसवीं तक सभी बच्चों को नि:शुल्क पाठयपुस्तक वितरण।
  •   सरस्वती सायकल प्रदाय योजना के तहत अनुसूचित जातियों, जनजातियों सहित गरीबी रेखा श्रेणी के ओ.बी.सी. परिवारों की बालिकाओं को हाई स्कूल स्तर पर नि:शुल्क सायकल वितरण।
  •   विगत पांच वर्ष में एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती।
  •   कक्षा नवमी से बारहवीं तक बच्चों को नि:शुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण।
  •   अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास - आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय स्कूलों और छात्रावासों की संख्या एक हजार 156 से बढ़कर एक हजार 851 तक पहुंची।
  •   आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या में ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि में 200 प्रतिशत की वृध्दि।
  •   आदिवासी उप योजना क्षेत्र के जिलों में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए पांच सौ सीटों वाले छात्रावास निर्माण की योजना।
  •   मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना :- नक्सल हिंसा पीड़ित इलाकों के बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण देने की नयी पहल। इस योजना के तहत राजधानी रायपुर में ग्यारहवीं-बारहवीं के बालकों के लिए जुलाई 2010 में प्रयास आवासीय विद्यालय की स्थापना। उन्हें अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी दी गयी विशेष कोचिंग। वर्ष 2012 में मिला उत्साहजनक परिणाम - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) और अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में डेढ़ सौ से ज्यादा बालकों का चयन। इस वर्ष से बालिकाओं के लिए भी प्रयास आवासीय विद्यालय की शुरूआत।
  •   राष्ट्रीय राजधानी में यूथ हॉस्टल :- छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति और जनजाति के युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए नई दिल्ली में विशेष सुविधा देने 14 करोड़ 26 लाख रूपए की लागत से आदिवासी यूथ हॉस्टल का भवन निर्माण। विगत 03 जुलाई 2012 को हुआ लोकार्पण।
  •   वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत छत्तीसगढ़ में दो लाख 18 हजार वनवासी परिवारों को दिए गए वन अधिकार मान्यता पत्र। उन्हें खेती के लिए राज्य शासन की ओर से खाद और बीजों का वितरण। इनमें से 63 हजार परिवारों को इंदिरा आवास योजना के तहत मकान देने की तैयारी।
  •   सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग में देश का अग्रणी राज्य-छत्तीसगढ़ में देश की सबसे बड़ी ओपन सोर्स पर आधारित सूचना प्रौद्योगिकी परियोजना 'चॉईस' क्रियान्वित की जा रही है। चॉईस देश की पहली परियोजना है, जिसके तहत आम जनता को चॉईस सेंटर के माध्यम से नागरिक सेवाएं प्रदान की जा रही है। छत्तीसगढ़ ई-प्रोक्योरमेंट लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य है। इस योजना के माध्यम से अब तक लगभग 35 हजार करोड़ से अधिक राशि की निविदाएं जारी की जा चुकी है। छत्तीसगढ़ आई. टी. रोड मेप तैयार करने वाला देश का पहला राज्य है। यहां राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। इनमें समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि प्रमुख है। सूचना प्रौद्योगिकी की पहुंच गांव-गांव तक सुनिश्चित करने के लिए स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। राज्य के 3800 सरकारी कार्यालय नेटवर्क से जुड़े। इन सारी योजनाओं का लाभ अब आम नागरिकों को मिलने लगा है।
  •   छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा अब तक लगभग तीन लाख अठारह हजार निर्माण श्रमिकों का पंजीयन कर उन्हें मण्डल द्वारा संचालित सोलह योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मण्डल द्वारा उन्चास प्रकार का काम करने वाले श्रमिकों को आधा दर्जन योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है।
  •   वित्तीय वर्ष 2011-12 में राज्य में पन्द्रह सौ चौसठ सूक्ष्म लघु उद्योगों की स्थापना हुई, दौ सौ इकतालिस करोड़ रूपए का स्थायी पूंजी निवेश हुआ।
  •   नगरीय निकायों में जल तथा विद्युत संबंधी समस्याओं के शीघ्र समाधान हेतु निदान-1100 टोल-फ्री सुविधा प्रदान की गई है। शहरों तथा कस्बों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों द्वारा बनाये जाने वाले आवासों को पंजीयन शुल्क तथा स्टाम्प डयूटी से मुक्त किया गया है।
  •   छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34 के अन्तर्गत आदिवासी उपयोजना क्षेत्रों में आदिवासियों के विरूध्द 31 दिसम्बर 2011 तक दर्ज प्रकरण समाप्त करने का निर्णय।
  •   कन्यादान योजना :- वर्ष 2005-06 से प्रारंभ हुई इस योजना के तहत अब तक लगभग 40 हजार कन्याओं का विवाह। मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के 34 लाख परिवारों को योजना का लाभ मिलेगा। अब तक योजना में वर्ष 2007 की गरीबी रेखा की सूची में शामिल लोगों को ही फायदा मिलता था। अब उन सभी परिवारों को पात्रता होगी, जो वर्ष 2007, वर्ष 1997 और वर्ष 2002 की गरीबी रेखा सूची में शामिल हैं।
  •   किसानों के हित में एक और फैसला :- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के लगभग 15 लाख किसानों के व्यापक हित में तीन सितम्बर 2012 को एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लिया। इस निर्णय के तहत जल संसाधन विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ में एक हजार एकड़ या उससे अधिक सिंचाई क्षमता वाली नहरों अथवा पांच लाख रूपए या उससे अधिक लागत से निर्मित नहरों के कमाण्ड क्षेत्र में आने वाले सभी स्थायी भू-स्वामियों से समुन्नति अंशदान (बेटरमेंट लेवी) वसूली अब नहीं की जाएगी। यह निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित केबिनेट की बैठक में लिया गया।
  •   अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर 08 सितम्बर 2012 को छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर अपना परचम लहराया। राज्य के अविभाजित सरगुजा जिले को 'साक्षर भारत राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। उप राष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी ने लखनऊ के डॉ. भीमराव अम्बेडकर सभागृह में आयोजित समारोह में सरगुजा जिले को इस पुरस्कार से नवाजा। समारोह में छत्तीसगढ़ के ही कोरिया जिले की घाघरा ग्राम पंचायत को भी साक्षर भारत पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समारोह में सर्वश्रेष्ठ राज्य संसाधन केन्द्र का पुरस्कार भी छत्तीसगढ़ के राज्य संसाधन केन्द्र रायपुर को मिला। यह चौथा वर्ष है, जब छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले को राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा साक्षरता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसके पहले वर्ष 2008 में भी जिले को यह पुरस्कार मिल चुका है, जबकि वर्ष 2010 में सरगुजा जिले की ग्राम पंचायत कोयलारी (विकासखंड लुण्ड्रा) और वर्ष 2011 में अविभाजित सरगुजा जिले के विकासखंड सूरजपुर को 'सत्येन मैत्रा स्मृति राष्ट्रीय साक्षरता पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। सरगुजा जिले की साक्षरता दर वर्ष 2001 में 55.15 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011 में 61.16 प्रतिशत हो गई है।
  •   राज्य श्रम दिवस समारोह 17 सितंबर 2012 को छत्तीसगढ़ के लाखों असंगठित भवन निर्माण मजदूरों के लिए देश की पहली पेंशन योजना का शुभारंभ। प्रदेश के असंगठित श्रमिकों के लिए चार नवीन योजनाओं का शुभारंभ। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाने की चिंता करते हुए उनके लिए कई प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत की और योजनाओं के लिए राज्य सरकार ने लगभग डेढ़ सौ करोड़ रूपए की धनराशि अलग से निर्धारित कर दी है। लगभग नौ लाख निर्माण श्रमिकों को इन योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उनके पंजीयन की प्रक्रिया श्रम विभाग ने शुरू कर दी है। अब तक लगभग साढ़े तीन लाख श्रमिकों का पंजीयन हो चुका है और उनमें से करीब दो लाख 18 हजार श्रमिकों को इन योजनाओं में शामिल कर 18 करोड़ 76 लाख रूपए की धनराशि का लाभ उन्हें दिलाया गया है। असंगठित भवन निर्माण श्रमिकों के लिए शुरू की गई पेंशन योजना मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक स्वावलम्बन पेंशन योजना के नाम से संचालित की जाएगी। इसका संचालन श्रम विभाग के उपक्रम छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा किया जाएगा।  मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक स्वावलम्बन पेंशन योजना में 18 वर्ष से लेकर 55 वर्ष तक आयु समूह  के सभी निर्माण श्रमिकों को शामिल किया जाएगा। प्रत्येक श्रमिक का वार्षिक न्यूनतम अंशदान दो सौ रूपए होगा और 50 वर्ष की आयु पूर्ण करने या उसके पूर्व भी उसे कम से कम एक हजार रूपए की मासिक पेंशन मिलेगी। इस मौके पर भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की ओर से मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर कौशल विकास एवं परिवार सशक्तिकरण योजना का भी शुभारंभ किया। इस योजना के तहत 18 वर्ष से 50 वर्ष तक आयु समूह के निर्माण मजदूरों की व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने के लिए उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षित होने के बाद उन्हें कुशल कामगार का प्रमाण पत्र मिलेगा, जिसके आधार पर उन्हें अधिक मजदूरी प्राप्त हो सकेगी। छत्तीसगढ़ असगंठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल की दो नवीन योजनाओं का भी शुभारंभ किया। इनमें समाचार पत्र वितरण कार्य से जुड़े लगभग पांच हजार हॉकरों के लिए मुख्यमंत्री असंगठित कर्मकार समाचार पत्र हॉकर सायकल सहायता योजना और असंगठित कामगारों के लिए मुख्यमंत्री असंगठित कर्मकार बीमा योजना शामिल है।
  •   मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना -गरीबी रेखा श्रेणी के 60 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों को छत्तीसगढ़ सरकार शासकीय खर्च पर तीर्थ यात्रा कराएगी। प्रथम चरण में 20 हजार बुजुर्गों को सरकारी खर्च पर तीर्थयात्रा में भेजने का लक्ष्य है। नया रायपुर में 16 नवम्बर को मंत्रालय में छत्ताीसगढ़ मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के लिए राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग और भारतीय रेल्वे के अधिकारियों ने परस्पर सहमति ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए गए। योजना के तहत राज्य में 60 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र के शारीरिक रूप से सक्षम वरिष्ठ नागरिकों को उनके जीवन काल में एक बार प्रदेश के बाहर स्थित सोलह तीर्थ समूहों में से एक या एक से अधिक तीर्थों की सामूहिक यात्रा शासकीय सहायता से करायी जाएगी। इनमें अस्सी प्रतिशत नागरिक बी.पी.एल. अंत्योदय और मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के हितग्राही होंगे। शेष बीस प्रतिशत हितग्राही गरीबी रेखा के ऊपर के ऐसे वरिष्ठ नागरिक होंगे, जो आयकर दाता नहीं हो। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों से 75 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों से 25 प्रतिशत हितग्राहियों का चयन किया जाएगा। यह योजना छत्तीसगढ़ राज्य के निवासियों के लिए होगी। इस योजना में हर साल प्रत्येक चयनित हितग्राही पर 18 हजार रूपए का खर्च अनुमानित है। इस प्रकार सालाना लगभग 36 करोड़ रूपए की धनराशि इस योजना में खर्च की जाएगी।
  •   छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सफलता का पचरम लहराया है। इस प्रणाली के अंतर्गत राजधानी रायपुर की 148 राशन दुकानों में स्मार्ट कार्ड के आधार पर राशन कार्डधारकों के लिए शुरू की गई कोर पी.डी.एस. परियोजना को स्कॉच डिजिटल इनक्लूजन एवार्ड 2012 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। कोर पी.डी.एस. परियोजना लागू होने के बाद रायपुर शहर में 72 हजार बी.पी.एल. स्मार्ट कार्ड धारक परिवारों को इन 148 राशन दुकानों और तीन चलित राशन दुकानों में से अपनी मर्जी की किसी भी दुकान से राशन सामग्री प्राप्त करने की सुविधा मिल रही है। ए.पी.एल. राशनकार्ड धारक भी अपने मोबाइल नम्बर का पंजीयन करवाने के बाद इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अब तक आधा दर्जन राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ की कोर पी.डी.एस. परियोजना को  नई दिल्ली में इस महीने की 18 तारीख को केन्द्रीय कानून मंत्री श्री सल्मान खुर्शीद, आधार परियोजना के अध्यक्ष श्री नंदन नीलकणी और विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आयोजित समारोह में स्कॉच डिजिटल इनक्लूजन अवार्ड 2012 से सम्मानित किया गया। केन्द्रीय सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव श्री जे. सत्यनारायण के हाथों छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से खाद्य सचिव श्री विकासशील ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।
  •  अंतर्राष्ट्रीय निवेशक सम्मेलन- राज्य निर्माण की बारहवीं वर्षगांठ पर राज्य सरकार द्वारा नया रायपुर में दो और तीन नवम्बर 2012 को आयोजित सम्मेलन लघु वनोपज, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी, शहरी अधोसंरचना विकास जैसे डाउन स्ट्रीम के प्रदूषण रहित और पर्यावरण हितैषी उद्योगों के लिए पूरे देश में अपने किस्म का पहला निवेशक सम्मेलन था। इस सम्मेलन में गैर कोर सेक्टर के इन उद्योगों के लिए निवेशकों के साथ 272 परस्पर सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें निवेशकों द्वारा एक लाख 23 हजार 953 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश कर अपने उद्योग लगाए जाएंगे। इन उद्योगों में छत्तीसगढ़ के छह लाख 21 हजार 670 युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के व्यापक अवसर मिलेंगे।
  •   मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया ने छत्तीसगढ़ में कम्प्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने और शासन-प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं को शामिल कर विभिन्न योजनाओं का त्वरित लाभ आम जनता तक पहुंचाने के प्रयासों के लिए राष्ट्रीय ई-रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री को 5 नवम्बर 2012 को रायपुर में भारत के एक लाख आई.टी. प्रोफेशनलों की लगभग 45 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय संस्था कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित चौथे राष्ट्रीय ई-ज्ञान शिखर सम्मेलन में यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
  •   राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने 06 नवम्बर को अपने दो दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निकट राज्य की प्रशासनिक राजधानी के रुप में विकसित किए जा रहे नये शहर 'नया रायपुर' में लगभग 332 हेक्टेयर में विस्तृत केपिटल कॉम्पलेक्स स्थित मंत्रालय भवन का लोकार्पण किया।
  •   राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने 7 नवम्बर 2012 को राजधानी रायपुर के माना स्थित स्वामी विवेकानंद विमानतल में 135 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित विशाल एकीकृत टर्मिनल का लोकार्पण किया।
  •  मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना का शुभारंभ -डॉ. रमन सिंह ने नगर सुराज अभियान के अंतर्गत 19 नवम्बर को राजनांदगांव के लखोली के कार्यक्रम में प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों के लिए मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना के लिए प्रथम चरण में राज्य के सभी दस नगर निगम क्षेत्र शामिल किए गए हैं। इस योजना के लिए चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 में 25 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। योजना के तहत नगर निगमों के वार्डों में विद्युत सुविधाविहीन क्षेत्रों में बिजली के लाईन विस्तार के साथ गरीबी रेखा श्रेणी के परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन देने का भी प्रावधान किया गया है।
  •   ऑन लाइन छात्रवृत्ति देने की शुरुआत-राज्य सरकार द्वारा राज्य में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों की सुविधा की दृष्टि से उन्हें ऑन लाइन छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के तहत प्रथम चरण में पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे लगभग तीन लाख 50 हजार छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा संगी छात्रवृत्ति कार्ड योजना की शुरूआत कर दी गयी है। सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित इस योजना में इंटरनेट की अहम भूमिका होगी। इसके माध्यम से  हाई स्कूलों, हायर सेकेण्डरी स्कूलों और कॉलेजों के इन विद्यार्थियों को सालाना लगभग 90 करोड़ रूपए की पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति 'ऑनलाईन' दी जाएगी। समस्त प्रक्रिया ऑनलाईन होने के कारण् विद्यार्थियों के बैंक खातों में छात्रवृत्ति की राशि हर महीने समय पर जमा हो जाएगी। शिक्षा संगी छात्रवृत्ति कार्ड योजना के लिए यहां मंत्रालय स्थित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एन.आई.सी.) के सहयोग से ऑन लाईन छात्रवृत्ति पोर्टल बनवाया गया है। योजना में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का भी सहयोग लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ के अवसर पर 16 अक्टूबर को दक्षिण बस्तर जिले के मुख्यालय दंतेवाड़ा में दसवीं से बारहवीं तथा कॉलेज स्तर के विद्यार्थियों को ऑन लाईन पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति वितरण के लिए विभाग द्वारा तैयार वेब पोर्टल और शिक्षा संगी छात्रवृत्ति कार्ड योजना का शुभारंभ किया। दूसरे चरण में कक्षा छठवीं से दसवीं तक अध्ययनरत इन वर्गो के प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति की पात्रता रखने वाले लगभग 24 लाख बच्चों को भी इस योजना से जोड़ा जाएगा, जिन्हें सालाना लगभग 83 करोड़ रूपए की छात्रवृत्ति ऑनलाईन दी जाएगी।
आभार http://www.dprcg.gov.in/

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