"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।

रविवार, अगस्त 16, 2020

देश की अखण्डता और आंतरिक सुरक्षा के लिए आम नागरिकों का योगदान भी आवश्यक - श्री हुलेश्वर जोशी

देश की अखण्डता और आंतरिक सुरक्षा के लिए आम नागरिकों का योगदान भी आवश्यक - श्री हुलेश्वर जोशी
स्वतंत्रता दिवस पर विशेष लेख

आज स्वतंत्रता दिवस है, आज ही के दिन सन 1947 को हमारा भारत वर्षों के गुलामी से मुक्त हुआ। स्वतंत्रता दिवस केवल अंग्रेजी साम्राज्य से मुक्त होने का महज फार्मेलिटी नहीं है। स्वतंत्रता दिवस पावन पर्व है, हर भारतीय के लिए उत्सव है, हर धार्मिक सामाजिक उत्सव/त्योहार से बड़ा और महान उत्सव है। स्वतंत्रता दिवस ऐसा पर्व है ऐसा उत्सव है जो हमें मनुष्य होने पहचान और अधिकार देता है। आज पर्व है दासता और गुलामी से मुक्ति का; आज पर्व है समानता और न्याय सहित लाखों प्रकार के अधिकार हासिल करने का। इसलिए यह महज़ अंग्रेजों से आज़ादी का नहीं बल्कि अधिकारों की गारंटी का उत्सव है।

हमारे भारत के लिए, हम भारतीयों के लिए बड़े गर्व का विषय है कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें गुलामी से मुक्त किया और लाखों अधिकार दिए। हमें उनके योगदान और संघर्ष से प्रेरणा लेकर देश के लिए समर्पित रहने की जरूरत आज भी है, आज हमें अपने देश को आजाद रखने के साथ साथ देश के हर नागरिकों को समान अधिकार देने के लिए संकल्प लेकर काम करने की जरूरत है अर्थात जाति, धर्म, समाज अथवा सीमा से परे रहकर सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है।

देश की अखण्डता और संप्रभुता की रक्षा का दायित्व केवल तीनों सेनाओं से ही संभव नही है, बल्कि केंद्रीय और राज्य सशस्त्र बलों, जिला पुलिस बल और विशेष पुलिस अधिकारियों सहित आम नागरिकों के योगदान की भी जरूरत होती है। किसी भी देश की सुरक्षा के लिए विदेशी दुश्मनों, आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और नक्सलवाद से सुरक्षा ही पर्याप्त नहीं है बल्कि आंतरिक सुरक्षा भी अहम है; जिसके लिए प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की जरूरत है।

आम जनता से अनुरोध है कि वे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए स्थानीय पुलिस और प्रशासन का सहयोग करें; विशेषकर छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा संभाग के सभी जिले, दुर्ग संभाग के राजनांदगांव, बालोद और कबीरधाम जिला तथा रायपुर संभाग के धमतरी, महासमुंद और गरियाबंद जिला के आम लोगों से विशेष अनुरोध है कि वे किसी भी प्रकार के नक्सल गतिविधियों की जानकारी तत्काल स्थानीय पुलिस को दें। क्योंकि नक्सलवाद किसी भी स्थिति में देश, राज्य अथवा समाज के विकास में सहायक नहीं हो सकता बल्कि वे आपके हिस्से के आजादी को छीन लेते हैं, आपको भय और आतंक के साए में जीने को विवश करते हैं और आपको वर्तमान युग से पीछे खींच कर अपने दासता के लिए विवश करते हैं। 

आज नक्सलियों का केवल एक ही मकसद है सरकार और आम लोगों को परेशान करना, ठेकेदारों आम लोगों को आतंकित करके रुपये ऐठना और खुद अच्छे जीवन एन्जॉय करना। नक्सली जो सड़क, पुल पुलिया, अस्पताल और स्कूल या सरकारी भवन को तोड़ते हैं वह आम नागरिकों को ही परेशान करते हैं; नक्सली नही चाहते कि सरकार मूलनिवासी लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अनेक प्रकार के सुविधाओं से सुसज्जित गांव और शहर में रहने का अवसर न दे सके। नक्सलियों द्वारा जो सरकारी संपत्ति को नष्ट कर रहे हैं वह आपके ही हिस्से के प्रॉपर्टी को नष्ट करके आपको ही सुविधाओं से वंचित करके आपके विकास के गति को अवरूद्ध कर रहे हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है नक्सल मूवमेंट की जानकारी स्थानीय पुलिस को जरूर दें; यदि आप किसी नक्सली के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में हैं तो उन्हें आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करें। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आत्मसमर्पित करने वाले लोगों को समाज के मुख्यधारा में जोड़ने के लिए नीति निर्माण किया गया है जिसके तहत उन्हें और उनके परिवार को बेहतर जीवन की गारंटी दी जाती है।

अंत में; यही कहना चाहूंगा कि देश के हर नागरिक अपने संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के लिए जागरूक रहे। देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए अपना योगदान दे ताकि युगयुगान्तर तक हम अपने आजादी का जश्न मना सकें; किसी भी परिस्थिति में हमसे हमारी आजादी न छीन सके। हम अपने हर प्रकार के नागरिक अधिकारों का लाभ ले सकें, किसी भी नागरिक के मानव अधिकारों का हनन न हो।

आपको भी आ सकता है हार्ट अटैक - स्वास्थ्य जागरूकता पर आधारित लेख

Heart Attack के कारण और बचाव के उपाय - श्री हुलेश्वर जोशी

(स्वास्थ्य जागरूकता पर आधारित लेख)

यदि आप नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं या जंकफूड खाते हैं; कठोर परिश्रम या योगा अथवा व्यायाम नहीं करते और स्मार्टफोन अथवा लेपटॉप / कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल करते हैं तो सावधान 50% से अधिक गारंटी है कि आपको Heart Attack होगा।

महिलाओं में हार्ट अटैक से बचने के लिए पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता होती है, मगर यदि कोई महिला नशीले पदार्थों का सेवन, जंकफूड का सेवन और स्मार्टफोन अथवा लेपटॉप/कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल करती हो तो मोनोपॉज के 5-10 साल के बाद पुरुषों के बराबर ही संभावना होगी कि उन्हें भी Heart Attack आ जाए। इसलिए महिलाओं को नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।

खराब और असंयमित दिनचर्या के कारण अब 30 साल से कम उम्र के युवाओं में भी Heart Attack की संभावना दिनोंदिन बढ़ती जा रही है; इसलिए सीने में अधिक दर्द होने की स्थिति में तत्काल चिकित्सकीय सहायता लें।

Heart Attack से बचाव कैसे संभव है?
# कभी भी किसी भी शर्त में नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
# जंकफूड अर्थात अधिक तेल में तले भोज्यपदार्थों का सेवन न करें। भोजन में सलाद और कम पके सब्जियों को शामिल करें। अधिक मसालेदार भोजन आपके सेहत के लिए हानिकारक ही होगा। अपने भोजन में न्यूनतम मात्रा में ही नमक को शामिल करें।
# स्मार्टफोन, गैजेट्स, लेपटॉप अथवा कंप्यूटर सिस्टम का न्यूनतम इस्तेमाल करें।
# नितमित रूप से कठोर शारीरिक परिश्रम करें; अर्थात अपने सारे काम खुद करें। यदि संभव न हो तो योगा अथवा व्यायाम करें।
# भरपूर नींद लें और तनावमुक्त रहें।
# मोटापा से बचें।
# बेवजह औषधियों के प्रयोग से बचें।

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आवश्यक सूचना : उपरोक्त जानकारी लेखक के जानकारी के आधार पर लिखे गए हैं, यह किसी भी प्रकार से दावा अथवा गारंटी नहीं है।

बुधवार, अगस्त 12, 2020

कृष्ण जन्माष्टमी और गुरु बालकदास जयंती पर विशेष लेख - श्री हुलेश्वर जोशी

कृष्ण जन्माष्टमी और गुरु बालकदास जयंती पर तुलनात्मक अध्ययन- श्री हुलेश्वर जोशी


एतद्द्वारा मैं हुलेश्वर जोशी (लेखक) समस्त ब्रम्हांड के जीवजंतुओं को कृष्ण जन्माष्टमी और गुरु बालकदास जयंती की शुभकामनाएं देता हूँ; चूंकि आज भगवान कृष्ण और गुरु बालकदास का जन्मोत्सव है इसलिए उनके संबंध में कुछ सामान्यतः समान रोचक तथ्य बताना चाहता हूं :-


भगवान श्रीकृष्ण और गुरु बालकदास का जन्म हिंदी कैलेंडर के अनुसार एक ही मास- भाद्रपद, पक्ष - अंधियारी (कृष्ण), दिवस - अष्टमी को हुआ था। इसलिए भगवान कृष्ण के जन्म को कृष्ण जन्माष्ठमी के रूप में मनाया जाता है तो गुरु बालकदास के जन्म को उनके जयंती के रुप में मनाया जाता है।


श्रीकृष्ण माता देवकी और वाशुदेव के आठवें संतान हैं, इनके लालन पालन माता यशोदा और नंद बाबा करते हैं। गुरु बालकदास माता सफुरा और गुरु घासीदास के द्वितीय संतान हैं।


भगवान श्रीकृष्ण जी द्वापर में यादव कुल में जन्म लेकर राजा के संतान न होने के बावजूद राजा बने और सनातन धर्म को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया वहीं गुरु बालकदास भी किसी राजा के संतान न होकर गुरु घासीदास के पुत्र के रूप में जन्म लेकर राजा की उपाधि हासिल किए और सतनाम धर्म के स्थापना के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।


श्रीकृष्ण और गुरु बालकदास अपने क्षमता के बल पर राजा तो बनते हैं मगर राज्य नहीं कर पाते हैं बल्कि धर्म की स्थापना के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करते रहते हैं।


श्रीकृष्ण की एक प्रेमिका राधा और 8 पत्नियां रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा थी, जबकि गुरु बालकदास की दो पत्नी नीरा और राधा थी।


श्रीकृष्ण के 80 पुत्र होने के प्रमाण मिलते हैं जिसमें रूखमणी के संतान प्रद्युम्न (ज्येष्ठ पुत्र) और केवल एक बेटी चतुमति हैं; जबकि गुरु बालकदास के केवल एक ही पुत्र साहेबदास हुए, साहेबदास की माता राधामाता हैं जबकि दो बेटियां गंगा और गलारा नीरामाता के गर्भ से जन्म लेती हैं।


श्रीकृष्ण का हत्या गांधारी के श्राप के कारण एक शिकारी के तीर से होता है तो वहीं गुरु बालकदास की हत्या उनके जातिवादी सामंतों द्वारा एम्बुश लगाकर किया जाता है।


जब श्रीकृष्ण जी द्वापर में जन्म लिए तब ऊँचनीच की भावना से समाज बिखरा पड़ा था, उन्होंने स्वयं वर्णव्यवस्था के खिलाफ रहकर प्राकृतिक न्याय के आधार पर काम करते हुए सनातन धर्म के लोगों को दुष्टों और पापियों से मुक्त किया तो वहीं गुरु बालकदास ने समाज में व्याप्त सैकड़ों बुराइयों के खिलाफ काम करते हुए अविभाजित मध्यप्रदेश (छत्तीसगढ़ सहित) में सैकड़ो जातियों और अनेकों धर्म के लोगों को अमानवीय अत्याचार के खिलाफ संगठित कर सतनामी और सतनाम धर्म के अनुयायी बनाये तथा बिना किसी भेदभाव के मानवता की पुर्नस्थापना के लिए सबको समान अधिकार देने तथा महिलाओं के साथ होने वाले अमानवीय अत्याचार जिसमें मुख्यतः डोला उठाने की अमानवीय कृत्य पर रोक लगाया और सतनाम धर्म में अखाड़ा प्रथा का शुरुआत किया।


श्रीकृष्ण जी ने स्वयं तथा पांडवों के साथ मिलकर भारतवर्ष को दुराचारियों से मुक्त करने के लिए लड़ाई लड़ा और सनातन धर्म को सुरक्षित किया तो वहीं गुरु बालकदास ने स्वयं तथा सतनामी लठैतों के साथ मिलकर समाज में व्याप्त हिंसक लोगों के खिलाफ आम लोगों के मानव अधिकार और स्वाभिमान की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ा और भारतवर्ष विशेषकर मध्यप्रदेश के लोगों को समान सामाजिक जीवन प्रदान किया।


श्रीकृष्ण अपने पूर्व के ज्ञानी महात्माओं, देवी देवताओं के दर्शन की समीक्षा करके नवीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रतिपादन किया तो वहीं गुरु बालकदास देश में व्याप्त बुराइयों की संभावनाओं के खिलाफ सशक्त समाज के लिए वैचारिक क्रांति का दर्शन प्रस्तुत किया।


श्रीकृष्ण ने प्रेम, आध्यात्म और दर्शन के माध्यम से अथवा सुदर्शन चक्र के प्रयोग के माध्यम से न्याय को स्थापित करने का काम किया तो गुरु बालकदास ने गुरु घासीदास बाबा के "मनखे मनखे एक समान" के सिद्धान्त को स्थापित करने के लिए रावटी, शांति सद्भावना सभा और शक्ति के माध्यम से दुराचारियों को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के आधार पर जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। अर्थात दोनो ही पहले शांति का संदेश लेकर आते हैं और दुष्टों को भी एकमत होने का अनुरोध करते हैं और जब दुष्ट शांति संदेश को मानने से इनकार करके न्याय स्थापित करने में अवरोध पैदा करते हैं तो दुष्ट के नरसंहार के लिए शक्ति का प्रयोग करते हैं ताकि हर मनुष्य को समान जीवन और सम्मान का अधिकार मिल सके।


श्रीकृष्ण और गुरु बालकदास दोनों ही जबतक अत्यंत आवश्यक न हो अर्थात थोड़ा भी शांति और सुलह की संभावना हो तब तक हिंसा के मार्ग का विरोध करते हैं।


श्रीकृष्ण और गुरु बालकदास दोनों ही शाकाहार की बात करते हैं और गाय को माता मानते हैं।


श्रीकृष्ण आत्मा को अजरअमर और शोकमुक्त बताते हैं तथा उनका मानना था कि पुनर्जन्म और मोक्ष और मोक्ष उपरांत पुनः मनवांछित जन्म मिलता है वे इसके लिए भगवान ब्रम्हा को उत्तरदायी समझते हैं तो वहीं गुरु बालकदास जीवन काल में ऐसे कर्म करने का सलाह देते हैं जिससे सतलोक (पृथ्वी) में जीवन के दौरान ही आपका परलोक अर्थात अमरलोक (मृत्य उपरांत नाम की अमरता) निर्धारित हो सके।


श्रीकृष्ण पांच तत्वों की उपलब्धता को साबित करते हुए सृष्टि के संचालन के लिए इन पांचों तत्व को जिम्मेदार बताते हैं तो ठीक कृष्ण के समानांतर ही गुरु बालकदास भी पांच तत्व (सतनाम) को ही सृष्टि की रचना और संचालन के कर्ताधर्ता मानते हैं।


श्रीकृष्ण के अनुयायी उनके जन्मोत्सव मनाने के लिए उनका व्रत उपवास रखते हैं और दहीहांडी खेल का आयोजन करते हैं तो वहीं गुरु बालकदास के अनुयायी जैतखाम और निशाना में पालो चढाते हैं, पंथी नृत्य करते हैं और मंगल चौका आरती गाते हैं।


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माफीनामा : अज्ञानतावश लेखनीय त्रुटियों के लिए मैं हुलेश्वर जोशी (लेखक) सनातन धर्म और सतनाम धर्म के अनुयायियों से माफी चाहता हूं।

मंगलवार, अगस्त 11, 2020

मिनीमाता पुण्यतिथि विशेष - श्री हुलेश्वर जोशी

मिनीमाता की पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि - श्री हुलेश्वर जोशी


(15 मार्च 1913 - 11 अगस्त 1972)


आज मिनीमाता की पुण्यतिथि है; वही मिनीमाता उर्फ मीनाक्षी जो स्वतंत्र भारत मे अविभाजित मध्यप्रदेश में प्रथम महिला सांसद हुई जो तीन बार सांसद रही। दिल्ली में विशेषकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और असम के लोगों के लिए आश्रयस्थल रही; सतनामी समाज मे जन्मी, साहू समाज द्वारा पालन पोषण की गई और गुरु घासीदास बाबा की बहू अर्थात संविधान निर्माता सांसद गुरु आगम दास की अर्धांगिनी हुई। मिनीमाता मुख्यतः छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और असम में अत्यंत पूज्यनीय है। मिनीमाता हर महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं इनके जीवन और समाज के लिए दिए गए योगदान अत्यंत प्रेरणादायक है।


मिनीमाता जगतजननी के रूप में भी विख्यात रही है; जो भी अमीर गरीब लोग दिल्ली स्थित उनके निवास में जाते वे उनके वात्सल्य से पोषित और संरक्षित होने का सौभाग्य प्राप्त करते। मिनीमाता किसी एक जाति, धर्म अथवा सीमाक्षेत्र के लिए ही नहीं वरन सम्पूर्ण भारतीयों के लिए अत्यंत पूज्यनीय है।


लगभग 5 दशक पूर्व आज के दिन ही दिल्ली के निकट विमान हादसे में मिनीमाता सतलोक गमन कर गई थी।

सोमवार, अगस्त 03, 2020

मुझे नीचता का सर्टिफिकेट दे दो - श्री हुलेश्वर जोशी

मुझे नीचता का सर्टिफिकेट दे दो - हुलेश्वर जोशी

अरे कथित ज्ञानी लोग, तुम उच्च नीच की उपाधि देते हो, नीचता के लिए भी कोई इवेंट करवा दो। मैं भी नीच होने के लिए इवेंट में शामिल होना चाहता हूं, मुझे उच्च की नहीं बल्कि नीच की उपाधि प्रदान करना। 

अच्छे क़्वालिटी के पेपर में रंगीन सजावट वाले सर्टिफिकेट देना प्लीज, ताकि अपने दीवाल में लटका सकूं।

मूर्खों; जिसे तुम जन्म के आधार पर नीच मानते हो उसी पैमाने में खुद की भी समीक्षा करके देखो तब पता चलेगा कि क्या वास्तव में वह नीच और तुम उच्च हो।

अरे मूर्खों; जन्म के आधार पर उच्च नीच की दूषित मानसिकता से ऊपर उठकर मनुष्य बनो।

रक्षाबंधन विशेष; भाई का संदेश बहनों के नाम - हुलेश्वर जोशी

रक्षाबंधन विशेष; भाई का संदेश बहनों के नाम - हुलेश्वर जोशी

पूरे ब्रम्हांड की समस्त बहनें जो मुझे राखी पहनाती हैं और जो बहनें राखी पहनाए बिना भी मेरे सुखमय, सफलतम और दीर्घायु जीवन के लिये अपने आराध्य से प्रार्थना करती हैं, उन्हें सादर प्रणाम।

मैं उन्हें वचन देता हूँ कि यथासंभव उनके रक्षा के लिए जीवनपर्यंत काम करता रहूंगा। जो बहनें पुरुष प्रधान समाज में पिछले हजारों जन्म से प्रताड़ित हैं उनके रक्षा के लिए मैं पुरूष प्रधान समाज को हिलाकर कमजोर करने तथा नर - नारी में असमानता अर्थात पक्षपात पूर्ण मानसिकता को समाप्त करने के लिए संकल्पित हूँ। 

इस रक्षाबंधन की पावन अवसर पर अपनी बहनों को कुछ गुरुमंत्र देता हूँ, जो पुरूष प्रधान समाज के मानसिकता के खिलाफ तो है मगर मानवता की मूल है और मेरी बहनों के मानवाधिकार के अनुकूल है। ये गुरुमंत्र हमारे धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर, इसप्रकार से हैं :-
1- "नर नारायण हैं तो नारी नारायणी है।"
2- "पुरुष देवता हैं तो महिलाएं देवी है।"
3- "नर परमेश्वर हैं तो मादा परमेश्वरी है।
4- "पुरूष भगवान हैं तो महिलाएं भगवती है।"
5- "नर स्वामी हैं तो नारी साम्राज्ञी है।"

उपरोक्त बातों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाए तो हमें ज्ञात होता है कि ब्रम्हांड में नर और मादा अर्थात मनुष्य में महिला और पुरूष का समान रूप से योगदान और पूज्यनीय हैं। यदि; 
1- यदि महिलाएं खाना बना सकती हैं, बर्तन पोछा, कपड़ा धोना और अन्य घरेलू काम कर सकती हैं तो पुरूष इन सारे काम को कर सकते हैं यदि कोई पुरूष अपंग न हो।
2- यदि पति(पुरूष) पत्नी(महिलाओं) को दासी समझने की मानसिकता से ग्रसित हैं तो पत्नी(महिलाएं) भी पति(पुरुषों) को अपना दास अथवा गुलाम मान सकते हैं।
3- यदि पति पत्नी के ऊपर अत्याचार करने लगे तो पत्नी को प्रताड़ित होते रहने के बजाय अत्याचार के मुहतोड़ जवाब देने अर्थात अपनी रक्षा करने का अधिकार है।
4- यदि पत्नी पति का पैर दबाती है मालिश करती है तो पति का भी दायित्व है कि वह आवश्यक होने पर पत्नी की पैर दबाए और मालिश करे।
5- अर्थात सारांश यह कि जिस तरह के मानसिकता से हम ग्रसित हैं उससे ऊपर उठकर बेहतर और समान जीवन पद्धति को अपनाएं। 
6- केवल बेटियां ही व्याह कर बहु बनने न जाएं बल्कि किसी बेटा को व्याहकर उसे घर जमाई बनाएं।
7- पुरूष अक्सर अपने से छोटी उम्र की लड़की से विवाह करता है ताकि उसपर अपना हक जमा सके उसपर अत्याचार कर सके; इसलिए लड़कियां भी अपने से कम उम्र और योग्यता के लड़के से शादी करे ताकि पति उन्हें प्रताड़ित करने के बजाय डर सके।
8- यदि लड़की अपनी काबिलियत से कमाने अर्थात परिवार की जरूरत के बराबर रुपये कमाने में सक्षम हैं तो बेरोजगार और बेकार लड़के से ही शादी करे और नौकरानी रखने के बजाय अपने पति से सारे घरेलू काम करवाए।
9- बहनों से भी निवेदन है किसी भी शर्त में दहेज प्रताड़ना अथवा अन्य प्रताड़ना के झूठे मुकदमे दर्ज न करवाएं; एक व्यक्ति की गलती की सजा उनके पूरे परिवार को न दें। यदि आपको विश्वास है कि आपके पति आपके योग्य नहीं अथवा आपको खुश नहीं रख सकेंगे तो तत्काल उनसे अलग हो जाएं, अलग रहकर दूसरे किसी के उकसावे से परे रहकर स्वयं निर्णय लें कि आपको तलाक देना है कि अपने अधिकार के लिए लड़ना है।
10- विवाहित और अविवाहित महिलाओं को जिस प्रकार से अपने मनपसंद वस्त्र और श्रृंगार की आजादी है ठीक उतनी ही आजादी विधवा महिलाओं को भी है।
11- बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम, घरेलू हिंसा और कार्यस्थल में महिलाओं के संरक्षण संबंधी नियमों की जानकारी रखें साथ ही भारतीय संविधान को पढ़ें ताकि आप अपने अधिकारों से भलीभांति परिचित हो सकें।

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उल्लेखनीय है कि लेखक श्री हुलेश्वर जोशी, पुलिस अधिकारी हैं जो कुरीतियों के खिलाफ सामाजिक जागरूकता का काम कर रहे हैं।

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