"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


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रविवार, अप्रैल 02, 2023

2500/- रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता चाहिए तो तत्काल करें पंजीयन : बेरोजगारी भत्ता योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन की हुई शुरुआत



माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को 1 अप्रैल से ढाई हजार रूपए प्रतिमाह भत्ता देने की योजना का शुभारंभ आज किया गया। बेरोजगारी भत्ता के लिए पात्र युवा https://berojgaribhatta.cg.nic.in पर घर बैठे आवेदन कर सकते हैं।


पात्रता की शर्तें
  • छत्तीसगढ़ का मूल निवासी
  • 01 अप्रैल को आयु 18 वर्ष से 35 वर्ष
  • 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण हो
  • 01 अप्रैल को 2 वर्ष पुराना रोजगार पंजीयन
  • वार्षिक आय रूपये 2,50,000/- से अधिक न हो


अपात्रता की शर्तें
  • एक परिवार से एक ही सदस्य
  • पूर्व और वर्तमान मंत्रीं, विधानसभा सदस्य, महापौर, नगरीय निकाय, जिला पंचायत अध्यक्ष के परिवार
  • शासकीय कर्मचारियों के परिवार के सदस्य (चतुर्थ श्रेणी या ग्रुप-डी के कर्मचारियों को छोड़कर)
  • 10,000 रूपये मासिक या उससे अधिक के पेंशन भोगी के परिवार
  • आयकर दाता परिवार
  • इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, चार्टड एकाउंटेंट आदि पेशेवर के परिवार


आवेदन की प्रक्रिया
  • केवल ऑनलाईन आवेदन
  • रोजगार कार्यालय के पंजीयन क्रमांक
  • मोबाइल नंबर अनिवार्य
  • आधार अगर राशन कार्ड में ना हो तो आधार कार्ड अनिवार्य
  • बैंक खाता जानकारी डी.बी.टी. के लिये
  • कौशल प्रशिक्षण हेतु चॉयस

दस्तावेज अपलोड
  • रोजगार पंजीयन कार्ड
  • 10वीं एवं 12वीं की मार्कशीट/प्रमाण पत्र
  • आय प्रमाण पत्र
  • मूल निवासी प्रमाण पत्र
  • फोटो

 

सोमवार, अप्रैल 18, 2022

दाई गोहरावत हँव मैं तोला (छत्तीसगढ़ी व्यंग) - श्री एच.पी. जोशी

दाई गोहरावत हँव मैं तोला (छत्तीसगढ़ी व्यंग) - श्री एच.पी. जोशी

दाई गोहरावत हँव मैं तोला;
तैं शक्ति दे अइसे मोला।
अंतस ले अब्बड़ क्रूर होतेंव दाई;
फेर कहितीन मोला भोला।।

अइसे शक्ति देतेव दाई;
सत्ता के
दुरुपयोग कर पातेंव।
दुसर के हिस्सा
लूट खसोट के;
जोशी मठ मैं बनवातेंव।1।
दाई गोहरावत हँव मैं तोला;
तैं शक्ति दे अइसे मोला।

अँधेर नगरी के चौपट राजा ले;
जब्बर चौपट हो जातेंव।
राजा बनके मैं हर दाई;
परजा ऊपर कोड़ा बरसातेंव।2।
दाई गोहरावत हँव मैं तोला;
तैं शक्ति दे अइसे मोला।

उन्तीस के
पहाड़ा जइसे दाई;
लूट,
घुस
अऊ बेईमानी वाले
मोर पूँजी ह बढ़तीस।
कतको धांधली करतेंव मैं हर;
फेर दाई
ईमानदारी के नाव म
मोर ऊपर फुल चढ़तीस।3।
दाई गोहरावत हँव मैं तोला;
तैं शक्ति दे अइसे मोला।

दाई
मोरो मन हावय;
मैं
ऊँच नीच के ज़हर
बरसातेंव।
अपन स्वारथ बर
हिंसा घलो करवातेंव;
तबो ले दाई
मैं इंद्र कहातेंव।4।
दाई गोहरावत हँव मैं तोला;
तैं शक्ति दे अइसे मोला।

दाई गोहरावत हँव मैं तोला;
तैं शक्ति दे अइसे मोला।
अंतस ले अब्बड़ क्रूर होतेंव दाई;
फेर कहितीन मोला भोला।।

रचना : श्री हुलेश्वर जोशी

# व्यंग के माध्यम से वर्तमान परिदृश्य पर कुठाराघात करने का प्रयास किया गया है। लेखक का उद्देश्य किसी वर्ग विशेष को आहत पहुँचाना अथवा किसी की छवि ख़राब करना नहीं है।

बुधवार, जुलाई 17, 2019

छत्तीसगढ़ पुलिस के ‘‘सिटीजन काॅप’’ - मोबाईल एप्लीकेशन के प्रमुख लक्ष्य क्या है?

छत्तीसगढ़ पुलिस के ‘‘सिटीजन काॅप’’ - मोबाईल एप्लीकेशन के प्रमुख लक्ष्य क्या है? 


अतिरिक्त महानिदेशक श्री जीपी सिंह द्वारा सर्वप्रथम रायपुर संभाग के जिलों में वर्ष 2015 में लागू कराया गया, इसके बाद एप्प के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए दुर्ग संभाग के जिलों में भी लागू किया गया है। सिटीजन काॅप मोबाईल एप्लीकोशन को, वर्तमान में पूरे प्रदेश में इसके लगभग 1 लाख 25 हजार सक्रिय उपयोगकर्ता हैं, जो अपराध मुक्त राज्य के निर्माण में अपना योगदान दे रहें है। वर्तमान में यह एप्लीकेशन प्रदेश के 11 जिलों में प्रभावी है।

1 Lac 23,900 Active Users of Citizen COP 


छत्तीसगढ़ पुलिस के ‘‘सिटीजन काॅप’’ - मोबाईल एप्लीकेशन के प्रमुख लक्ष्य निम्नानुसर हैं:-
  • ‘‘डिजिटल थाना’’ और ‘‘स्मार्ट पुलिसिंग’’ को लागू करना।
  • ‘‘हर हांथ पुलिस - हर आंख पुलिस’’ के सिद्धांत को लागू करना। अर्थात् प्रदेश का हर नागरिक अपराध मुक्त समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकता है और पुलिस अधिकारी/गोपनीय पुलिस के रूप में कार्य कर सकता है।
  • ’’सीमा-मुक्त पुलिसिंग’’ की गारंटी। अर्थात शिकायतकर्ता देश/विदेश में कही भी रहकर, राज्य से संबंधित अपराध की सूचना/शिकायत कर सकता है।
  • आम नागरिकों और पुलिस प्रशासन के बीच ‘‘आन-क्लिक कम्युनिकेशन‘‘ स्थापित करना।
  • ‘‘आसान अपराध रिपोर्टिंग’’ एवं कार्यवाही की आन-स्क्रीन अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराना।
  • वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं एवं बच्चों के लिए ‘‘क्लिक आन सिक्योरिटी रिक्वेस्ट’’ की सुविधा प्रदान करना।
  • ‘‘सिक्योर गोपनीय पुलिसिंग’’ के तहत् अपराधिक गतिविधियों अथवा अपराधियों के संबंध में सूचना/शिकायत करने वाले शिकायतकर्ता/सूचना देने वाले व्यक्ति की गोपनीयता की गारंटी देना।
  • ‘‘छोटे-से-छोटे अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण’’ करना। क्योंकि छोटे-छोटे अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण होने से बडी अपराध/घटनाएं घटित ही नही होगी।
  • यौन उत्पीडन, प्रताडना, घरेलू हिंसा, छेडखानी, भ्रष्टाचार एवं धोखाधडी, सहित समस्त प्रकार के अपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाने में पुलिस के सहयोग हेतु आम नागरिकों को जागरूक करना।
  • छोटे-छोटे कार्य, सूचनाओं के आदान प्रदान एवं कार्यवाही की अद्यतन स्थिति के लिए पुलिस अधिकारियों/थाने के चक्कर लगाने की अनिवार्यता को समाप्त करना तथा समय एवं धन की अनावश्यक बर्बादी को रोकना। आवश्यक दस्तावेजों अथवा सामग्री के गुम/चोरी होने संबंधी प्रकरण में प्रार्थी को उसके ई-मेल आईडी में तत्काल आटो-जनरेटेड पावती उपलब्ध कराना।
  • परम्परागत पुलिसिंग के कमियों को दूर करना और पुलिस सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाना।
  • डिजिटल यूग के अनुरूप पुलिस के कार्य में गुणवत्ता लाना, कार्य के दबाव को कम करना एवं दस्तावेज के औपचारिकता को हतोत्साहित करते हुए साॅफ्टकाॅपी संधारण प्रक्रिया लागू करना।


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शनिवार, मार्च 02, 2019

गुरु अगमदास के नाम पर संचालित हो कल्याणकारी योजनाएं : डी पी जोशी

गुरु अगमदास के नाम पर संचालित हो कल्याणकारी योजनाएं : डी पी जोशी

पूज्यनीय गुरु अगमदास सतनामी समाज के गुरु व स्वतंत्र भारत में प्रथम लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी से सांसद बने थे। गुरु अगमदास का भारतीय स्वतंत्रता में अहम योगदान भी है।

ऐसे में अब सतनामी समाज मूल छत्तीसगढ़िया सरकार से अपील करती है कि गुरु अगमदास के नाम पर कोई *कल्याणकारी योजना* संचालित करे अथवा उनके नाम पर *राज्य स्तरीय सम्मान* प्रदान करे। 

छत्तीसगढ़ के इतिहास में उनके योगदान का वर्णन हो। समाज के इतिहासकार/शोधकर्ताओं से आग्रह है गुरु अगमदास पर शोध करें।

धर्मगुरु रूद्रकुमार, माननीय मन्त्री, छत्तीसगढ़ शासन से निवेदन है विशेष पहल करें।

(डी पी जोशी)
अटल नगर, रायपुर
छत्तीसगढ़

शनिवार, दिसंबर 08, 2018

’’सिटीजन काॅप’’ मोबाईल एप्प पुलिस थाना का ही डिजिटल स्वरूप है - श्री जी.पी.सिंह, आईजी दुर्ग

’’सिटीजन काॅप’’ मोबाईल एप्प पुलिस थाना का ही डिजिटल स्वरूप है - श्री जी.पी.सिंह, आईजी दुर्ग

श्री जी.पी. सिंह, दुर्ग आईजी ने लौटाये 25 नग मोबाईल फोन 

सिटीजन काॅप ने लगभग 16 लाख, 92 हजार रूपये के मोबाईल फोन रिकवर किये


श्री जी.पी. सिंह, पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग रेंज, दुर्ग के निर्देशन में संचालित सिटीजन काॅप सेल द्वारा सिटीजन काॅप - मोबाईल एप्लीकेशन पर दर्ज मोबाईल फोन के गुम होने की शिकायतों पर कार्यवाही करते हुये 25 नग मोबाईल फोन रिकवर किया गया। श्री सिंह द्वारा इन 25 नग मोबाईल फोन को उनके मूल मालिको को आवश्यक दस्तावेज देखकर आज दिनांक 08/12/2018 को अपने कार्यालय में वापस सुपुर्द किया गया। गौरतलब है कि ये मोबाईल फोन दीगर राज्य जैसे मध्यप्रदेष के शहडोल, बालाघाट एवं महाराष्ट्र के गोंदिया से रिकवर किये गये है तथा कुछ मोबाईल फोन राज्य के रायपुर, बिलासपुर, मुंगेली, धमतरी, महासमुंद, पाटन, बेमेतरा, बालोद, गरियाबंद एवं राजनांदगांव से भी रिकवर किये गये हैं।

उल्लेखनीय है कि दुर्ग संभाग में सिटीजन काॅप - मोबाइल एप्लीकेशन के अपग्रेडेड वर्जन के साथ मार्च 2018 में लाॅंच किया गया था, तब से अभी तक सिटीजन काॅप के माध्यम से कुल 151 नग मोबाईल फोन बरामद कर संबंधित मोबाईल धारको को लौटाया जा चुका है। अब तक रिकवर किये गये सभी मोबाईल फोन की कीमत लगभग 16 लाख 92 हजार रूपये के करीब है।

गुम/चोरी हुए मोबाईल फोन वापस मिलने के कारण लोगों ने मोबाईल फोन वापस मिलने पर खुषी जाहिर करते हुए सिटीजन काॅप मोबाईल एप्प व रेंज पुलिस महानिरीक्षक के द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की है। मो. फहीम खान अपने भाई मो. वसीम खान का मोबाईल ओप्पो एफ-7 वापस पाकर सिटीजन काॅप के कार्यषैली की सराहना करते हुए अपने फीडबैक में लिखा है ’सिटीजन काॅप एप्प छत्तीसगढ़ पुलिस की सराहनीय पहल है। यह एप्प हमारी सुरक्षा विषेषकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए अत्यंत कारगर है आवष्यकता पडने पर हम इनकी सहायता ले सकते हैं और भविष्य में होने वाले अपराध एवं अपराधियों पर रोक भी लगा सकते हैं। मेरे मोबाईल के गुम हो जाने पर मुझे अत्यंत मानसिक कष्ट हुआ था, जिसे आज आईजी दुर्ग द्वारा मुझे लौटाया गया। मै आईजी श्री सिंह और पुलिस प्रषासन का आभारी हूं।’’ 

श्री सिंह ने बताया किया है कि ’’सिटीजन काॅप’’ मोबाईल एप्प पुलिस थाना का एक डिजिटल स्वरूप है जिसका उपयोग करके आम नागरिकों अपनी समस्याएं/सूचनाएं पुलिस से साझा कर सकते हैं सबसे खास बात यह है एप्प के माध्यम से उपयोगकर्ता की पहचान गोपनीय रहती है। सिटीजन काॅप एप्प आम नागरिकों को यह सुविधा प्रदान करता है कि किसी भी गुम वस्तु की षिकायत घर बैठे एन्ड्रायड मोबाईल का उपयोग कर सिटीजन काॅप एप्प के माध्यम से दर्ज करा सकते हैं। संज्ञान में आया है कि आम नागरिक अपनी खोई हुई वस्तु जैसे मोबाईल फोन, लैपटाॅप, पासपोर्ट, बैंक पासबुक व अन्य आवष्यक दस्तावेज के गुम हो जाने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिये पुलिस थाना एवं वरिष्ठ कार्यालयों का चक्कर लगाते हैं, जिससे उनका समय बरबाद होता है। 

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सोमवार, अक्टूबर 08, 2018

छत्तीसगढ़ पुलिस के मोबाईल एप्प ‘‘सिटीजन काॅप’’ ने लौटाया 15 नग मोबाईल फोन

छत्तीसगढ़ पुलिस के मोबाईल एप्प ‘‘सिटीजन काॅप’’ ने लौटाया 15 नग मोबाईल फोन


आईजी श्री जी.पी. सिंह ने लौटाये 15 नग मोबाईल फोन  

सिटीजन काॅप के माध्यम से कुल 95 नग मोबाईल फोन बरामद 

श्री जी.पी. सिंह, पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग रेंज, दुर्ग के निर्देशन में संचालित सिटीजन काॅप सेल द्वारा सिटीजन काॅप - मोबाईल एप्लीकेशन पर दर्ज मोबाईल फोन के गुम होने की शिकायतों पर कार्यवाही करते हुये 15 नग मोबाईल फोन रिकवर किया गया। श्री सिंह द्वारा इन 15 नग मोबाईल फोन को उनके मूल मालिको को आवश्यक दस्तावेज देखकर आज दिनांक 08/10/2018 को अपने कार्यालय में वापस सुपुर्द किया गया। उल्लेखनीय है कि दुर्ग संभाग में सिटीजन काॅप - मोबाइल एप्लीकेशन के अपग्रेडेड वर्जन के साथ मार्च 2018 में लाॅंच किया गया था, तब से अभी तक सिटीजन काॅप के माध्यम से कुल 95 नग मोबाईल फोन बरामद कर संबंधित मोबाईल धारको को लौटाया जा चुका है। 


गुम/चोरी हुए मोबाईल फोन वापस मिलने पर लोगों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए सिटीजन काॅप मोबाईल एप्प व छत्तीसगढ़ पुलिस के कार्यवाहियों की सराहना की है। उनका कहना है कि वे व्यक्तिगत रूप से पुलिस के सिटीजन काॅप - मोबाईल एप्प एवं उसके उपयोगिता से लोगों को जागरूक करेंगे। यषकुमार साहू अपने मोबाईल रेड-मी नोट-5 प्रो वापस पाकर सिटीजन काॅप के कार्यशैली का सराहना करते हुए अपने फीडबैक में लिखा है कि ‘‘आज तक मैने सुना था कि भारत की पुलिस सक्रिय है लेकिन आज मैने देख भी लिया।’’ 



मंगलवार, मई 15, 2018

छत्तीसगढ़ राज्य में शासकीय सेवकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों के उपचार हेतु वर्ष 2018 - 2019 के अंतर्गत राज्य एवं राज्य के बाहर स्थित मान्यता प्राप्त निजी चिकित्सालयों की सूचि



राज्य शासन एतद्वद्वारा विभागीय समसंख्यक विभागीय ज्ञापन दिनांक-29.04.2017, दिनांक- 27.05.2017 दिनांक-23.06.2017 दिनांक- 04.08.2017 दिनांक-11.09.2017, दिनांक- 08.01.2018 दिनांक-1801.2018 एवं दिनांक- 26.03.2018 द्वारा राज्यांतर्गत एवं राज्य के बाहर स्थित विभिन्न निजी चिकित्सालयों को शासकीय सेवकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों के उपचार हेतु दिनांक-31/03/2018 तक मान्यता प्रदान की गई थी, के अनुक्रम में राज्यांतर्गत एवं राज्य के बाहर स्थित निम्नलिखित निजी चिकित्सालयों को प्रदेश के शासकीय सेवकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों के उपचार हेतु दिनांक 01/04/2018 से दिनांक 31/03/2019 तक की अवधि हेतु मान्यता की स्वीकृति प्रदान  की गई है जिसकी सूचि आपके सुविधा के लिए निचे दिया जा रहा लोड होने में थोड़ा समय लग सकता है - 

सोमवार, अप्रैल 16, 2018

कुपोषण की पहचान तथा कुपोषण से बचाव हेतु दिशा-निर्देश जारी

कुपोषण की पहचान तथा कुपोषण से बचाव हेतु दिशा-निर्देश जारी


देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वस्थ और कुपोषण मुक्त भारत के निर्माण हेतु 08 मार्च 2018 को राष्ट्रव्यापी पोषण अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर आमलोगों को जागरूक बनाने के उद्देश्य से कुपोषण की पहचान, कुपोषण के प्रकार, उसके कारण तथा कुपोषण से बचाव हेतु दिशा-निर्देश जारी किया गया। बच्चों में कुपोषण का अर्थ है कि उचित पोषक तत्व न मिलने के कारण उनका जैसा विकास होना चाहिए वैसा न होना। कुपोषण एक गंभीर समस्या है और हमारे प्रयास से कुपोषण के स्तर में कमी लाई जा सकती है। कुपोषण में कमी लाने के लिए सबसे पहले हम इसके कारण को जानेंगे और उसे दूर करने के प्रयास करेंगे।

कुपोषण के प्रकार
कुपोषण मुख्यतः तीन प्रकार के होते है प्रथम उम्र के अनुसार कम वजन अंतर्गत उम्र के अनुसार सही वजन न होना कुपोषण का सबसे मुख्य मापक है, द्वितीय दुबलापन में वो बच्चे जिनका वनज उम्र की तुलना में कम होता है वे दुबलापन से ग्रसित होते हैं एवं तृतीय बौनापन में वो बच्चे जिनकी ऊंचाई उम्र की तुलना में कम होती है वे बौनापन से ग्रसित होते हैं।
कुपोषण के क्या-क्या कारण हो सकते हैं
 कुपोषण केवल पर्याप्त भोजन न मिलना ही कुपोषण का मुख्य कारण नहीं होता अपितु इनके अन्य बहुत से कारण हो सकते हैं, जैसे अपर्याप्त भोजन उम्र के अनुसार आवश्यक मात्रा में भोजन नहीं मिलना कुपोषण का एक मुख्य कारण होता है। भोजन में पोषक तत्वों का अभाव जो भोजन उपलब्ध है उसमें यदि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में नहीं मिलते हैं तो भी यह कुपोषण का एक कारण होता है। अनुपयुक्त भोजन उम्र और अवस्था के अनुरूप लगातार भोजन का न मिल पाना भी कुपोषण का कारण होता है जैसे सामान्य महिला, गर्भवती महिला व बच्चों में अलग-अलग मात्रा में भोजन की जरूरत होती है, यह जरूरत पूरी न हो पाना भी कुपोषण का एक मुख्य कारण है। आर्थि एवं सामाजिक कारण कई बार पैसों की कमी के कारण केवल पेट भरने के लिए भोजन किया जाता है और पौष्टिक तत्वों का ध्यान नहीं रखा जाता है, यह भी कुपोषण का कारण होता है। इसके अतिरिक्त समाज में फैली बहुत सारी गलत धारणाओं के कारण बहुत सारे भोज्य पदार्थ नहीं खाये जाते जो पौष्टिकता से भरपूर होते हैं, जो कि कुपोषण का एक कारण है। जागरूकता की कमी कई बार बहुत से पौष्टिक भोज्य पदार्थ हमारे घर या आसपास उपलब्ध होने पर भी जागरूकता के अभाव के कारण हम नहीं खाते हैं, जो कि कुपोषण का एक कारण है। अस्वच्छ वातावरण हमारे आसपास के वातावरण में सफाई का अभाव होने के कारण बहुत सी बीमारियां होने लगती है यह भी कुपोषण का कारण है। नींद की कमी सामान्य रूप से कम से कम 08 घण्टे की नींद लेनी चाहिए यदि किसी कारण से नींद पुरी नहीं हो पाती तो यह भी कुपोषण का कारण है। संक्रामक बीमारियों के कारण बहुत से फैलने वाली बीमारियां जैसे मलेरिया, पीलिया, उल्टी व दस्त के कारण भी कुपोषण होता है। समय से पूर्व जन्म होने के कारण यदि बच्चे का जन्म समय के पहले अर्थात् 09 माह के पूर्व हुआ है तो वह भी कुपोषण का शिकार हो सकता है। पोषक तत्वों की सही जानकारी नहीं होने के कारण भोजन में पौष्टिक तत्वों की उपलब्धता का सही ज्ञान नहीं होना भी कुपोषण का कारण होता है। लड़का लड़की के बीच भेदभाव होने के कारण कई परिवारों में लड़का एवं लड़की के मध्य भेदभाव करते हुए लड़के को पहले व सही भोजन खिलाया जाता है व लड़की के भोजन का ध्यान नहीं रखा जाता है यह भी कुपोषण का कारण है। स्तनपान का अभाव होने के कारण जन्म के तुरंत बाद शीघ्र स्तनपान नहीं कराना व लगातार समय-समय पर बच्चे को स्तनपान नहीं कराने के कारण भी बच्चा कमजोर या बीमार हो जाता है व कुपोषण का शिकार हो जाता है।

कुपोषण दूर करने हेतु अपनाये जाने वाले मुख्य उपाय
प्रदेश सरकार ने कुपोषण के स्तर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं, परंतु हम सभी नागरिक का भी कर्तव्य है कि कुपोषण दूर करने के लिए पूरा प्रयास करें। कुपोषण दूर करने के लिए हमें विभिन्न उपाय अपनाने होंगे जैसे कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां का पहला पीला दूध पीलाकर बहुत से बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसी तरह 06 माह तक के बच्चे को लगातार स्तनपान कराना चाहिए। इन बच्चों को स्तनपान के अलावा कोई दूसरी चीज पिलाना या चटाना नहीं चाहिए। उम्र के अनुसार सही मात्रा में भोजन खिलाना चाहिए। 06 माह पूरे किये हुए बच्चे को लगातार स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार जरूर खिलाना चाहिए। आंगनबाड़ी केन्द्र से मिले हु रेडी टू ईंट भी बच्चों को अवश्य खिलाना चाहिए। बहुत से भोज्य पदार्थ जो महंगे नहीं होते परंतु पौष्टिक होते हैं उन्हें जरूर खाना चाहिए जैसे सभी पत्तेदार सब्जी, मौसमी फल, सोयाबीन के उत्पाद एवे दूध व दूध से बनी हुई चीजें जरूर खाना चाहिए। आवश्यकता के अनुसार थोड़ा-थोड़ा लेकिन दिन में कई बार भोजन अवश्य कराना चाहिए। समय-समय पर आवश्यक टीकारण जरूर कराना चाहिए। छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं के भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। गर्भवती व धात्री महिलाओं को सामान्य से अधिक मात्रा में भोजन की आवश्यकता होती है सही भोजन खिलाकर भी कुपोषण से बचा जा सकता है। भोजन के बारे में व्याप्त गलत धारणाओं को दूर करके पौष्टिक भोजन कराना चाहिए जैसे गलत धारण है कि टमाटर या अन्य खट्टे भोज्य पदार्थ का सेवन नुकसानदायक होता है ऐसा भोजन विटामिन-सी से भूरपूर होता है, अतः इनका सेवन जरूर करना चाहिए। अपने आसपास व घर के भीतर सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए रूके हुए पानी के निकास की व्यवस्था करनी चाहिए इस प्रकार स्वच्छता का ध्यान रखकर बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है। परिवार में जन्में लड़का एवं लड़की में भेदभाव न करते हुए दोनों के भोजन का समान रूप से ध्यान रखना चाहिए, इसी प्रकार किशोरी बालिकाओं के भोजन का भी विशेष ध्यान देना चाहिए। आज हम सभी संकल्प लेते हैं कि कुपो

गुरुवार, अप्रैल 12, 2018

स्‍टार्ट अप इंडिया के लिए प्रोत्‍साहन - वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

स्‍टार्ट अप इंडिया के लिए प्रोत्‍साहन - वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय


सरकार ने नवोत्‍पाद और उद्यमी तैयार करने के लिए एक मजबूत तंत्र बनाने के उद्देश्‍य से 16 जनवरी, 2016 को स्‍टार्ट अप इंडिया की शुरूआत की। सरकार का यह उपाय विभिन्‍न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नौकरियों के अवसर पैदा करने के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में मदद कर रहा है।

2.    इस पहल के अंतर्गत औद्योगिकी नीति और संवर्द्धन विभाग ने व्‍यापक आधार वाले मंत्रिस्‍तरीय बोर्ड का गठन करते हुए 11 अप्रैल, 2018 को राजपत्र अधिसूचना संख्‍या 364 (ई) जारी की है ताकि आय कर 1961 के निम्‍नलिखित प्रोत्‍साहनों के दावों के लिए स्‍टार्ट अप के आवेदनों पर विचार किया जा सके :

क. कानून के अनुच्‍छेद 56 के अंतर्गत पात्र स्‍टार्ट अप द्वारा प्राप्‍त शेयर प्रीमियम पर आय कर लेवी से छूट दी जा सके।

ख. कानून के 80 आईएसी के अंतर्गत कर निर्धारण के लगातार सात वर्षों में से तीन वर्ष के लिए स्‍टार्ट अप की आमदनी से प्राप्‍त लाभ और प्राप्ति में शत-प्रतिशत कटौती।

3. कानून के अनुच्‍छेद 56 और अनुच्‍छेद 80 आईएसी के अंतर्गत स्‍टार्ट अप के प्रमाणीकरण के आवेदनों को एक ऑनलाइन पोर्टल के जरिये डीआईपीपी में जमा किया जाएगा। प्रमाणीकरण के लिए इन आवेदनों पर आईएमबी द्वारा विचार किया जाएगा।

4. कानून के अनुच्‍छेद 56 के प्रयोजन के लिए निवेशकों के वर्ग पर कोई प्रतिबंध नहीं है और पात्र स्‍टार्ट अप शेयर पूंजी के लाभ के बदले किसी भी व्‍यक्ति से पूंजी निवेश प्राप्‍त कर सकता है।

5. देश में स्‍टार्ट अप तंत्र को सरल बनाने के सरकार के लगातार जारी प्रयास के रूप में डीआईपीपी सरकारी मंत्रालयों/विभागों, नियामकों, नये निवेशकों और स्‍टार्ट अप सहित साझेदारों के साथ नियमित सलाह-मशविरा कर रहा है। इस अधिसूचना के जरिये लागू संशोधनों का उद्देश्‍य आयकर कानून 1961 के अंतर्गत छूट के सम्‍बन्‍ध में स्‍टार्ट अप की प्रमुख मांग को पूरा करना है।

6. ‍इस अधिसूचना के जरिये संशोधनों को पेश किए जाने के साथ, स्‍टार्ट अप की निधियन तक आसान पहुंच हो सकेगी जिससे नये व्‍यवसाय करने में आसानी होगी, स्‍टार्ट अप तंत्र को बढ़ावा मिलेगा,उद्यमी प्रोत्‍साहित होंगे। इसके परिणामस्‍वरूप अधिक नौकरियां सृजित होंगी और देश का आर्थिक विकास होगा।  

शुक्रवार, मार्च 31, 2017

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन


राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन

योजना का उद्देश्य - 
1. चयनित 10 जिलों के अंतर्गत धान के क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना।
2. चयनित 08 जिलों के अंतर्गत दलहन के क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना


राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

कार्यक्षेत्र - छत्तीसगढ राज्य के समस्त जिले

योजना का उदेश्य - उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि कर कृषकों का आर्थिक विकास करना।

कृषक वर्ग - समस्त वर्ग के कृषक।

राज्य गन्ना विकास योजना


राज्य गन्ना विकास योजना

कार्यक्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

मिलने वाला अनुदान - 
1. बीज क्रय पर अनुदान (इकाई हे.) अधिकतम रू. 3000/- प्रति हे अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो।
2. गन्ना टिश्यु कल्चर पौधों पर अनुदान अधिकतम रू. 2/- प्रति पौधा अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो अधिकतम 1 हेके लिए।
3. बीज उपचार दवाई पर अनुदान अधिकतम रू. 100/- प्रति हे अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो अधिकतम 2 हे. प्रति कृषक के लिए।
4. जिंक सल्फेट/जिप्सम पायराईट पर अनुदान अधिकतम रू 200/- प्रति हे. अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो प्रति कृषक अधिकतम 2 हे. के लिए।
5. पौध संरक्षण यंत्र क्रय पर अनुदान:
अ. हस्त चलित यंत्र पर अनुदान अधिकतम रू. 800/- प्रति यंत्र अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो।
ब. शक्ति चलित यंत्र पर अनुदान अधिकतम रू. 2000/- प्रति यंत्र अथवा 50 प्रतिशत जो भी कम हो।
6. कृषक भ्रमण (पांच से सात दिवसीय) 30 कृषकों का समूह राज्य के अंदर रू. 30000/- प्रति समूह एवं राज्य के बाहर अधिकतम रू. 45000/- प्रति समूह
7. गन्ना बीज परिवहन पर अनुदान राज्य के बाहर (वास्तविक परिवहन व्यय का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम रूपये ६००/- प्रति टन राज्य के अंदर प्रथम 10 कि.मी. के बाद रू 10/- प्रति कि.मी./प्रति टन अधिकतम रू. 400/- प्रति टन)

रामतिल उत्पादन प्रोत्साहन योजना


रामतिल उत्पादन प्रोत्साहन योजना

योजना का क्षेत्र - जशपुर, सरगुजा, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर (राज्य के ०५ जिले) योजनान्तर्गत कृषकों को दी जाने वाली सुविधाएं/अनुदान बीज/बीज मिनीकिट वितरण 100 प्रतिशत अनुदान पर ब्रीडर सीड खरीदी पर अनुदान 6500 रू. प्रति क्विं. या बीज की वास्तविक कीमत आधार बीज उत्पादन प्रोत्साहन अनुदान 500 रू प्रति क्विं. (रू. 375 कृषक हेतु. रू 175, बीज ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग आदि पर) प्रमाणित बीज उत्पादन प्रोत्साहन अनुदान 500 रू. प्रति क्विं (रू. 375 कृषक हेतु रू. 175, बीज ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग आदि पर) प्रमाणित बीज वितरण अनुदान 800 रू. प्रति क्विं. या कीमत का 30 प्रतिशत जो भी कम हो। खंड प्रदर्शन हेतु आवश्यक आदान सामाग्री के लिये रू. 500 या कीमत का 50 प्रतिशत जो भी कम हो। हस्त/बैल चलित कृषि यंत्र पर अनुदान हस्त चलित/बैल चलित कृषि यंत्र पर कीमत का 50 प्रतिशत अनुदान या न्यूनतम जो भी कम हो। उर्वरक मिनीकिट वितरण कुल रू 300 उर्वरक एवं खाद प्रति एकड़ के लिये अनुदान देय है। (100 प्रतिशत अनुदान पर) बीज उपचार फफूंदनाशी हेतु 15 रू. प्रति हे अनुदान देय होगा। पी.एस.बी /एजेक्टोबेक्टर कल्चर 50 रू. प्रति हे. की दर से अनुदान देय होगा। सूक्ष्म तत्व वितरण (जिंक सल्फेट/जिप्सम) 200 रू. प्रति हे अनुदान देय होगा। कृषक प्रशिक्षण 30 कृषकों के समूह के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण रू. 3500 प्रति प्रशिक्षण देय होगा।

आवेदन की प्रक्रिया - क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा कृषकों का चयन कर ग्राम पंचायत की अनुशंसा के पश्चात् वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के माध्यम से उप संचालक कृषि को प्रेषित किया जाता है। 

चयन प्रक्रिया - जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा कृषकों का चयन किया जाता है।

आवेदन भेजने का पता - उप संचालक कृषि (संबंधित जिला के) द्वारा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड।

नाडेप विधि से गोबर/कम्पोस्ट खाद तैयार करने का कार्यक्रम


नाडेप विधि से गोबर/कम्पोस्ट खाद तैयार करने का कार्यक्रम

कार्य क्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - उच्च गुणवत्ता युक्त जैविक खाद उपयोग द्वारा मृदा में पोषक तत्वों का संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य में सुधार।

मिलने वाला लाभ - नाडेप टांका निर्माण हेतु निर्माण व्यय रूपये 1600/-का 75, 50 एवं 25 प्रतिशत लघु, सीमांत कृषक, को 1200/- अनुसूचित
जाति एवं जनजाति को 800 और दीर्घ कृषकों के लिये 400 रूपये निर्धारित की गई है।

राज्य पोषित योजना - शाकम्भरी योजना


राज्य पोषित योजना - शाकम्भरी योजना

कार्य क्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - सिंचाई संसाधन में विकास करना।

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ - 1. लघु सीमांत कृषकों को पांच एच.पी. तक पंप (विद्युत/ डीज़ल चलित) अनुदान पर उपलब्ध कराना। 75 प्रतिशत अथवा रूपए 16875/- जो भी कम हो।
2. लघु सीमांत कृषकों को कूप निर्माण पर अनुदान उपलब्ध कराना। 50 प्रतिशत अथवा रू 25200/- जो भी कम हो।

राज्य पोषित योजना - लघुत्तम सिंचाई तालाब


राज्य पोषित योजना - लघुत्तम सिंचाई तालाब

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि करना।

मिलने वाला लाभ - इस योजना के अंतर्गत कृषि विभाग द्वारा 40 हेक्टेयर तक सिंचाई क्षमता वाले छोटे तालाब निर्मित किये जाते हैं। निर्मित तालाबों से सैंच्य क्षेत्र में कृषकों द्वारा सुरक्षात्मक सिंचाई की जाती है।

राज्य पोषित योजना - किसान समृद्धि योजना


राज्य पोषित योजना - किसान समृद्धि योजना

कार्य क्षेत्र - राज्य के 110 विकासखंड

योजना का उद्देश्य - वृष्टिछाया क्षेत्र में सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि करना

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ अनुदान की पात्रता  अधिकतम्) (रूपए में)
कृषक वर्ग - खनन पर -पंप प्रतिस्थापन पर -कुल अनुदान
1. सामान्य कृषक -10000.00,- 15000.00,- 25000.00
2. अनुसूचित जाति /अनु. जनजाति -18000.00,- 25000.00, - 43000.00




राज्य पोषित योजना - लघु सिंचाई योजना (नलकूप)


राज्य पोषित योजना - लघु सिंचाई योजना (नलकूप) 

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़ (किसान समृद्धि योजना में सम्मिलित विकासखंडों को छोड़कर)

योजना का उद्देश्य - सुनिश्चित सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि करना।

हितग्राही की पात्रता - सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं परंतु लघु सीमांत, अनु.जाति/जनजाति एवं महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।

मिलने वाला लाभ - लक्ष्यानुसार विभाग द्वारा स्वीकृत प्रकरणों पर खोदे गये नलकूपों पर देय अनुदान 

खनन अनुदान - सामान्य वर्ग के एवं सरगुजा तथा बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के विकासखंड एवं ग्रामों के बाहर के अ.जा./अजजा. वर्ग के हितग्राहियों को खनन लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू. 10000/- तथा सरगुजा एवं बस्तर विकास प्राधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विकासखंड एवं ग्रामों के अ.जा. एवं अ.ज.जा. वर्ग के हितग्राहियों को रू 18000/- अनुदान देय है।

पम्प प्रतिस्थापन पर अनुदान - सफल नलकूप पर पम्प प्रतिस्थापन हेतु सामान्य वर्ग के एवं सरगुजा तथा बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के विकासखंड एवं ग्रामों के बाहर के अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग के हितग्राहियों को पम्प एवं सहायक सामग्री की लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू 15000/- तथा सरगुजा एवं बस्तर विकास प्राधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विकासखंड एवं ग्रामों के अ.जा. एवं अ.ज.जा वर्ग के हितग्राहियों को लागत या रू. २५०००/- अनुदान देय है।

कृषक समग्र विकास योजना - ”अक्ती बीज संवर्धन योजना


कृषक समग्र विकास योजना - ”अक्ती बीज संवर्धन योजना

कार्य क्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़

योजना का उद्देश्य - उच्च गुणवत्ता युक्त प्रमाणित व संकर बीजों की उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित करना।

बीज उत्पादन पर अनुदान - स्वपरागण एवं परपरागण किस्मों के लिये उत्पादन पर रू. 300.00 प्रति क्विं. अनुदान देय होगा। उक्त अनुदान धान
फसल की प्रजनक से आधार, आधार से प्रमाणित, प्रमाणित-प् से प्रमाणित-प्प् के बीज उत्पादन जो छत्तीसगढ़ राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था से पंजीकृत हो तथा जिन कृषकों ने बीज उत्पादन कार्यक्रम संचालनालय कृषि अथवा छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के माध्यम से लिया हो को संचालनालय कृषि अथवा राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के माध्यम से प्रमाणित बीज की पैक्ड मात्रा पर देय होगा।
प्रजनक से आधार बीज उत्पादन विभाग के अन्तर्गत शासकीय कृषि प्रक्षेत्रों, छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के प्रक्षेत्रों  तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के प्रक्षेत्रों पर लिया जावेगा तथा बीज प्रमाणीकरण संस्था प्रमाणित पैक्ड बीज की मात्रा पर अनुदान देय होगा। यह अनुदान उत्पादित बीज की प्रमाणीकरण में उपयुक्त पायी गयी मात्रा पर ही देय होगा।  प्रमाणीकरण में निरस्त (फेल) होने पर अनुदान देय नहीं होगा। 

प्रमाणित बीज वितरण पर अनुदान - धान फसल पर रू. 200 प्रति क्विं. की दर से क्रेता कृषक को छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम/संचालक कृषि के माध्यम से अनुदान देय होगा। छ.ग.राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम अथवा संचालनालय के अधीन शासकीय प्रक्षेत्रों द्वारा प्रदाय किये गये प्रमाणित/आधार बीज पर ही अनुदान देय होगा। 

बीज अदला बदली - अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा सामान्य वर्ग के लघु सीमान्त कृषकों को बोनी के समय स्वयं के बीज के बदले उन्नत प्रमाणित बीज उपलब्ध कराना। इस योजनांतर्गत एक कृषक को पांच वर्ष में एक बार लाभ प्राप्त हो सकेगा। योजनांतर्गत प्रत्येक वर्ष जिले के 20 प्रतिशत कृषकों का चयन जिले के विकासखण्ड के जनपद पंचायत की कृषि स्थायी समिति तथा जिला पंचायत की कृषि स्थायी समिति द्वारा किया जावेगा। इस कार्य में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित ग्रामों/पंचायतों को प्राथमिकता दी जाएगी। आवेदन की प्रक्रिया क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा कृषकों का चयन कर ग्राम पंचायत की अनुशंसा के पश्चात वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के माध्यम से उप संचालक कृषि को प्रेषित किया जाता है। चयन प्रक्रिया जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा कृषकों का चयन किया जाता है। 

आवेदन भेजने का पता - उप संचालक कृषि (संबंधित जिला के) द्वारा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड।

मेक्रोमेनेजमेंट योजना - नदी घाटी एवं बाढ़ उन्मुख योजना


मेक्रोमेनेजमेंट योजना - नदी घाटी एवं बाढ़ उन्मुख योजना

क्रियान्वयन एजेंसी - कृषि विभाग

कार्य क्षेत्र - जिला - राजनंदगांव, दुर्ग, बिलासपुर के महानदी कछार।

योजना का उद्देश्य - 
1. नदी एवं जलाशयों में गाद के जमाव की संभावना को उपचार कर रोकना।
2. उपयुक्त संरचनाओं के निर्माण व समुचित वानस्पतिक आच्छादन के उपयोग द्वारा प्रभावी गाद नियंत्रण।

मिलने वाला लाभ - 
1. मृदा संरक्षण कार्य भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुसार मृदा संरक्षण के विभिन्न कार्यों पर व्यय किया जाता है।  

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