मोर तरिया के फोटू ल बचा के रखिहव जी।
मोर तरिया के फोटू ल बचा के रखिहव जी।
ये सिरावत हे,
अजगर खावत हे,
पीढ़ी ल बता के रखिहव जी।
मोर तरिया के फोटू ल बचा के रखिहव जी।
मोर तरिया के तऊड़ईया नंदावत हें जी।
नरवा, झोरका के नहईया सिरावत हें जी।
अवईया पीढ़ी ल चिंता जना के रखिहव जी।
मोर तरिया के फोटू ल बचा के रखिहव जी।
बर-पिपर के थिलिंगि ले कुदईया डरावत हें जी।
सुक्खा तरिया म कुदे बर जीव कंपकपावत हें जी।
तरिया भीतरी के राहेर लहलहावत हे जी...
ओनहारी के खुसबु घलो महमहावत हे जी।
मोर तरिया के फोटू ल बचा के रखिहव जी।
तरिया म होगे कबजा.....
तरिया म होगे कबजा......
तुँहर पारा के डी.जे. ह बऊरावत हे
बकबकावत हे जी।
ऐ धरती के कोरा म
सोनहा धान ह अल्लावत हे जी।
मोर तरिया के फोटू ल बचा के रखिहव जी।
चलव संगी, सुमता मड़हा के
कोड़बो एक ठी तरिया।
नई बनन दन गऊठान ल कखरो परिया।
मान लव मितान,
हुलेश्वर संग सुमता बनाके रखिहव जी
मोर तरिया के फोटू ल बचा के रखिहव जी।
नरवा के नस म, पानी बोहावत रईही जी
बाहरा नार ह समंदर के पहिचान बनावत रईही जी।
झमलु के तऊड़ई ले हक खाके !
अतेक झन तऊड़ बेटा, महतारी ह चिल्लावत घलो रईही जी।
मोर तरिया के फोटू ल बचा के रखिहव जी।
दिनांक 19-03-2025
गरांजी, नारायणपुर
यह कविता श्री हुलेश्वर प्रसाद जोशी द्वारा लिखित एवं शीघ्र प्रकाशनाधीन काव्य संग्रह राम-राम के बेरा "RAM-RAM ke BERA" की कविता है। कवि की पहली प्रकाशित काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?" है।
बहुत बढ़िया कविता
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