"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


सोमवार, अगस्त 03, 2020

रक्षाबंधन विशेष; भाई का संदेश बहनों के नाम - हुलेश्वर जोशी

रक्षाबंधन विशेष; भाई का संदेश बहनों के नाम - हुलेश्वर जोशी

पूरे ब्रम्हांड की समस्त बहनें जो मुझे राखी पहनाती हैं और जो बहनें राखी पहनाए बिना भी मेरे सुखमय, सफलतम और दीर्घायु जीवन के लिये अपने आराध्य से प्रार्थना करती हैं, उन्हें सादर प्रणाम।

मैं उन्हें वचन देता हूँ कि यथासंभव उनके रक्षा के लिए जीवनपर्यंत काम करता रहूंगा। जो बहनें पुरुष प्रधान समाज में पिछले हजारों जन्म से प्रताड़ित हैं उनके रक्षा के लिए मैं पुरूष प्रधान समाज को हिलाकर कमजोर करने तथा नर - नारी में असमानता अर्थात पक्षपात पूर्ण मानसिकता को समाप्त करने के लिए संकल्पित हूँ। 

इस रक्षाबंधन की पावन अवसर पर अपनी बहनों को कुछ गुरुमंत्र देता हूँ, जो पुरूष प्रधान समाज के मानसिकता के खिलाफ तो है मगर मानवता की मूल है और मेरी बहनों के मानवाधिकार के अनुकूल है। ये गुरुमंत्र हमारे धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर, इसप्रकार से हैं :-
1- "नर नारायण हैं तो नारी नारायणी है।"
2- "पुरुष देवता हैं तो महिलाएं देवी है।"
3- "नर परमेश्वर हैं तो मादा परमेश्वरी है।
4- "पुरूष भगवान हैं तो महिलाएं भगवती है।"
5- "नर स्वामी हैं तो नारी साम्राज्ञी है।"

उपरोक्त बातों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाए तो हमें ज्ञात होता है कि ब्रम्हांड में नर और मादा अर्थात मनुष्य में महिला और पुरूष का समान रूप से योगदान और पूज्यनीय हैं। यदि; 
1- यदि महिलाएं खाना बना सकती हैं, बर्तन पोछा, कपड़ा धोना और अन्य घरेलू काम कर सकती हैं तो पुरूष इन सारे काम को कर सकते हैं यदि कोई पुरूष अपंग न हो।
2- यदि पति(पुरूष) पत्नी(महिलाओं) को दासी समझने की मानसिकता से ग्रसित हैं तो पत्नी(महिलाएं) भी पति(पुरुषों) को अपना दास अथवा गुलाम मान सकते हैं।
3- यदि पति पत्नी के ऊपर अत्याचार करने लगे तो पत्नी को प्रताड़ित होते रहने के बजाय अत्याचार के मुहतोड़ जवाब देने अर्थात अपनी रक्षा करने का अधिकार है।
4- यदि पत्नी पति का पैर दबाती है मालिश करती है तो पति का भी दायित्व है कि वह आवश्यक होने पर पत्नी की पैर दबाए और मालिश करे।
5- अर्थात सारांश यह कि जिस तरह के मानसिकता से हम ग्रसित हैं उससे ऊपर उठकर बेहतर और समान जीवन पद्धति को अपनाएं। 
6- केवल बेटियां ही व्याह कर बहु बनने न जाएं बल्कि किसी बेटा को व्याहकर उसे घर जमाई बनाएं।
7- पुरूष अक्सर अपने से छोटी उम्र की लड़की से विवाह करता है ताकि उसपर अपना हक जमा सके उसपर अत्याचार कर सके; इसलिए लड़कियां भी अपने से कम उम्र और योग्यता के लड़के से शादी करे ताकि पति उन्हें प्रताड़ित करने के बजाय डर सके।
8- यदि लड़की अपनी काबिलियत से कमाने अर्थात परिवार की जरूरत के बराबर रुपये कमाने में सक्षम हैं तो बेरोजगार और बेकार लड़के से ही शादी करे और नौकरानी रखने के बजाय अपने पति से सारे घरेलू काम करवाए।
9- बहनों से भी निवेदन है किसी भी शर्त में दहेज प्रताड़ना अथवा अन्य प्रताड़ना के झूठे मुकदमे दर्ज न करवाएं; एक व्यक्ति की गलती की सजा उनके पूरे परिवार को न दें। यदि आपको विश्वास है कि आपके पति आपके योग्य नहीं अथवा आपको खुश नहीं रख सकेंगे तो तत्काल उनसे अलग हो जाएं, अलग रहकर दूसरे किसी के उकसावे से परे रहकर स्वयं निर्णय लें कि आपको तलाक देना है कि अपने अधिकार के लिए लड़ना है।
10- विवाहित और अविवाहित महिलाओं को जिस प्रकार से अपने मनपसंद वस्त्र और श्रृंगार की आजादी है ठीक उतनी ही आजादी विधवा महिलाओं को भी है।
11- बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम, घरेलू हिंसा और कार्यस्थल में महिलाओं के संरक्षण संबंधी नियमों की जानकारी रखें साथ ही भारतीय संविधान को पढ़ें ताकि आप अपने अधिकारों से भलीभांति परिचित हो सकें।

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उल्लेखनीय है कि लेखक श्री हुलेश्वर जोशी, पुलिस अधिकारी हैं जो कुरीतियों के खिलाफ सामाजिक जागरूकता का काम कर रहे हैं।

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