ज्ञान की ५बातें...................
(हिंदुत्व अर्थात मूल सनातन धर्म परम्परा के मान्यता के अनुसार)
(लेखक - एचपी जोशी)
एक बार पूरा लेख जरूर पढ़ें, संभव है आपका विचार बदल जाए, आपकी सोचने और जीवन जीने का तरीका बदल जाए। पहले पढ़िए, अच्छा लगेगा फिर आगे पढ़िए थोड़ा बुरा लगेगा, हो सकता है बहुत बुरा लगेगा और लेखक को गाली देने का मन करेगा, थोड़ा ऐसा भी विचार आएगा कि लेखक एचपी जोशी मिल जाए तो दो चार जूते मार लेता, मगर ऐसा संभव नहीं थोड़ा भीतर ही भीतर मुझे गाली जरूर दे लेना, ध्यान रखना ज्यादा गाली गलौज आपको मानसिक रूप से विकलांग न बना दे। बड़े मज़े से गाली गलौज करने के बाद भी आगे पढ़ना और शांति से सोचना, समझने का प्रयास करना। यदि समझ में न आए तो एक बार फिर से पढ़ना, फिर भी समझ न आए तो कोई बात नहीं थोड़ा सा हिंदी पढ़ने का प्रयास करना। चलें अब पढ़ने समझने और जूते मारने या गाली गलौज के विचार से ऊपर उठकर ज्ञान की 05 बातें जानने का प्रयास करते हैं।
ये हैं ज्ञान की 5बातें.....
1- दुनिया में 84लाख योनि है।
2- मृत्यु के पश्चात पुनर्जन्म होता है।
3- सभी जीव में आत्मा होती है और भगवान ब्रम्हा परमात्मा है, अर्थात सभी जीव भगवान ब्रम्हा के पुत्र हैं।
4- मनखे- मनखे एक समान - गुरु घासीदास बाबा।
5- जम्मों जीव हे भाई बरोबर - HP Joshi.
अब जब आप 5 बातें पढ़ लिए, तो आइए कुछ तर्क करने, प्रश्न करने और सोचने या समझने का भी प्रयास करते हैं :-
अबोध बालक के प्रश्न:
हे मनुष्य, ऊपर के ५बातें तो कुछ और ही कहने का प्रयास करती है, फिर हम जाति, वर्ण, धर्म और जन्म के आधार पर घृणा, दुर्भावना और नफरत क्यों करते हैं? उच्च नीच के पैमाना क्यों? निर्धारित किए बैठे हैं?
क्यों न ऐसे मनोभाव को त्यागने का प्रयास करें, आओ इन बातों का सारांश जानें।
बिंदु 1+2 का सारांश यह है कि:-
# इस जनम में मैं इंसान हूं, अगले जनम में सुवर या गधा हो सकता हूं, मेंढ़क या छिपकली हो सकता हूं, मुर्गी या मछली हो सकता हूं अर्थात् 84लाख योनियों में किसी भी योनि को प्राप्त हो सकता हूं और आप भी!
# इस जनम में हिन्दू हूं अगले जनम में मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी, जैन या बौद्ध हो सकता हूं और आप भी!
# इस जनम में मैं नर हूं अगले जनम में मादा या हिजड़ा भी हो सकता हूं और आप भी!
# इस जनम में तुम मुझे नीच कहते हो, अगले किसी जनम में तुम्हे भी इसी नीच जाति / कुल में जनम लेना पड़ेगा।
बिंदु ३का सारांश यह है कि:-
लेखक इस जनम में जोशी है अगले जनम में मेहर या मोची हो सकता है, राउत या केंवट हो सकता है, तेली या कुर्मी हो सकता है, मरार या कलार हो सकता है आदिवासी या बैगा हो सकता है, ठाकुर या बनिया हो सकता है। ब्राम्हण, क्षत्री, वैश्य अथवा शूद्र के अलावा दूसरे धर्म में भी जनम लेे सकता है और आप भी! इसलिए आपसे विनती है केवल इस जनम के आधार पर व्यवहार मत करो, इस जनम के आधार पर जीवन जीने की अपेक्षा को त्याग दो, क्योंकि करोड़ों अरबों जनम से आप, मैं और अन्य सभी जीव जंतु भी भगवान ब्रम्हा के ही पुत्र हैं अर्थात सभी सगे भाई बहन हैं।
आओ आंखें खोलें, थोड़ा पानी डालकर धो लें, चिपर निकालकर अच्छे साफ सुथरे आखों से देखें। "मनखे- मनखे एक समान" और "जम्मों जीव हे भाई बरोबर" हमारे धार्मिक सिद्धांत का मूल तत्व है, मूल ज्ञान है। जरूरत है तो इन बातों को आत्मर्पित करने की। आओ थोड़ा ज्ञानी मुझे भी बनने दें मैं भी आपको थोड़ा सा ज्ञानी बनने का अवसर दूंगा, इस छोटे से लेख को पढ़कर अपने लोगों से तर्क कीजिए, चाहे आप सहमत न हों। यदि सहमत न हों तब भी जीवन में कम से कम एक बार किसी दूसरे ज्ञानी व्यक्ति के सामने इन ५बातों को रखिए और एक बार फिर मुझे मूर्ख या बेवकूफ जैसे गाली दीजिए और मेरे लेख को मूर्खतापूर्ण लेख मानकर खिलखिलाकर हस पड़िए।
सुधि पाठकों से निवेदन है कि यह लेख व्यंगात्मक काल्पनिक विचारधारा पर आधारित है, यदि किसी व्यक्ति अथवा समाज के आस्था विश्वास को क्षति पहुंचती है तो लेखक (एचपी जोशी) क्षमा प्रार्थी है।
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