"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


शनिवार, अक्तूबर 21, 2023

काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?" Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?" [पूरी किताब ऑनलाइन पढ़ें, 01-01-2024 को होगी प्रकाशित]






प्रकाशक : श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी
Publisher: Smt. Vidhi Huleshwar Joshi


प्रकाशन दिनाँक : 01 जनवरी 2024
ISBN : 9789360132095




हमारे प्रेरणास्त्रोत एवं मार्गदर्शक 
शांति के संदेशवाहक 
पूज्य दादा जी स्वर्गीय श्री मालिक राम जोशी 
की पावन स्मृति को समर्पित ।



लिख दूँ क्या ? काव्य सँग्रह मूलतः ठेठ ग्रामीण हिन्दी भाषा एवं छत्तीसगढ़ी बोली में लिखी गई है। कविता के माध्यम से जहाँ एक ओर निर्मल और निश्छल प्रेम को अमर करने के ध्येय से प्रेमी-प्रेमिकाओं के मुक्त कल्पनाओं की पराकाष्ठा को चित्रांकित करने का प्रयास किया गया है वहीं दूसरी ओर प्रेम प्रस्ताव के नाम पर रूप-सौन्दर्य एवं ललित कलाओं के दुरुपयोग का भी वर्णन है। कवि ने भावनाओं का निष्ठापूर्वक समावेश करते हुए अपनी रचनाओं के माध्यम से वर्तमान जनजीवन को वर्णित करने का प्रयास किया है।

लिख दूँ क्या ? काव्य सँग्रह में समानता, समरसता, सद्भावना, धर्म, मानवता और राष्ट्रीय एवं विश्व बंधुत्व की भावनाओं की अभिवृद्धि के लिए “मनखे-मनखे एक समान” एवं “जम्मों जीव हे भाई-बहिनी बरोबर” के सिद्धांत का समावेश किया गया है। इसमें काटामारी, घूसखोरी, अपराध और हिंसात्मक कुकृत्यों पर व्यंग्य करते हुए पति-पत्नी के जीवन में महत्ता व इनके मध्य नोकझोंक तथा शराबियों के जीवनदर्शन और उनके कृत्यों का रोचक वर्णन हुआ है। पाठकों को प्रेरक कविताओं के माध्यम से स्वतंत्रता सँग्राम सेनानी की गौरवगाथा के साथ-साथ भारतीय ग्रामीण एवं शहरी जनजीवन का तुलनात्मक दर्शन, पिता को लेकर पुत्र की चिंता और बेटी के पापा होने पर अपने अहोभाग्य पर इतराते बाप को पढ़ने का अवसर मिलेगा।

आदरणीय पाठकगण, आम तौर पर जब प्रकाशक किसी किताब को प्रकाशित करता है तो वह लाभ की मंशा से प्रेरित होकर झूठे तारीफ़ों के पूल बांध देता है और "हनुमान की पूँछ में लग न पाई आग। लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग।" जैसे कुछ अतिशयोक्ति अलंकार का भी प्रयोग करता है, किन्तु इस काव्य के बारे में हम ऐसा कदापि नहीं कर रहे हैं क्योंकि कवि का मानना है कि "किसी भी साहित्य या रचना को बेहतरीन या बोगस प्रमाणित करने का अधिकार पाठक के अपने मौलिक अधिकार है।" जिसमें हस्तक्षेप करने की हमारी नियत नहीं है। हम पाठकों से उम्मीद करते हैं; कि वे इस किताब को पढ़ने के बाद हमें अपनी राय से अवगत कराएँगे।

प्रकाशक : श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी




विषय सूची : कविताओं का शीर्षक
Table of Contents: Title of Poems

पाठकगण से एक विनती : कविता पढ़ने के लिए कृपया नीचे डीए गए शीर्षक में क्लिक करें, शीर्षक में क्लिक करने पर एक नया पेज ओपन होगा, जिसमें कवितायेँ 01 जनवरी 2024 को प्रकाशित होगी। आपसे आग्रह है कि अपने परिजनों और दोस्तों को भी कविता शेयर करिएगा। साथ ही कमेंट्स बॉक्स में अपना अभिमत व्यक्त करिएगा। 

हिन्दी कविताएँ 
01 उठ भोर हुई
02 नव सँकल्प
03 हम सब भारतीय
04 मैं थक जाऊँ तो ?
05 मैं बस्तर हूँ
06 हाँ, मैं टेक्सपेयर हूँ 
07 निंदक सखी
08 तेरी सावन घटा में
09 श्याम पिया
10 काम मुझमें जगा रही हो
11 लिख दूँ क्या?
12 बावली बन जाऊँ रे
13 मेरे मन में
14 मेरे दिल में
15 उनकी वार्ता 
16 सुन्दर सखी दो 
17 मेरे समाधि में
18 मैं खुद ही करूँ 
19 बाहों में भर लूँ 
20 मन का तपन
21 थोड़ा सा अँग दे दो 
22 नवयौवन में समा जाऊँ ?
23 जहर ही पिलाना
24 बरखा बहार आई 
25 कान्हा को लूट आना 
26 लालसा 
27 आखिर क्यों ?
28 प्रथम स्पर्श 
29 जोशी की गीता
30 बेटी मेरी
31 गुलाल मुझे दिलाना 

छत्तीसगढ़ी कविताएँ  
32 मनखे अव रे भाई 
33 भारत के लाज 
34 कलजुग के पहिचान 
35 हावय हमर सँकल्प 
36 गवईहा ददा
37 ओ दिन के सियानी गोठ 
38 महतारी ह गोहरावत हे
39 काल ह सोझियावत हे
40 भगवान ह सोवत हे

व्यंग्य कविताएँ 
41 गोहरावत हँव
42 जीए बर परही
43 तइहा के गोठ 
44 रोबोट नोहय मोर ददा
45 मेरी कविता की ‘क’
46 शराबी की कविता 

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