बेटी मेरी महान ........
तू क्या जाने मुर्ख सखा जिसे बस बेटा लगे सुजान ।
नही करती है भेद, न करती है विच्छेद
बस करती हैं खुशियों से - सारे जग का अभिषेक ।।
न सिखाती घृणा युद्ध, न करती है ये छुब्ध
ऐसी मेरी बेटी है - जानो है ये बुद्ध ।।।
हुलेश्वर जोशी
नही करती है भेद, न करती है विच्छेद
बस करती हैं खुशियों से - सारे जग का अभिषेक ।।