1️⃣ हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
प्रोजेस्टेरोन की कमी – यह हार्मोन भ्रूण को गर्भ में टिकाए रखता है।
थायरॉइड रोग (Thyroid Disorder) – अधिक या कम थायरॉइड हार्मोन भ्रूण के विकास में बाधा डालते हैं।
पीसीओएस (PCOS) – अंडोत्सर्जन की समस्या से भ्रूण स्थिर नहीं रह पाता।
2️⃣ गर्भाशय की संरचनात्मक समस्याएं (Uterine Abnormalities)
गर्भाशय में फाइब्रॉइड, सेप्टम या पोलिप्स का होना
गर्भाशय की भीतरी परत (Endometrium) का कमजोर होना
पहले के ऑपरेशन या संक्रमण से चिपकन (Asherman’s Syndrome)
माता या पिता के गुणसूत्रों में दोष (Translocation, Mutation)
भ्रूण के निर्माण में आनुवंशिक गलती
टॉक्सोप्लाज्मा, रुबेला, CMV, हर्पीज़ या लिस्टेरिया जैसे संक्रमण
जननांग संक्रमण से गर्भाशय का वातावरण दूषित होना
Antiphospholipid Syndrome (APS) – शरीर भ्रूण को विदेशी समझकर अस्वीकार कर देता है।
यह आजकल बार-बार गर्भपात का एक आम कारण है, परंतु उपचार संभव है।
तनाव, धूम्रपान, शराब, या अत्यधिक कैफीन
अधिक वजन या कमजोरी
फॉलिक एसिड, विटामिन D और आयरन की कमी
✅ 1. पूर्ण चिकित्सीय जाँच (Full Medical Checkup)
हार्मोनल टेस्ट – Thyroid, Progesterone, LH, FSH
अल्ट्रासाउंड / HSG / MRI
Genetic Karyotyping (दोनों दंपतियों का)
Immunological tests (APS, ANA, etc.)
गर्भधारण से 3 माह पूर्व फॉलिक एसिड (400–800 µg/दिन) शुरू करें
संतुलित आहार, योग, ध्यान और नींद नियमित रखें
धूम्रपान, शराब, या अनियमित दवाइयों से दूर रहें
डॉक्टर द्वारा निर्धारित प्रोजेस्टेरोन सपोर्ट लें
संक्रमण से बचें, समय-समय पर सोनोग्राफी करवाएं
पर्याप्त विश्राम और मानसिक शांति बनाए रखें
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| क्रमांक | जांच का नाम | उद्देश्य / क्यों जरूरी है | करवाने का समय | संबंधित विशेषज्ञ |
|---|---|---|---|---|
| 1️⃣ | Thyroid Profile (TSH, T3, T4) | थायरॉइड असंतुलन भ्रूण के विकास को प्रभावित करता है | गर्भधारण से पहले या तुरंत बाद | Endocrinologist / Gynecologist |
| 2️⃣ | Serum Progesterone Test | यह हार्मोन भ्रूण को गर्भाशय में टिकाए रखता है | गर्भधारण के शुरुआती सप्ताहों में | Gynecologist |
| 3️⃣ | LH, FSH & Prolactin Levels | पीसीओएस या हार्मोनल असंतुलन की पहचान | गर्भधारण की योजना से पहले | Gynecologist / Endocrinologist |
| 4️⃣ | Pelvic Ultrasound / TVS | गर्भाशय, अंडाशय और एंडोमेट्रियम की स्थिति पता चलती है | हर गर्भधारण प्रयास से पहले | Radiologist / Gynecologist |
| 5️⃣ | HSG (Hysterosalpingography) | गर्भाशय व फैलोपियन ट्यूब की संरचना की जांच | गर्भधारण से पहले | Gynecologist |
| 6️⃣ | MRI Pelvis (यदि आवश्यकता हो) | गर्भाशय में फाइब्रॉइड, सेप्टम या संरचनात्मक दोष की विस्तृत जानकारी | विशेष परिस्थितियों में | Radiologist |
| 7️⃣ | Genetic Karyotyping (दंपति दोनों का) | माता या पिता के गुणसूत्रीय दोष की पहचान | दो या अधिक बार गर्भपात होने पर | Genetic Specialist |
| 8️⃣ | TORCH Panel (Toxoplasma, Rubella, CMV, Herpes) | संक्रमण की जांच जो भ्रूण के विकास में बाधा डालते हैं | गर्भधारण से पहले | Pathologist / Gynecologist |
| 9️⃣ | Urine & Vaginal Culture Test | जननांग संक्रमण या बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता | गर्भधारण से पहले / शुरुआती महीनों में | Gynecologist |
| 🔟 | Antiphospholipid Antibody Test (APS Test) | प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़े कारणों की पहचान | बार-बार गर्भपात की स्थिति में | Immunologist / Gynecologist |
| 11️⃣ | ANA Test (Antinuclear Antibody) | Autoimmune रोगों का पता लगाने के लिए | APS टेस्ट के साथ | Immunologist |
| 12️⃣ | BMI & Nutritional Assessment | मोटापा, कुपोषण या तनाव की स्थिति का विश्लेषण | हर गर्भधारण प्रयास से पहले | Dietician / Physician |
बार-बार गर्भपात या भ्रूण गिरने के कारण जानें — हार्मोनल, जेनेटिक, संक्रमण और प्रतिरक्षा जांचों की पूरी जानकारी। सही निदान से मातृत्व संभव है।
Repeated miscarriage is not fate but a treatable condition. Learn the medical, hormonal, and genetic causes behind frequent pregnancy loss and essential tests every woman should take. Read the full guide on The Bharat Health.
















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