"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


शनिवार, सितंबर 22, 2018

प्रेम व परिणय (वैवाहिक) संबंधों को जाति/धर्म के आधार पर सीमित रखना अनुचित व अमानवीय

प्रेम व परिणय (वैवाहिक) संबंधों को जाति/धर्म के आधार पर सीमित रखना अनुचित व अमानवीय 


मानव समाज में प्रेम व परिणय (वैवाहिक) संबंधों को जाति/धर्म के आधार पर सीमित रखना अनुचित व अमानवीय है। ऐसे संबंधों को बंधनमुक्त रखना चाहिए क्योंकि सभी मनुष्य में आत्मा होती है जो समान रूप से परमात्मा के अंश हैं। 

प्रकृति किसी भी मनुष्य से उनके जाति/धर्म के नाम पर भेद नही करती, प्रकृति के सिद्धांत को ही ईश्वर का सिद्धान्त माना जाता है। प्रकृति के सिद्धांत के विपरित सारे नियम व्यर्थ, आडम्बर व झूठा है।


मनखे-मनखे एक समान - Guru Ghasi Das
सारे ब्रम्हाण्ड में माता के अलावा कोई ईश्वर नही - MR Joshi
जम्मो जीव हे भाई बरोबर - HP Joshi

महत्वपूर्ण एवं भाग्यशाली फ़ॉलोअर की फोटो

Important Notice :

यह वेबसाइट /ब्लॉग भारतीय संविधान की अनुच्छेद १९ (१) क - अभिव्यक्ति की आजादी के तहत सोशल मीडिया के रूप में तैयार की गयी है।
यह वेबसाईड एक ब्लाॅग है, इसे समाचार आधारित वेबपोर्टल न समझें।
इस ब्लाॅग में कोई भी लेखक/कवि/व्यक्ति अपनी मौलिक रचना और किताब निःशुल्क प्रकाशित करवा सकता है। इस ब्लाॅग के माध्यम से हम शैक्षणिक, समाजिक और धार्मिक जागरूकता लाने तथा वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए प्रयासरत् हैं। लेखनीय और संपादकीय त्रूटियों के लिए मै क्षमाप्रार्थी हूं। - श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी

Recent Information and Article

Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

Durgmaya Educational Foundation


Must read this information and article in Last 30 Day's

पुलिस एवं सशस्त्र बल की पाठशाला

World Electro Homeopathy Farmacy


WWW.THEBHARAT.CO.IN

Blog Archive

मार्च २०१७ से अब तक की सर्वाधिक वायरल सूचनाएँ और आलेख