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बुधवार, अप्रैल 04, 2018

भारत बंद के दौरान हुई हिंसा पर लोकसभा में केन्‍द्रीय गृह मंत्री का बयान

भारत बंद के दौरान हुई हिंसा पर लोकसभा में केन्‍द्रीय गृह मंत्री का बयान


गृह मंत्री (श्री राजनाथ सिंह): माननीय अध्‍यक्ष महोदया, भारत बंद के दौरान सारे देश में हुई हिंसा की घटनाओं के संबंध में, मैं अपना वक्‍तव्‍य देने के लिए खड़ा हुआ हूं।

मैं बहुत ही गंभीर विषय पर स्‍टेटमेंट देने के लिए खड़ा हुआ हूं, इसलिए मैं सभी सम्‍मानित सदस्‍योंसे अपील करना चाहता हूं कि कृपया सदन में शांति व्‍यवस्‍था बनाये रखें।

महोदया, कल देश के कई हिस्‍सों में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं। भारत बंद के दौरान हिंसा की घटनाओं में आठ लोगों की मृत्‍यु हुई है। मध्‍य प्रदेश में 6, उत्तर प्रदेश में एक तथा राजस्‍थान में एक व्‍यक्ति की मृत्‍यु के अलावा बंद के दौरान भीड़ तथा पुलिस में कई जगहों पर टकराव की घटनाएं भी हुई हैं।

मैं सबसे पहले इन घटनाओं में मृत लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त करना चाहता हूं।

मैं ये भलीभांति समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोगों के मन में व्‍यापक रोष है। इस केस में भारत सरकार पार्टी नहीं थी। इस फैसले के विरुद्ध लोग चिंतित होकर सड़कों पर उतर आए हैं। मैं यह भारत सरकार की तरफ से कहना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट तथा एससी एवं एसटी समुदाय के लोगों को संविधान द्वारा जो प्रोटेक्‍शन दिया गया है, सरकार उसके प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

मैं इस सदन के माध्‍यम से आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने एससी/एसटी प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज एक्‍ट में कोई भी डायलूशन नहीं किया है, बल्कि हमारी सरकार ने कार्यभार संभालते ही, इस संदर्भ में एससी/एसटी प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज एक्‍ट के मौजूदा प्रावधानों का अवलोकन किया और निर्णय लिया कि इनको और भी स्‍ट्रेन्‍देन किया जाए।

अत: वर्ष 2015 में हमारी सरकार ने एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) अमेंडमेंड एक्‍ट भी पारित किया इसके द्वारा इस एक्‍ट में नये ऑफेंसेज को जोड़ा गया, जो पहले नहीं थे। यह भी पाया गया कि दोषियों को सजा देने में विलंब होता है या चार्ज इस्‍टैब्लिश ही नहीं हो पाता है क्‍योंकि विक्टिम अथवा विट्नेस जो कि पहले ही शोषित है, पर जोर’-दवाब देकर चुप कराने का प्रयास किया जाता है। इसलिए इस संशोधन द्वारा विट्नेस प्रोटेक्‍शन का प्रावधान भी हमारी सरकार ने किया है। इतना ही नहीं हमारी सरकार ने यह भी किया है कि पीडि़तों को दी जाने वाली राशि में भी बढ़ोतरी की है। हमने यह भी प्रावधान किया कि इस कानून को लागू करने में लापरवाही बरतने वाले सरकारी अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।

मैं यह विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी सरकार एससी/एसटी के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

माननीय सर्वोच्‍चय न्‍यायालय के फैसले के तुरंत बाद यह निर्णय लिया गया कि हमारी सरकार इसके विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी और मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि यह याचिका 2 अप्रैल को दाखिल कर दी गई है।

लर्नेड अटॉर्नी जनरल ने गवर्नमेंट के बिहाफ पर माननीय सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि याचिका पर शीघ्र सुनवाई प्रारंभ की जाए। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सहमति जताते हुए आज 2 बजे से ही रिव्‍यू पिटिशन की सुनवाई का समय तय कर दिया है। इससे सरकार की तत्‍परता पर किसी प्रकार के संदेह की गुंजाइश शेष नहीं रह जाती है। मैं यह भी स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट 20 मार्च, 2018 को आया। इसके उपरांत मात्र छह वर्किंग डेज के अंदर पूरी तत्‍परता और प्रतिबद्धता के साथ समस्‍त प्रक्रियाओं और कानूनी परामर्श की कार्रवाई को पूरा करते हुए 2.04.2018 को केन्‍द्र सरकार की ओर से रिव्‍यू पिटिशन दायर कर दी गई।

मैं यह भी बताना चाहता हूं कि आरक्षण को लेकर जो तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, वे पूरी तरह से बेबुनियाद और निराधार है।

हमारी सरकार एससी/एसटी के हितों के रक्षा के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है और अध्‍यक्ष महोदया मैं सभी देशवासियों से अपली करता हूं कि वे शांति और संयम बनाए रखें। हमने सभी राज्‍यों को शांति बनाए रखने के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। शांति बहाल करने के लिए राज्‍यों ने जो भी मदद मांगी है हमने तत्‍परतापूर्वक उसे उपलब्‍ध भी कराया है। 

गृह मंत्रालय इस मामले पर नजर बनाए हुए है तथा हम राज्‍य सरकारों के लगातार संपर्क में हैं।

अध्‍यक्ष महोदया, मैं सदन के माध्‍यम से समस्‍त देशवासियों से शांति व्‍यवस्‍था बनाए रखने तथा आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील करता हूं। साथ ही मैं राजनीतिक दलों से भी अपील करना चाहता हूं कि वह देश में शांति व्‍यवस्‍था तथा भाईचारा बनाए रखने में पूरी तरह सहयोग करें।

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