"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।

बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

ओ दिन के सियानी गोठ - O DIN KE SIYANI GOTH

                                   

ओ दिन के सियानी गोठ - O DIN KE SIYANI GOTH 
 

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हँव।

उबड़ खाबड़ नहीं, पक्का रसदा तोला धरावत हँव।।

 

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हँव।

चना के पेड़ बनाके, तोला नई चढ़ावत हँव।

गुरतुर बोली बतरस म, तोला नई फँसावत हँव।

मानले संगी मोर बात ल,

सत् धरम के रस्ता ल बतावत हँव।।

 

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हँव।

आगी खाए ल सँगी , तोला नई सिखावत हँव।

‘‘मनखे-मनखे एक बरोबर” भेद ल बतवात हँव।

‘‘जम्मो जीव हे भाई–बहिनी बरोबर’’

गियान अइसने सिखावत हँव।।

 

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हँव।

‘‘शिक्षा ग्रहण पहले, भोजन् ग्रहण नहले’’

करे बर, तोला मैं मनावत हँव।

गाँजा दारू छोडव सँगी, शाकाहार बनावत हँव।

बैर भाव म काँही  नइहे,

मया के बात सिखावत हँव।।

 

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हँव।

एक घाँव मोर सँग चलव सँगी, अइसे गोहरावत हँव।

आडम्बर, अमानुषता अउ भेदभाव ल

मनखे ले मिटावत हँव ।

गौतम बुद्ध, गुरूनानक अउ पेरियार सँग,

दोसती करावत हँव।।

 

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हँव।

कबीर दोहा के सँग

ओशो घलो के बिचार ल समझावत हँव।

भगवान बिरसा मुण्डा जइसे

अपन हक बर

लड़े ल सिखावत हँव।

"भारत के संविधान सच्चा धरम"

ऐहि बात बतावत हँव।।

 

ओ दिन के सियानी गोठ तोला मैं बतावत हँव।

उबड़ खाबड़ नहीं, पक्का रसदा तोला धरावत हँव।। 



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

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