"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।

बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

शराबी की कविता - SHARABI KI KAVITA

                                            

शराबी की कविता - SHARABI KI KAVITA
 

जिस रस्ते पे तू गुजरे वो रेंटों से भर जाए।

उसमें पड़े जो पैर तुम्हारा

नाक के बल गिर जाए।।

 

गंदी भद्दी कविता सुनाकर

तुमको हम हँसाएँ।

तू जो हमसे हँसे न ‘गोरी’

गिन-गिन डंडे लगाएँ।।

 

चुन्दी पकड़के हम री ‘गोरी’

खडरी तुँहर निकालें।

तू भी चाहे अगर री गोरी

बेलन हमपे बरसाले।।

 

कभी अगर मैं दारू पियूँ

या फिर

लाँछन लगाऊँ।

ऐसे मर्द मेरा क्या ही कहना

मैं पल भर में मर जाऊँ।।

 

अगर न मर जाऊँ मैं तत्क्षण

डंडे खूब बरसाना

अगर न बरसा सको तो “गोरी”

जहर हमें पिलाना।। 



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

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