"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

प्रथम स्पर्श - PRATHAM SPARSH

                          

प्रथम स्पर्श - PRATHAM SPARSH 
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी 
 

तेरे होंठों की मुस्कान ने मुस्कराई ।

इजहार करने को ललक जगाई ।

सहम गई थी तू जो छुवन से मेरे ।

स्वर्ग के आनन्द सी अनुभूति आई ।।

 

नन्ही परी सी लगती थी ‘वो’ ।

प्लूटो में रहती थी जो ।

कहाँ गुम हो गई हो तुम ?

‘बताओ न !’

‘हँसकर’ मेरा उपचार

करती थी वो।

 

कभी मीठे कभी सिट्ठे

‘चाह’ जो पिलाती थी।

उन कंटीली कंसरटीना में

राह नई दिखाती थी।

भरकर डल्लू जो

मीठा दूध पिलाती थी।। 



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

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