
गुलाल मुझे दिलाना - GULAL MUJHE DILANA
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी 
पापा
आना होली में 
गुलाल मुझे दिलाना। 
नन्हीं हाथों से 
‘गालों में’
गुलाल भी लगवाना।
खीर, बतासे, गुझिया, अरसा
मेले हाथों से खाना। 
पापा... आना होली में;
गुलाल मुझे दिलाना।।
नशा 
नाश की जड़ है। 
ये बात सबको बताना। 
और हेलमेट पहनें बिना 
गाड़ी भी न चलाना।
भाँग को न हाथ लगाना 
लोक लाज बचाना। 
पापा... आना होली में; गुलाल मुझे दिलाना।।
पर्यावरण भी हों संरक्षित
ऐसी होली सीखना। 
बेजूबान वृक्ष 
कटें नहीं 
पानी भी है बचाना।
होली के नाम पर 
‘हुड़दंग को’
कभी न सराहना। 
पापा... आना होली में;
गुलाल मुझे दिलाना।।
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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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